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राजस्थान की सीमा में करते हैं नियम का पालन, मप्र की सीमा में हो जाते हैं बे-खौफ

श्योपुर. शहर से संचालित हो रही यात्री बसों में सवारियों को ठसाठस भरकर बैठाया जा रहा है। बसों में यात्रियों को बैठाते समय यह भी नहीं देखा जा रहा कि, उमस भरे मौसम में किसी बुजुर्ग या बच्चों की हालत भी बिगड़ सकती है। हम बात कर रहे है राजस्थान रोडवेज बस ऑपरेट करने वाले […]

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लापरवाही... पैर रखने की जगह तक नहीं फिर भी रोडवेज बस में भरीं जा रहीं सवारियां

श्योपुर. शहर से संचालित हो रही यात्री बसों में सवारियों को ठसाठस भरकर बैठाया जा रहा है। बसों में यात्रियों को बैठाते समय यह भी नहीं देखा जा रहा कि, उमस भरे मौसम में किसी बुजुर्ग या बच्चों की हालत भी बिगड़ सकती है। हम बात कर रहे है राजस्थान रोडवेज बस ऑपरेट करने वाले चालक व परिचालकों की। स्थिति यह है कि, राजस्थान रोडवेज बस के चालक व परिचालक परिवहन विभाग के नियमों को ताक पर रखकर यात्रियों की जान जोखिम में डालकर यात्रा करवा रहे है। इस संबंध में ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है, नहीं तो कोई बड़ी घटना घट सकती है।
मप्र में रोडवेज सेवा पिछले कई सालों से बंद है, ऐसे में यात्री निजी बस संचालकों के भरोसे ही यात्रा कर रहे है। लेकिन राजस्थान के बारां डिपो से श्योपुर होकर जयपुर जानेे वाली राजस्थान रोडवेज की बसों के चालक-परिचालकों द्वारा जमकर लापरवाही बरती जा रही है। नियमों की अनदेखी कर रहे राजस्थान रोडवेज चालक-परिचालक जैसे ही मप्र की सीमा में प्रवेश करते हैं, तब वे उन सभी नियमों को ताक पर रख देते है जो उन्हें राजस्थान की सीमा में फोलो करने पड़ते हैं। जिले की सीमा में प्रवेश के बाद रोडवेज बसों में यात्रियों को भेड़ बकरियों की तरह बैठाया जाता है। पैर रखने तक की जगह नहीं होने के बावजूद यात्रियों को ऐसे भरा जाता है मानों भेड़ बकरियां भरी जा रही हो। राखी के त्योहार के चलते यह स्थिति ज्यादा ही देखने में आ रही है, लेकिन मोटी कमाई के चक्कर में चालक-परिचालक यात्रियों के जान माल की परवाह भी नहीं कर रहे है। यात्रियों का कहना है कि, मप्र रोडवेज सेवा बंद होने ओर निजी यात्री बसों की कमी के चलते ऐसी स्थितियां सामने आ रही है, जिस पर शासन-प्रशासन को ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।

राजस्थान में क्षमता से अधिक नहीं बैठाते यात्री

राजस्थान रोडवेज बसों में चालक-परिचालक क्षमता से अधिक यात्रियों को नहीं बैठाते क्योंकि, वहां लगातार रोडवेज की फ्लांइग चेङ्क्षकग के लिए चलती है। ऐसे में जयपुर से श्योपुर आने वाली राजस्थान रोडवेज बस में नियमों को ताक पर रखा जा रहा है ओर राजस्थान की बजाए मप्र की सीमा में आकर भेड़ बकरियों की तरह सवारियां भर ली जाती हैं।

यात्री बसों की कमी के चलते हो रही परेशानी

मप्र में रोडवेज बस सेवा चालू नहीं होने ओर निजी यात्री बसों की कमी के कारण राजस्थान से आने वाली यात्री बसों में मजबूरीवश यात्रियों को यात्रा करना पड़ रहा है। निजी बसों की कमी को देखते हुए रोडवेज बस के चालक यात्रियों को यह कहकर बैठा लेते है कि, आगे ज्यादातर सवारियां उतरेगी, वहां बैठ जाना, ऐसे में यात्री भी चालक-परिचालक की बातों में आ जाते है।

महिलाओं को मिलता है किराए में 30 प्रतिशत का लाभ

रोडवेज बसों में महिलाओं को 30 प्रतिशत पैसे कम देने पड़ते है, इसलिए कुछ महिलाएं इस लाभ को भी देख लेती है। इसी का फायदा उठाकर चालक-परिचालक नियमों को ताक पर रखकर यात्रियों को भर लेते है। लेकिन राजस्थान रोडवेज बस राजस्थान की सीमा में सभी नियमों का पालन करते हुए चलती है, जिसे मप्र की सीमा में ताक पर रख दिया जाता है।
इनका कहना है
रोडवेज बस में यात्रियों को भेड़ बकरियों की तरह भर लिया जाता है, साथ ही परिचालकों द्वारा भी यात्रियों से अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता, कई बार तो यात्रियों को बस से उतार भी दिया जाता है।
शिवानी जोशी, यात्री
निजी यात्री बसों की कमी का लाभ जयपुर से श्योपुर आने वाली रोडवेज बस द्वारा लिया जा रहा है। प्रशासन को इस दिशा में ध्यान देना चाहिए, क्योंकि क्षमता से अधिक यात्री बसों में बैठाए जा रहे है।
ङ्क्षडपल शर्मा, यात्री