
The world's first prose composition was written in this district of MP
सीधी. बाणभट्ट दुनिया के सर्वश्रेष्ठ साहित्यकार थे। इसकी पुष्टि तमाम शोधकर्ता अपने लंबे शोध के माध्यम से कर चुके हैं। उनकी कृति कादंबरी दुनिया की प्रथम गद्य रचना है। इसमें भाषा का प्रयोग इतना क्लिस्ट है कि सबको समझ पाना मुश्किल है। साहित्यकार भी ऐसी रचनाएं करने में असमर्थ हैं। हम गौरवान्वित हैं कि दुनिया को प्रथम गद्य साहित्य की सौगात सीधी जिले के चंदरेह से मिली। यह बात विधायक केदारनाथ शुक्ल ने मानस भवन में आयोजित दो दिवसीय बाणभट्ट समारोह के शुभारंभ सत्र में कही।
बागढ़ गांव में हुआ था जन्म
बताया कि उनका जन्म बागढ़ गांव व कर्मस्थली चंदरेह है। सम्राट हर्षवर्धन भी महाकवि बाणभट्ट की विद्वता को सही तरीके से नहीं समझ पाए। बाद में जब समझा तो काफी देर हो चुकी थी। दूत भेजकर रास्ते से क्षमा के साथ बुलाने का आग्रह किया, लेकिन बाणभट्ट नहीं लौटे।
अत्यंत सरल भाषा में भाव व्यक्त
पुलिस अधीक्षक मनोज श्रीवास्तव ने कहा, महाकवि बाणभट्ट की तुलना अन्य साहित्यकार से नहीं की जा सकती। कहा मैं, खुद संस्कृत साहित्य का विद्यार्थी रहा हूं। जिसके चलते मुझे महाकवि की रचनाएं पढऩे का सौभाग्य मिला है। रचनाकार उस समय भाव को अत्यंत सरल भाषा में व्यक्त करते थे, लेकिन 6-7वीं शताब्दी के बाद भाषा मजबूत हो गई और उसी समय बाणभट्ट ने पांडु की ऐसी रचना की जो बाद में बेहतर नहीं की जा सकी।
संस्कृत साहित्य के विकास पर चर्चा
पश्चिम बंगाल शांति निकेतन में पढ़े प्रो. मृत्युंजय प्रभाकर ने संस्कृत साहित्य के विकास पर चर्चा की। कलेक्टर दिलीप कुमार कहा, बाणभट्ट समारोह निश्चित ही जिले के लिए गौरव की बात है। आयोजन से लोगों को बाणभट्ट की महत्ता एवं रचनाओं के संबंध में विस्तृत जानकारी मिलेगी। स्वागत भाषण कालिदास संस्कृत अकादमी के प्रो. अजय मेहता ने दिया। इस दौरान डॉ. राजेश मिश्रा, पुनीत नारायण शुक्ला, डॉ. लहरी सिंह, डॉ. राजकरण शुक्ल, डॉ.रामलला शुक्ला, शेरबहादुर सिंह, शिवशंकर सरस, नीरज कुंदेर, नरेंद्र बहादुर सिंह, रोशनी प्रसाद मिश्रा, मंगलनाथ तिवारी आदि उपस्थित रहे।
Published on:
18 Mar 2018 07:00 am
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