scriptबाघ की हर हरकत पर नजर रखने के लिए की रेडियो कालरिंग | Radio callering done by Tiger in Sanjay Tiger Reserve | Patrika News

बाघ की हर हरकत पर नजर रखने के लिए की रेडियो कालरिंग

locationसीधीPublished: Jun 12, 2021 07:50:23 am

Submitted by:

Hitendra Sharma

रेडियो कालर लगाने के बाद अस्थाई बाड़े में रखा गया बाघ, दो दिन बाद होगा बाड़े से आजाद, जल्द आ जाएगा बाघिन के संपर्क में

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सीधी. बांधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान से वापस लाई गई बाघिन को बाघ के संपर्क में लाने की तैयारी में टाइगर रिजर्व अमला जुटा हुआ है। इसके लिए संजय टाइगर रिजर्व में ट्रैकिंग कर एक बाघ को पकड़कर रेडियो कालरिंग की गई है। रेडियो कालर लगाने के बाद बाघ को उस बाड़े में रखा गया है, जिस बाड़े में बाघिन को रखा गया था। जहां भोजन के लिए चीतल उपलब्ध हैं। दो दिन बाद बाघ को बाड़े से बाहर जंगल में उस स्थान पर छोड़ा जाएगा, जहां बाघिन को छोड़ा गया था, जिससे यह बाघ जल्द बाघिन के संपर्क में आ जाएगा और बाघों की वंशबृद्धि में सहायक बनेगा।

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दो दिन आपरेशन के बाद बाघ की हो पाई कालरिंग
मोहन रेंज के खरसोती बीट के आसपास बाघों का नया रहवास बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इस स्थान पर बाघिन को छोड़ दिया गया है। बाघिन अभी तक बाड़े से दो किलोमीटर का सफर कर जंगल में आराम फरमा रही है। अब इस बाघिन को हमसफर उपलब्ध कराने की तैयारी में रिजर्व अमला जुटा हुआ है। जिसके लिए दो दिन आपरेशन चलाकर संजय टाइगर रिजर्व से ट्रैकलाइज्ड करते हुए एक बाघ को पकड़ा गए है। इस बाघ का नाम एसडी 027 है, जिसको रेडियो कालर लगा दिया गया है। जिससे बाड़े से आजाद होने के बाद बाघ की लोकेशन की आसानी से पतासाजी की जा सके। यह रेडियो कालर वाइल्ड लाइफ कंजरवेशन डब्ल्यूसीसी के सहयोग से किया गया।

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अभी बेहोशी की हालत में है बाघ
बाघ को पकडऩे के लिए तीन हांथियों से घेराबंदी की गई। बाघ एसडी 027 झाड़ी में आराम फरमा रहा था, तब छिपकर चिकित्सकों ने बेहोशी का इंजेक्सन दिया गया। इंजेक्सन लगने के बाद बाघ जंगल की ओर भागने का प्रयास किया किंतु वह कुछ दूरी चलने के बाद लडख़ड़ाकर गिर गया, जब निर्धारित समयावधि में बाघ बेहोश हो गया, तब उसे पकड़कर रेडियो कालर लगाया गया।

बाघिन के गंध पहचान के लिए बाड़े में रखा गया है बाघ
बताया गया कि बाघों में सूंघने की क्षमता होती है, जिससे वह दूर से सूंघकर नर व मादा की पहचान कर लेते हैं। रेडियो कालर लगाने के बाद बाघ एसडी-027 को अस्थाई बाड़े में रखा गया है, इसी बाड़े में 9 दिन तक बाघिन कैद थी। इस बाड़े में जाने के बाद बाघ होश में आते ही बाघिन के यूरिन की गंध को पहचानेगा, जिससे बाड़े से आजाद होने के बाद बाघ, उसी यूरिन की गंध से बाघिन की तलाश करेगा, और उसके संपर्क में आने के बाद दोनो हमसफर बन सकते हैं।

बाघिन का निकाला गया रेडियो कालर
इसके साथ ही कुसमी रेंज में रहने वाली एक बाघिन सात वर्षीय बाघिन एसडी 021 को भी ट्रेंकुलाइज किया गया। जिसका रेडियो कालर गर्दन में टाइट होने के कारण वह असहज महसूस कर रही थी। बार-बार पंजे से रेडियो कालर को तोडऩे का प्रयास कर रही थी। टाइट हुए रेडियो कालर को गले से निकाल दिया गया है, और बाघिन को जंगल में छोड़ दिया गया है। इस बाघिन के साथ छह-छह माह के तीन शावक हैं। ट्रैकलाइज्ड करते समय ये शावक अपने मां से दूर थे, अन्यथा रेडियो कालर निकालना आसान नहीं होता।

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