
MP Election 2023 : कोलारस सीट पर 79.01% मतदान, इस समाज के मतदाता चुनेंगे प्रत्याशी का भविष्य
संजीव जाट की रिपोर्ट
ग्वालियर संभाग के अंतर्गत आने वाले शिवपुरी जिले की कोलारस विधानसभा सीट प्रदेश की सबसे हाई प्रोफाइल सीटों में से एक है। ऐसे में मतदान की तारीखें नजदीक आते आते प्रत्याशियों की व्यस्तताएं बढ़ती जा रही हैं और रुझान, सामान्य चर्चा सुन सुनकर उनकी सांसें भी ऊपर नीचे हो रही हैं। कोलारस विधानसभा का चुनावी तापमान दिनोदिन बढ़ता जा रहा है और मतदाताओं की पूछपरख भी बढ़ती जा रही है। इस विधानसभा में जिस तरफ आदिवासी और एससी वोटर का झुकाव होगा उसकी चुनावी नैय्या पार लगना तय है लेकिन एकतरफा इस वर्ग की वोटिंग के संभावना काफी कम रहती है।
17 नवंबर को संपन्न हुए चुनाव में कोलारस विधानसभा सीट पर 79.01 फीसदी की वोटिंग दर्ज की गई है। वहीं, बात करें 2018 के वोट प्रतिशत की तो पिछली बार इस सीट पर 76.03 प्रतिशत मतदान हुआ था, जबकि 2013 में यहां 73.49 प्रतिशत वोट पड़े थे। देखना दिलचस्प होगा कि इस बार जनता इस सीट से किस उम्मीदवार को चुनकर मध्य प्रदेश की विधानसभा पहुंचाती है।
विधानसभा का मिजाज
विधानसभा चुनाव में कोलारस विधानसभा का मिजाज कभी ठंडा कभी गरम रहता है। लेकिन इस बार मुकाबला काफी रोचक और कशमकश वाला रहने के आसार हैं क्योंकि दोनों प्रमुख दलों भाजपा और कांग्रेस से यादव प्रत्याशियों को उतारा गया है और तीसरे प्रत्याशी भी धाकड़ वोटों की दम पर हाथी पर सवार होकर उतरे हैं। कांग्रेस से जहां क्षेत्र के विभिन्न पदों पर काबिज रहे बैजनाथसिंह यादव ताल ठोक रहे हैं तो भाजपा से पूर्व विधायक और सिंधियानिष्ठ महेंद्रसिंह यादव चुनावी मैदान में हैं और बसपा से नवल धाकड़ भी धाकड़ और बसपा के वोटबैंक की दम पर चुनाव लड़ रहे हैं।
वैसे तो कोलारस विधानसभा में विभिन्न जातियों के मतदाता बसे हुए हैं। लेकिन यादव और धाकड़ वोट बैंक को प्रमुखता से ही सभी दल लेते हैं लेकिन अगर संख्या बल की बात करें तो इस विधानसभा में इन दोनों समाजों से काफी अधिक मात्रा में आदिवासी समाज और अनुसूचित जाति के मतदाता हैं जो किसी भी प्रत्याशी को फर्श से अर्श पर और अर्श से फर्श पर पहुंचाने का माद्दा रखते हैं। अगर ये बहुसंख्यक एससी और एसटी दोनों ही वर्ग किसी भी प्रत्याशी तरफ झुक जाएं तो दशा और दिशा दोनों बदल जाएंगी। लेकिन महत्वपूर्ण प्रश्न ये है कि दोनों ही समाज क्या किसी दल विशेष तरफ झुकते हैं या फिर हमेशा की तरह विभाजित हो जाएंगे।
मतदाताओं का झुकाव कहा ?
कोलारस बदरवास विधानसभा में सबसे अधिक वोटर अनुसूचित जाति के हैं जो लगभग 35 हजार हैं साथ ही आदिवासी मतदाता भी लगभग 34 हजार होकर बराबरी पर है। लेकिन अनुसूचित जाति का मतदाता बसपा और कांग्रेस में विभाजित हो जाता है और थोड़ा बहुत भाजपा की तरफ भी झुकाव रखता है वहीं आदिवासी वोटरों में सहरिया मतदाता कांग्रेस के साथ तो भील आदिवासी मतदाता भाजपा और कांग्रेस दोनों तरफ झुकाव रखते हैं।
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धड़ों में बंट गए यादव और धाकड़ मतदाता
कांग्रेस से जहां बैजनाथ सिंह यादव हैं तो भाजपा से महेंद्र सिंह यादव प्रत्याशी बनाए गए हैं। ऐसी स्थिति में करीब 25 हजार यादव मतदाता पशोपेश की स्थिति में है कि दोनों में से किसे अपना समर्थन दें। क्योंकि दोनों ही प्रत्याशी स्थानीय हैं और क्षेत्र में दोनों का ही नेटवर्क काफी मजबूत है। यादव मतदाता पहली बार इतने पशोपेश में है और निर्णय की स्थिति भी काफी जटिल है।
बसपा ने बढ़ाई चिंता
वहीं, बसपा से चुनाव लड़ रहे नवल धाकड़ बसपा के परंपरागत वोट और धाकड़ समाज के 24 हजार मतदाताओं की दम पर ताल ठोककर मैदान में हैं। वैसे कोलारस बदरवास क्षेत्र में धाकड़ वोट बैंक भाजपा का माना जाता है लेकिन इस बार धाकड़ प्रत्याशी बसपा से होने के कारण धाकड़ वोट बैंक में भी सेंध लगने के आसार हैं और बसपा का वोट बैंक भी इनको मिल सकता है। ऐसी स्थिति में भाजपा और कांग्रेस दोनों को ही समस्या खड़ी हो सकती है।
गैम चेंजर साबित होंगे सवा लाख मतदाता
बड़े और थोक वोट बैंक वाले एससी, एसटी, यादव और धाकड़ के अलावा सवा लाख से अधिक अन्य वोटर फिलहाल साइलेंट मोड में हैं और इनका साइलेंट मोड ही प्रत्याशियों के माथे पर बल ला रहा है और दारोमदार लगभग इस साइलेंट वोट बैंक को ही मानकर सभी प्रत्याशी चल रहे हैं। वैसे क्षेत्र में शवाह, लोधी, ब्राह्मण, वैश्य, रघुवंशी, पाल गुर्जर, मुस्लिम वोट बैंक भी अच्छी खासी संख्या में हैं और एससी, एसटी, यादव, धाकड़ के बाद इन जातियों के वोट प्रभावी भूमिका में हैं।
भाजपा के महेंद्र सिंह यादव
भारतीय जनता पार्टी ने कोलारस विधानसभा से महेंद्र यादव को अपना प्रत्याशी बनाया है। महेंद्र सिंह यादव सिंधिया के निकटतम राजनेताओं में से एक माने जाते हैं। उन्होंने इस बात को साबित करते हालही में ये बयान भी दिया है कि उन्हें ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ही टिकट दिलवाया है। महेंद्र यादव तीसरी बार कोलारस विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। 2013 में महेंद्र यादव के पिता यहां से चुनाव लड़कर विधायक बने। इसके बाद उनका देहांत हुआ फिर महेंद्र यादव को कांग्रेस पार्टी ने अपना उम्मीदवार बनाया, तब भी उन्हें सिंधिया ने ही टिकट दिलवाया था।
2018 के चुनाव मैं महेंद्र यादव को कांग्रेस पार्टी ने अपना प्रत्याशी बनाया था और इस चुनाव में महेंद्र यादव भाजपा के वीरेंद्र रघुवंशी से 700 वोटो से हार गए थे। इसके बाद कोलारस विधानसभा क्षेत्र का कांग्रेस से प्रतिनिधित्व करने वाले महेंद्र यादव 2020 में सिंधिया के साथ भाजपा में शामिल हो गए थे। अब 2023 में भाजपा ने इन्हें अपना उम्मीदवार बनाते हुए चुनाव मैदान में उतारा है, कोलारस विधानसभा क्षेत्र से मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच होना तय है।
कांग्रेस के बैजनाथ सिंह यादव
वहीं, कांग्रेस पार्टी ने बैजनाथ सिंह यादव को कोलारस विधानसभा सीट से प्रत्याशी चुनाव है। बैजनाथ सिंह को जिले के बड़े नेताओं में से एक माना जाता है। वो कांग्रेस के पूर्व जिला अध्यक्ष भी रहे हैं। बता दें कि बैजनाथ सिंह को भी किसी जमाने में महेंद्र यादव की तरह ही सिंधिया समर्थक नेता माना जाता था। यही कारण है कि उन्होंने भी 2020 में सिंधिया के साथ भाजपा ज्वाइन की थी। लेकिन चुनावी साल में जून के महीने में उन्होंने ये कहते हुए भाजपा से इस्तीफा दे दिया कि पार्टी में भ्रष्टाचार हावी है और दोबारा कांग्रेस में घर वापसी कर ली।
हालांकि, सूत्रों का ये भी कहना है कि वो सिंधिया से कोलारस सीट पर टिकट मांग रहे थे। लेकिन सिंधिया उनके बजाए महेंद्र यादव को सीट के लिए प्रमोट कर रहे थे। इसी से नाराज होकर उन्होंने दोबारा कांग्रेस में शामिल होना ठीक समझा।
कोलारस विधानसभा के मतदाता
कोलारस का विधानसभा क्रमांक 27 है। विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 2 लाख 52 हजार 496 है। इनमें पुरुष मतदाता 1 लाख 32 हजार 788 हैं, जबकि महिला मतदाता 1 लाख 19 हजार 698 हैं। यहां 10 थर्ड जेंडर हैं। वहीं, जातीय समीकरणों पर गौर करें तो क्षेत्र में अनुसूचित जाति के 35 हजार मतदाता हैं। इसके अलावा सहरिया आदिवासी समुदाय के 34 हजार मतदाता है। यादव मतदाता 25 हजार हैं। धाकड़ मतदाता 24 हजार हैं। कुशवाह मतदाता 15 हजार हैं। लोधी मतदाता 14 हजार हैं। ब्राह्मण मतदाता 11 हजार हैं। गुर्जर पाल 8 हजार हैं। रघुवंशी 7 हजार हैं। वैश्य 7 हजार हैं। मुस्लिम 5 हजार हैं। दांगी 5 हजार हैं। इसके अलावा क्षेत्र में 65 हजार अन्य समुदायों के मतदाता भी हैं।
कोलारस विधानसभा की जनता की आवाज
- शहर समेत पोहरी और करैरा में पीने के पानी की समस्या अधिक है। इस बार जनता उस प्रत्याशी को चुनने का मन बनाए हुए है जो इन समस्याओं का निदान कराने की गारंटी दे।
- बदहाल सड़कों ने आमजन की परेशानी बढ़ा दी है। ऐसे में चुने जाने वाले जम प्रतिनिधि को सड़कों के सुधार की गारंटी देनी होगी।
- जिले में उद्योग धंधे न होने की वजह से बेरोजगारी की समस्या है, तथा लोगों को रोजगार के लिए बाहर जाना पड़ता है।
- शिवपुरी को पर्यटन नगरी कहा जाता है, लेकिन पर्यटन उद्योग को बढ़ावा देने के लिए किसी ने कोई पहल नहीं की।
इस बार हर सीट पर कांटे की टक्कर
6 जनवरी 2024 को मध्यप्रदेश विधानसभा का कार्यकाल पूरा हो जाएगा। उससे पहले 3 दिसंबर को चुनाव आयोग नई विधानसभा के गठन की प्रक्रिया को पूरा कर लेगा। 17 नवंबर को पूरे प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों के लिए वोट डाले जाएंगे। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के लिए बीजेपी और कांग्रेस ने सभी 230 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है। चुनाव से पहले अबतक सामने आए सर्वेक्षणों में ये पता चला है कि इस बार मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान कांग्रेस और भाजपा के बीच हर सीट पर कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी।
Updated on:
02 Dec 2023 08:39 pm
Published on:
01 Nov 2023 09:18 pm
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