
संजीव जाट की रिपोर्ट
Bhagoria Fair : मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिले के अंतर्गत आने वाली बदरवास तेहसील के खैराई गांव में इन दिनों भगोरिया मेले की धूम मची है। इस बार परंपरागत ढोल-मांदल के साथ डीजे की धुन पर आदिवासी युवा थिरकते नजर आ रहे हैं। बदरवास के खैराई मेले की प्रसिद्धि का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि यहां हर साल इस मौके पर लगभग 20 हजार से ज्यादा लोग शामिल होते हैं।
इलाके में होली का उत्सव लोगों के मनमुटाव ही दूर नहीं करता, बल्कि दिलों को भी जोड़ता है। 20 साल पहले तक खैराई के मेला में युवा भागकर अपना जीवनसाथी चुनते थे, लेकिन अब ये परंपरा इतिहास बनकर रह गई है। बावजूद इसके मेले की रंगत और परंपरागत ढोल-मांदल पर होने वाले नृत्य लोगों में स्पंदन पैदा कर देते हैं।
20 साल पहले युवक-युवती के मन मिलते थे और वे मेले से भाग जाते थे। इस झगड़े को शांत करने के लिए राशि तय की जाती थी. पंचों द्वारा मामला हल कराया जाता था और विवाह पूर्ण हो जाता था। लेकिन अब परिजन रिश्ते तय कराते हैं। मेला अब भी आकर्षक लगता है। आदिवासी समुदाय में प्रचलित भगोरिया मेला होली और उसके पहले ग्राम खैराई में लगता है, जहां आदिवासी समुदाय में आने वाले भील, भिलाला, पटेलिया, बारेला समाज के लोग मेले में खरीदारी करने पहुंचते हैं। 20 साल पहले यहां समाज के युवा-युवती एक-दूसरे को पसंद करते हैं और भाग जाते थे, लेकिन अब ये प्रचलन लगभग खत्म हो चुका है। लेकिन मेला की अन्य परम्मराओं में कोई कमी नहीं है।
मेले में समाज की युवतियां आकर्षक श्रृंगार करके आती हैं। युवा पान खिलाते हैं। नृत्य होते हैं। यह मेला होली के दिन लगता है जो निरंतर तीन दिन चलता है। कोलारस के बदरवास से लगभग 30 कि.मी दूर खैराई गांव में लगे मेले में जिस युवक युवती की मन्नत पूरी होती है, उसे फिर मन्नत पूरी होने पर मचान पर झुलाया जाता है। महिलाएं भी आग के अंगारों से निकलती है और सुहागन का श्रंगार चढ़ाती है। मेला में युवतियों की टोलियां एक-एक रंग की वस्त्र पहनकर आती हैं। चांदी के आभूषण पहनी युवतियां मेले का लुत्फ उठाती हैं।
Published on:
16 Mar 2025 12:46 pm
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