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MP Election 2023: 700 रुपए खर्च करके 700 वोट से जीते थे नन्नाजी, चार बार लगातार रहे विधायक

वर्ष 1956 में मध्यप्रदेश का गठन होने के बाद वर्ष 1957 के विधानसभा चुनाव में हिंदू महासभा से चुनाव लड़े लक्ष्मीनारायण गुप्ता ने कांग्रेस के धनीराम कनकने को शिकस्त दी थी। वर्ष 1962 में भी हिंदू महासभा के लक्ष्मीनारायण गुप्ता ने कांग्रेस के हनुमंत सिंह को हराकर तीसरी बार लगातार विधायक चुने गए...

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वर्ष 1956 में मध्यप्रदेश का गठन होने के बाद वर्ष 1957 के विधानसभा चुनाव में हिंदू महासभा से चुनाव लड़े लक्ष्मीनारायण गुप्ता ने कांग्रेस के धनीराम कनकने को शिकस्त दी थी। वर्ष 1962 में भी हिंदू महासभा के लक्ष्मीनारायण गुप्ता ने कांग्रेस के हनुमंत सिंह को हराकर तीसरी बार लगातार विधायक चुने गए। इसी क्रम में वर्ष 1967 में जनसंघ स्वतंत्र पार्टी से चुनाव लड़े लक्ष्मीनारायण गुप्ता ने कांग्रेस के हनुमंत सिंह को हराया तो फिर उन्हें राजस्व मंत्री बनाया था। जिस सरकार में नन्नाजी मंत्री बने, वह सरकार 15 माह चलने के बाद गिर गई तथा जो दूसरी सरकार बनी, उसमें भी नन्नाजी को पुन: राजस्व मंत्री बनाया गया था। महत्वपूर्ण बात यह है कि पिछोर की जनता जब फिदा हो जाती है तो फिर एक-दो बार नहीं बल्कि 5 से 6 बार विधायक बना देती है।

पहली बार जीती कांग्रेस
पिछोर विधानसभा से वर्ष 1972 में जनसंघ से लक्ष्मीनारायण गुप्ता एवं कांग्रेस से भानूप्रताप सिंह जूदेव चुनाव लड़े थे, जबकि पहली बार लोधी समाज की ओर कमल सिंह पडऱया निर्दलीय चुनाव लड़े थे। इससे पहले तक लोधी समाज का समर्थन नन्नाजी के साथ हुआ करता था। इस चुनाव में पहली बार कांग्रेस के भानूप्रताप सिंह जूदेव चुनाव जीते थे।

जनता पार्टी ने बदला टिकट
वर्ष 1977 के चुनाव में पिछोर से जनता पार्टी ने कमल ङ्क्षसह पडऱया को अपना प्रत्याशी बनाया, जबकि लक्ष्मीनारायण गुप्ता निर्दलीय एवं कांग्रेस भानूप्रताप ङ्क्षसह जूदेव चुनाव लड़े। इसमें कमल सिंह पडऱया विधायक बने।

दो बार जीते भैयासाहब, बने उपमंत्री
वर्ष 1980 में कांग्रेस के भैयासाहब लोधी ने भाजपा के लक्ष्मीनारायण गुप्ता को हराया, तथा लगातार दूसरी बार वर्ष 1985 में भैया साहब ने जब लक्ष्मीनाराण गुप्ता को हराया तो उन्हें कांग्रेस की सरकार में पीएचई उपमंत्री बनाया गया था।

एक बार फिर मारी नन्नाजी ने पलट
वर्ष 1990 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के महाराज सिह लोधी को भाजपा के लक्ष्मीनारायण गुप्ता ने शिकस्त दी थी। इसके बाद जब सरकार बनी तो नन्नाजी को फिर से राजस्व मंत्री बनाया।

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