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MP में कम होंगे डीजल के दाम! प्लास्टिक वेस्ट करेगा मदद, लगेगा प्लांट

MP News: एमपी में अब प्लास्टिक कचरा बल्कि डीजल बनाने का खजाना साबित होगा। खास तकनीक से प्लास्टिक जलेगा नहीं, पिघलेगा और बदलेगा डीजल में, जो मशीनों को ताकत देगा।

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plastic waste to diesel plant shivpuri mp news

plastic waste to diesel plant shivpuri (फोटो- सोशल मीडिया)

plastic waste to diesel: कचरे में मौजूद प्लास्टिक से पायरोलिसिस प्रक्रिया को अपनाकर डीजल बनाने का प्लांट शहर में लगाया जाएगा। यह मध्यप्रदेश का पहला ऐसा प्लांट होगा, जहां प्लास्टिक से डीजल बनेगा। यह प्लांट शिवपुरी में लगाया जाएगा जिसके लिए टेंडर रविवार को खुलेंगे। सबकुछ सही रहा तो 3-4 माह में प्लांट शुरू हो जाएगा। अभी तक देश में इस तरह के 3-4 प्लांट हैं।

ऐसा ही प्लांट उत्तरप्रदेश के मथुरा में है। शिवपुरी का प्लांट पीपीई मोड पर होगा। नगर पालिका के बड़ौदी स्थित ट्रेंचिंग गाउंड में फर्म को जमीन उपलब्ध कराई जाएगी। कंपनी को कम से कम 15 साल के लिए प्लांट चलाने की शर्त होगी। प्लांट लगाने में 3-4 करोड़ खर्च होंगे। कंपनी अपना लाभ निकालने के साथ ही नगर पालिका को भी तय रकम हर माह या सालाना देगी। इस डीजल का प्रयोग वाहनों में कम, बल्कि जनरेटर और हैवी मशीनरी को चलाने में ज्यादा किया जाता है। (MP News)

इस तरह तैयार होगा डीजल

प्लास्टिक कचरे को रियक्टर में 350 से 450 डिग्री सेल्सियस तापमान पर गर्म किया जाता है। इसमें हाइड्रो कार्बन बनते हैं। इससे पेट्रोल, डीजल व कार्बन गैस का उत्पादन होता है। एक टन प्लास्टिक कचरे से 150 से 200 लीटर डीजल बन सकता है।

यह हैं तकनीक के अविष्कारक

मेट्रो अटलांटा के 21 वर्षीय अश्वेत आविष्कारक जूलियन ब्राउन ने प्लास्टोलाइन नामक तकनीक विकसित की है, जो माइक्रोवेव पायरोलिसिस का उपयोग कर सौर ऊर्जा से चलने वाला रिएक्टर है। यह प्लास्टिक कचरे को गैसोलीन, डीजल व जेट ईंधन जैसे ईंधन में परिवर्तित करता है। नगर पालिका स्वास्थ्य अधिकारी योगेश शर्मा ने कहा कि प्लास्टिक से पायरोलिसिस प्रक्रिया के तहत डीजल बनाने का प्लांट जल्द लगेगा। इसमें दो-तीन फर्म ने रुचि दिखाई है।