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28 साल में पंच से मंत्री बन गए थे इंद्रजीत कुमार, वाजपेयी ने किया था पुरस्कृत

दिग्विजय सरकार में मंत्री रहे इंद्रजीत कुमार के निधन से शोक की लहर

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 Indrajit Patel

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सीधी. कांग्रेस के कद्दावर नेता इंद्रजीत कुमार का सोमवर की रात करीब 11 बजे निधन हो गया। उन्होंने महज 22 वर्ष की उम्र में 1965 में पंचायत के पंच पद से अपने राजनीतिक कॅरियर शुरुआत की थी और 28 साल बाद 1993 में मप्र सरकार के मंत्री बन गए थे। हालांकि, इस दौरान उन्हें कई तरह राजनीतिक उठक-पठक का सामना करना पड़ा था। बातौर मंत्री बेहतर काम करने के लिए उन्हें वर्ष 1995 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने मानव सेवा पुरस्कार से पुरस्कृत किया था। वहीं 20 सितंबर 1999 में उन्हें राष्ट्रीय एकता पुरस्कार से भी दिया गया था।

1977 से 2003 तक विधायक

कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता इंद्रजीत कुमार अपनी राजनीति की पारी की शुरुआत वर्ष 1965 में पंच चुनाव से की गई। वे 22 वर्ष की उम्र मे पंच निर्वाचित होकर घोपारी पंचायत के सरपंच निर्वाचित हुए। उसके बाद वे भूमि विकास बैंक के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। तत्कालीन कांग्रेस के नेता अर्जुन सिंह ने इंद्रजीत कुमार को वर्ष 1977 में सीधी विधानसभा सीट से कांग्रेस का टिकट दिया। उसके बाद वे सीधी सीट से अजेय योद्धा बन गए। लगातार 1977 से 2003 तक सात पंचवर्षीय तक सीधी सीट से विधायक निर्वाचित होते रहे। वे दो पंचवर्षीय दिग्विजय सिंह की सरकार मे केबिनेट मंत्रालय का जिम्मा संभाल चुके हैं। 1993मे वे पहली मर्तबा आवास पर्यावरण व शालेय शिक्षा मंत्री बने उसके बाद दोबारा वर्ष 1998 मे मंत्रिमंडल मे मंत्री का जिम्मा संभाले।

सरलता व सहजता की मिसाल थे
पूर्वमंत्री इंद्रजीत कुमार की सहजता का अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि चुनाव-प्रचार के दौरान कुछ उत्पाती लोगों ने जूतों की माला पहना दी थी, लेकिन गुस्सा प्रगट करने की बजाय सहज भाव से बोले कि हो सकता मैं इतने चरणों को अपने माथों पर न लगा पाता, लेकिन आपने जूतों की माला पहनाकर मुझे इतने लोगों का आशीर्वाद लेने का मौका दिया। मैं सदैव आभारी रहूंगा।

राजनीतिक जीवन का अंतिम पड़ाव
पूर्व मंत्री इंद्रजीत कुमार को तीन बार हार का सामना भी करना पड़ा है। परिसीमन के बाद सीधी से अलग होकर सिहावल सीट गठित हुई। 2008 में उन्होंने यहां से नामांकन दाखिल किया, लेकिन चंद मतों से हार गए। इसके बाद 2009 में लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन गोविंद मिश्रा से हार गए। 2014 में फिर लोस चुनाव में उतरे। इस बार रीति पाठक से हार मिली।

अर्जुन सिंह के खिलाफ ठोंक दी थी ताल
1972 में चुरहट से अर्जुन सिंह की पार्टी ने चंद्रप्रताप तिवारी को मैदान में उतार दिया। अर्जुन सिंह को सीधी विधानसभा से टिकट दिया गया। पर इंद्रजीत कुमार ने भी यहां से नामांकन दाखिल किया। मत विभाजन की आशंका पर अर्जुन सिंह ने छोटेलाल सिंह का ट्रक भेजकर इंद्रजीत को सांड़ा बुलाया। वे यहां समर्थकों संग पहुंचे। अर्जुन सिंह ने आश्वासन दिया कि इस चुनाव में मेरा साथ दीजिए, मैं आगामी चुनाव में आपको कांग्रेस से टिकट दिलाउंगा। तब इंद्रजीत ने नामांकन वापस ले लिया और कांग्रेस में शामिल हो गए। अर्जुन सिंह ने 1977 के विस चुनाव में इंद्रजीत को कांग्रेस से टिकट दिलवाई। वे यहां से सात बार विधायक बने।