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कागजों में चल रहा आयुर्वेद अस्पताल

कमलागंज क्षेत्र के मरीजों को नहीं मिल पा रहीं स्वास्थ्य सेवाएं  

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कागजों में चल रहा आयुर्वेद अस्पताल

शिवपुरी. जिला मुख्यालय के कमलागंज क्षेत्र में संचालित होने वाले कमलागंज अस्पताल पर पिछले दो साल से भी अधिक समय से ताले लटके हुए हैं। इस कारण इस क्षेत्र के हजारों मरीजों को अस्पताल की सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं, लेकिन सरकारी दस्तावेजों में यह अस्पताल आज भी बदस्तूर संचालित हो रहा है।
जानकारी के अनुसार जिला मुख्यालय पर आयुर्वेद अस्पताल की चार डिस्पेंसरी संचालित हैं। इनमें पुरानी शिवपुरी स्थित जिला अस्पताल, शंकर कॉलोनी, कमलागंज स्थित डिस्पेंसरी तथा जिला अस्पताल स्थित आयुष विंग। इन चारों में से कमलांगज की डिस्पेंसरी पर वर्ष २०१६ से ताले लटके हुए हैं, यहां पर पदस्थ स्टाफ को जिला अस्पताल में पोस्टेड कर दिया गया है। इतना सब होने के बावजूद सरकारी दस्तावेजों में यह डिस्पेंसरी आज भी संचालित हो रही है। सूत्र बताते हैं कि इस डिस्पेंसरी पर जो भी दवाएं आती हैं, उनका भी वितरण होना बताया जाता है। स्टाफ का वेतन भी बदस्तूर यह दर्शाते हुए निकाला जा रहा है कि यह पूरा स्टाफ कमलागंज डिस्पेंसरी पर ही पदस्थ है। जब इस पूरे मामले को लेकर आयुर्वेद अस्पताल प्रबंधन से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों से बात की गई तो उनका कहना था कि वहां जिस किराए के भवन में यह डिस्पेंसरी संचालित होती थी, उक्त भवन मालिक ने कम किराए को लेकर भवन खाली करवा लिया है, कोई नया किराए का भवन मिल नहीं पा रहा है। इस कारण हालात बेहद खराब हो गए हैं और इस डिस्पेंसरी पर ताला लटक गया है। अधिकारी भी इस बात को स्वीकार रहे हैं कि डिस्पेंसरी के संचालन से संबंधित जानकारी हर माह भोपाल भेजी जा रही है और उन्हें भी मालूम है कि डिस्पेंसरी बंद पड़ी है।


जिला अस्पताल में भी वैकल्पिक व्यवस्था
बात यदि शिवपुरी के आयुर्वेदिक जिला अस्पताल की करें तो यहां भी कोई चिकित्सक नहीं है। अधिकारियों के अनुसार ऐसे में इस अस्पताल को संचालित करने के लिए भी जिले के अलग अलग स्वास्थ्य केंद्रों पर पदस्थ दो डॉक्टरों की ड्यूटी तीन तीन दिन के लिए जिला अस्पताल में लगाई गई है, ताकि मरीजों को समय पर उपचार उपलब्ध हो सके।

...तो शंकर कॉलोनी में भी चलेगी कागजों में
यहां बताना होगा कि आयुर्वेद अस्पताल की शंकर कॉलोनी स्थित डिस्पेंसरी जिस भवन में संचालित होती है। उस भवन के मालिक ने भी किराया बढ़ाने को लेकर अधिकारियों को अवगत करा दिया है, परंतु किराया बढ़ाने की कोई कार्रवाई शासन स्तर से नहीं की गई है। ऐसे में मकान मालिक भवन खाली करने के लिए बोल रहे हैं। प्रशासनिक स्तर पर यदि जल्द ही कोई निर्णय नहीं लिया गया तो यह तय है कि जल्द ही शंकर कॉलोनी स्थित डिस्पेंसरी भी सिर्फ कागजों में ही संचालित हुआ करेगी।

50 डिस्पेंसरी 10 डॉक्टर, नए पीएचसी पर
लोगों का रूझान भले ही आयुर्वेद चिकित्सा पद्यति की ओर बढ़ रहा है, परंतु शासन व प्रशासन स्तर पर इस पद्यति को आगे बढ़ाने के लिए ध्यान नहीं दिया जा रहा। यही कारण है कि शिवपुरी जिले में आयुर्वेद की 50 डिस्पेंसरी हैं और डॉक्टर सिर्फ 10 पदस्थ हैं। पिछले साल प्रदेशभर में आयुर्वेद के 7 सैंकड़ा से अधिक डॉक्टरों की पोस्टिंग की गई, जिनमें से 6 या 7 डॉक्टर शिवपुरी जिले को भी मिले, परंतु शासन ने इन डॉक्टरों को ब्रिज कोर्स करवा कर एलोपैथी चिकित्सा पद्यति सिखाकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर पदस्थ कर दिया। ऐसे में यहां आयुर्वेद चिकित्सा पद्यति की डिस्पेंसरी आज भी डॉक्टरों की बाट जोह रही हैं।

सरकारी भवन मिले तो हो समस्या का निराकरण
इस संपूर्ण मामले पर जब पत्रिका ने अधिकारियों से जानकारी ली तो उनका कहना था कि यदि उन्हें कमलागंज व शंकर कॉलोनी क्षेत्र में किसी सरकारी स्कूल में खाली पड़े दो कमरे या आंगनबाड़ी अथवा कोई अन्य सरकारी इमारत प्रशासनिक स्तर पर उपलब्ध करा दी जाए तो उक्त डिस्पेंसरी का संचालन संभव हो सकता है। अधिकारी कहते हैं कि डॉक्टरों की कमी के बावजूद वह कोई न कोई ऐसी व्यवस्था कर देंगे कि यहां आने वाले मरीजों को न सिर्फ देखा जा सके बल्कि उन्हें दवाएं भी उपलब्ध हो सकें।
विभाग के अधिकारियों के अनुसार उन्होंने इस संबंध में प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों को अवगत करा दिया है, परंतु अभी तक उन्हें सरकारी इमारत के कमरे उपलब्ध नहीं कराए जा सके हैं।

कमलागंज की डिस्पेंसरी के अंतर्गत एक बड़ा एरिया आता है। अगर यह चालू हो जाए तो काफी लोगों को राहत मिलेगी, परंतु भवन किराए पर न मिलने के कारण यहां ताले लटके हैं। शंकर कॉलोनी में भी मकान मालिक भवन खाली करने कह चुका है। हमें अगर प्रशासनिक अधिकारी इन क्षेत्रों में किसी सरकारी भवन में एक या दो कमरे उपलब्ध करवा दें तो हम इन डिस्पेंसरी को संचालित कर पाएंगे। हमने इस संबंध में एडीएम साहब को अवगत भी कराया था। यही कारण है कमलागंज की डिस्पेंसरी बंद पड़ी है।
आरके पचौरी, जिला अधिकारी आयुर्वेद