
'सूरदास' की मधुर आवाज के हैं लाखों दीवाने (Photo Source- Patrika Input)
संजीव जाट की रिपोर्ट
Blind Man Captivating Voice : मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के अंतर्गत आने वाले बदरवास के ग्राम महवासा में रहने वाला 'सूरदास' वो व्यक्ति है, जिसे भगवान ने जीवन तो दिया, पर जीवन के लिए उपयोगी सबकुछ छीन लिया। जन्म से नेत्रहीन और पैरों से दिव्यांग तो वो पैदा ही हुआ। अभी होश संभालने लायक उम्र को पहुंचा भी नहीं था कि, उससे पहले ही माता-पिता का साया भी सिर से उठ गया। मां ने निधन से पहले खराब तबियत के समय में जिस मामा को उसकी जिम्मेदारी सौंपी, उसने भी मां के जाने के कुछ महीने बाद ही घर से निकाल दिया। जो थोड़ी बहुत जमीन थी, वो भी दबंगों ने छीन ली। इसके बाद भी उसे भीख मांगकर जीवन जीना गवारा नहीं था।
इन सभी विपदाओं के बावजूद भगवान ने उसे जो चीज दी, 'सूरदास' ने उसका महत्व समझा और आज उसी के दम पर वो लाखों लोगों को अपना दीवाना बनाए हुआ है। भगवान ने सूरदास को ऐसी आवाज दी, जिसके दम पर उसने हर सुननने वाले को अपना दीवाना बना लिया। 'सूरदास' ने अपनी आवाज को आजीविका का साधन बनाया और आज वो लोगों को अपनी आवाज में फिल्मी गीत सुनाकर ने अपना मोहित कर लेता है। इसी के बदले कुछ लोग उसे खुश होकर टिप के रूप में पैसे देते हैं, जिसे वो अपनी आजीविका पर खर्च करता है। जिले के हजारों लोग उसकी आवाज के दीवाने हैं।
'सूरदास' का कहना है कि, हम में से हर एक को ये सोचना चाहिए कि, भगवान ने हमें कुछ न कुछ ऐसा दिया है, जिसकी वजह से हम अपने वजूद को कायम रख सकते सकते हैं और अपनी पहचान बना सकते हैं। बस उसे अपनी उस ताकत को पहचानना होता है। यदि देश का हर युवा अपनी उस ताकत को पहचान ले तो वह कभी बेरोजगार नहीं रह सकता।
ये कहानी है रामजीवन नामदेव पुत्र बाबूलाल नामदेव की, जो मां की कोख से ही नेत्रहीन और पोलियोग्रस्त पैदा हुआ था। उसके माता-पिता ने जैसे-तैसे उसकी परवरिश की लेकिन, जब ये 12-13 साल का था, तभी उसके माता-पिता का बीमारी से देहांत हो गया। इसके बाद रामजीवन को जीने के लाले पड़ गए तो अशोकनगर में रहने वाले उसके मामा ने उसे सहारा दिया। मामा भी उसे कुछ महीने ही रख पाए, इसके बाद उसे घर से निकाल दिया। आखिर कार वो करीब 20-22 साल पहले बदरवास रेलवे स्टेशन पर आ गया। यहां उसने कुछ दिन भीख मांगने का प्रयास किया, लेकिन लोगों ने इतना नहीं दिया कि उसका पेट भर सके। इसके बाद किसी ने उससे कहा कि तू अगर भीख मांगेगा तो तुझे नहीं मिलेगा, लेकिन भगवान ने तुझे इतनी अच्छी आवाज दी है, तू इसे अपनी ताकत क्यों नहीं बनाता ?
रामजीवन का कहना है कि, उसके बाद उसने एक रेडियो खरीद कर अकेले ही गाने का रियाज शुरू किया। कुछ दिन में लोग उसे उसका गाना सुनने के बदले पैसे देने लगे और नाम दे दिया 'सूरदास'। यहीं से से उसका नया जन्म हुआ आज 'सूरदास' की आवाज के हजारों दीवाने हैं, जो यात्री रेग्यूलर ट्रेनों का सफर करते हैं उनकी की तो स्थिति ये है कि, बदरवास और गुना आते ही उनकी आंखें ट्रेन में सूरदास को तलाशने लगती हैं।
सूरदास कहता है कि आज उसे 1900 गाने पूरी रिदम के साथ याद हैं। 'सूरदास' के अनुसार देश का प्रत्येक युवा अगर ईश्वर द्वारा उसे दी गई ताकत को पहचान ले तो उसे कभी भीख नहीं मांगनी पड़ेगी, वह अपने हुनर के बूते ही अपनी उदर पूर्ति कर सकता है, क्योंकि ऊपर वाले ने उसे जन्म देने से पहले सोच लिया होता है कि वह अपना पेट कैसे पालेगा? इसी कारण वह उससे सब कुछ छीन कर भी एक ऐसी ताकत देता है जो उसके जीने का जरिया बनती है।
Published on:
24 Sept 2025 04:04 pm
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