ग्रामीणों की मानें, तो जब सिंध नदी में बाढ़ आई थी, तब पूरा गांव पानी में डूब गया था। खेत, खलियान तो तबाह हुए ही थे। कई लोगों के घर और ग्रस्ती तक खत्म हो गई थी। ऐसे में सब जगह पानी होने से सांपों को छिपने के लिए कहीं कोई जगह नहीं बची, इसलिए वो घरों के कोनों कुचालों में घुस आए। बाढ़ का पानी सूखने के बाद से ही यहां सांपों के निकलने का सिलसिला लगातार जारी है।
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दूसरे गांव से बुलाना पड़ रहे स्नेक कैचर
गांव के एक युवक अनुप का कहना है कि, यहां निकलने वाले सांप अधिकतर जहरीले ही हैं। ऐसे में कोई भी सांप पकड़ने वाला इतनी महारत नहीं रखता कि, इन जहरीले सांपो को पकड़ सके। इसलिए कई बार तो अशोकनगर जिले के बीसोर गांव से सांप पकड़ने वालों को खासतौर पर बुलाना पड़ता है। उस गांव के लोग पिछली कई पीढ़ियों से सांप पकड़ने का काम ही करते हैं और उसमें खासा महारत भी रखते हैं। ग्रामीण इन्हीं लोगों को इसलिए भी सांप पकड़ने वालों को बुलाते हैं, ताकि सांप को सकुशल बिना कोई तकलीफ पहुंचाए पकड़कर जंगल में छोड़ा जा सके।
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ग्रामीणों में सांपों की दहशत
अनुप के अनुसार, गांव में पिछले दिनों नाग-नागिन का एक जोड़ा भी निकल चुका है। उस दौरान सांप पकड़ने वाले के भी पसीने छूट गए थे। गांव में लगातार इतने सांप दिखते रहने और उनके हमले के चलते ग्रामीणों में दहशत का माहौल है। दो लोग सांप के काटने से जान भी गवा चुके हैं। अनुप के अनुसार गांव के रहने वाले घसीटा नामक युवके के घर में सांप ने उसके नाती को काट लिया, जिसके बाद बच्चे की मौत हो गई थी। इसके अलावा गांव के ही एक भूपेंद्र नामक युवक की पत्नी की भी सांप के काटने से मौत हो चुकी है।
यहां जमीन उगल रही है आग – देखें Video