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श्योपुर. चीता प्रोजेक्ट के लिए अफ्रीका से आए दल के सदस्यों ने तीसरे दिन भी कूनो नेशनल पार्क (kuno national park) का भ्रमण किया और व्यवस्थाओं का जायजा लिया। इस दौरान दल के सदस्यों ने कूनो में चीता के भोजन के लिए मौजूद वन्यजीवों की जानकारी ली, वहीं खुले वनक्षेत्र का जायजा लिया। दल के सदस्यों ने कहा कि चीता प्रोजेक्ट के लिए यह अनुकूल जगह है।
गत मंगलवार को श्योपुर पहुंची टीम बीते दो दिनों से कूनो का भ्रमण कर रही है। वहीं गुरुवार को तीसरे दिन भी टीम ने वनक्षेत्र का भ्रमण किया। इस दौरान 5 वर्ग किलोमीटर में बनाए गए चीता के विशेष बाड़े तो निरीक्षण किया ही, साथ ही पार्क में घूमकर चीतों के लिए खुले मैदान, घास आदि की स्थिति का भी जायजा लिया। इसके साथ ही वन्य प्राणियों की संख्या भी जानी और चीतों के भोजन के रूप में विचरण करने वाले वन्यजीवों की जानकारी ली।
बताया गया है कि टीम आज वापिस लौट जाएगी। भ्रमण के बाद टीम ने मप्र और कूनो के अधिकारियों के साथ बैठक की और प्रोजेक्ट को अंतिम रूप देने को लेकर चर्चा की। उल्लेखनीय है कि कूनो में अफ्रीकी चीता बसाने के लिए चल रही प्रक्रिया के तहत दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया से कूनो में तैयारियां का जायजा लेने के लिए मंगलवार को एक दल श्योपुर पहुंचा है। इस दल में नामीबिया से विशेषज्ञ डा. जारी मार्कर, दक्षिण अफ्रीका से विंसेंट, डा. एड्रिन के साथ ही डब्ल्यूडब्ल्यूआई देहरादून के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. वायवी झाला और विपिन आए हैं।
चार दिन पहले ही अफ्रीका से लौटी है हमारी टीम
चीता प्रोजेक्ट के अंतर्गत हमारी भी एक पांच सदस्यीय टीम गत 29 मई से 9 जून तक दक्षिण अफ्रीका और नामीबिया का दौरा कर लौटी है। नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के डीआइजीएफ राजेंद्र गरवाड़, कूनो नेशनल पार्क के डीएफओ पीके वर्मा, भारतीय वन्यजीव संस्थान से डॉ.विपिन, कूनो नेशनल पार्क के एसडीओ फॉरेस्ट अमृतांशु सिंह और पशु चिकित्सक डॉ.ओंकार अचल की टीम ने अफ्रीका में ट्रैनिंग ली और चीतों के व्यवहार व रहन स हन की जानकारी ली। अब अफ्रीका की टीम यहां व्यवस्थाओं का जायजा लेने आई है।
इसलिए चुना कूनो पार्क को
मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में चीतों के लिए सुरक्षा, शिकार और आवास की भरपूर जगह है, जो इनके लिए उपयुक्त है। हर चीते के रहने के लिए 10 से 20 वर्ग किमी एरिया और उनके प्रसार के लिए पर्याप्त जगह होना चाहिए। यह सभी चीजें कूनो पालपुर राष्ट्रीय उद्यान में मौजूद है।
एक नजर
एक छोटी सी छलांग में 80 से 130 किमी प्रति घंटे की रफ्तार में दौड़ सकता है।
इसी स्पीड से 460 मीटर तक लगातार दौड़ सकता है।
3 सेकंड में ही 103 की रफ्तार पकड़ लेता है। चीता शब्द की उत्पत्ति संस्कृत शब्द चित्रकायः से हुई है।
23 फीट की एक लंबी छलांग लगा सकता है।
दौड़ते वक्त आधे से अधिक समय हवा में रहता है।
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Updated on:
17 Jun 2022 03:02 pm
Published on:
17 Jun 2022 02:54 pm
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