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कंगाल हो गया बड़ा बैंक, उपभोक्ताओं के पैसे डूबे, एफडी की राशि भी नहीं मिल रही

District Cooperative Bank Shivpuri- ऐसे अनेक उपभोक्ता हैं जिनकी जमा राशि डूब गई है। गबन के कारण बैंक में पैसे नहीं बचे हैं और इसका खामियाजा खाताधारकों को भुगतना पड़ रहा है।

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FD amount is not available in District Cooperative Bank Shivpuri

District Cooperative Bank Shivpuri (image-source-patrika.com)

District Cooperative Bank Shivpuri - उनके चेहरे पर बेबसी साफ नजर आ रही है। 6 दिन बाद नातिन की शादी है, बैंक में लाखों रुपए जमा हैं फिर वे एक एक रुपए के लिए मोहताज हैं। शिवपुरी में कलेक्टर से गुहार लगाने आईं इस बुजुर्ग महिला के मुताबिक जिला सहकारी केंद्रीय बैंक कंगाल हो चुका है। आंखों में आंसू लिए फतेहपुर निवासी सरजू बाई शिवहरे ने बताया कि उन्हें 5 लाख की एफडी तुड़वाना है पर बैंक पैसे नहीं दे रहा है। जिला सहकारी केंद्रीय बैंक शिवपुरी के ऐसे अनेक उपभोक्ता हैं जिनकी जमा राशि डूब गई है। गबन के कारण बैंक में पैसे नहीं बचे हैं और इसका खामियाजा खाताधारकों को भुगतना पड़ रहा है। अपने गाढ़े पसीने की कमाई के लिए भी वे दर दर चक्कर लगाने के लिए मजबूर हैं।

सरजू बाई ने बताया कि बैंक में 5 लाख रुपए की एफडी करवाई थी। नातिन की ​शादी के लिए पैसे चाहिए जिसके लिए इसे तुड़वाने है लेकिन बैंक अधिकारी पैसा नहीं दे रहे हैं। सरजू बाई के मुताबिक सब्जी बेचकर गुजारे करनेवाले उनके बेटे परमाल शिवहरे ने 22 अक्टूबर 2024 को यह एफडी कराई थी। शादी की तिथि 9 जून पास आ चुकी है लेकिन पैसों ही नहीं मिल पा रहे हैं।

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जिला सहकारी बैंक शिवपुरी में 100 करोड़ रुपए का गबन

जिला सहकारी बैंक शिवपुरी में 100 करोड़ रुपए का गबन हुआ जिसकी वजह से खाताधारकों की मुश्किलें बढ़ गईं। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने खाताधारकों को पैसे दिलाने के लिए सीएम से बैंक को आर्थिक मदद करने के लिए पत्र लिखा था। इस पर राज्य सरकार ने बैंक को 50 करोड़ रुपए दिए लेकिन बैंक अधिकारियों ने यह राशि पीड़ित खाताधारकों को देने से इंकार कर दिया है। बैंक प्रबंधन का कहना है कि सरकार ने यह राशि बैंक चलाने के लिए दी है। बैंक प्रबंधक आरके दुबे ने कहा है कि यह राशि सोसाइटियों, किसानों को खाद बीज आदि के लिए कर्ज देने के लिए दी गई है।

पीड़ित खाताधारक जनसुनवाई में पहुंच रहे हैं लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही। इधर सहकारी बैंक अधिकांश मामलों में पैसे लौटाने में आनाकानी कर उपभोक्ताओं को भगा रहा है।