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सीकर के इस एक ही मकान में रहते हैं 3 परिवारों के 50 लोग…यह मजबूरी भी तो बड़ी है

एक कमरे में रहना, खाना व सारा काम करना पड़ रहा है। घरेलू सामान को कमरे के बाहर रखना पड़ रहा है।

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50 peoples live in only a room of sikar rain basera

आशियाना क्या टूटा, जिंदगी पर पहाड़ सा टूट गया। सारे सपने एक पल में बिखर गए। इसके चलते संयुक्त रूप से रहने वाले तीन मुस्लिम परिवार के 50 लोगों को हाउसिंग बोर्ड स्थित रैनबसेरे में जिदंगी बसर करनी पड़ रही है।

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पिछले 76 दिनों से बच्चे, बूढ़े व महिलाए बदहाल हालात में एक कमरे में रहने को मजबूर हैं। अब इनके पास रहने, खाने व जीवन यापन करने का सामान्यत माहौल भी नहीं है।

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एक कमरे में रहना, खाना व सारा काम करना पड़ रहा है। घरेलू सामान को कमरे के बाहर रखना पड़ रहा है। कमरे के बाहर पड़ा सामान बारिश और गर्मी की मार झेलकर लगभग खराब हो गया है।

दिया था आश्वासन

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धोद पंचायत समिति के पूर्व प्रधान उस्मान खां ने बताया कि मकान को तोडऩे से पहले तत्कालीन कलक्टर एलएन सोनी की ओर से परिवार के पुर्नवास की बात कही गई थी।

कलक्टर की ओर से शास्त्री नगर में बीपीएल क्वार्टरों में रहने के लिए बताया गया। लेकिन साफ सफाई व सुविधा के अभाव में परिवार ने रहने से इनकार कर दिया। बाद में कलक्टर ने अन्य स्थान पर पुर्नवास का आश्वासन दिया था।


यूं टूटा आशियाना...

बसंत विहार के वार्ड संख्या 30 में 13 मई को राजघराने के बिजली व गाडिय़ों के मैकेनिक शहाबुद्दीन के मकान को कोर्ट के आदेश पर जिला कलक्टर के नेतृत्व में तोड़ा गया।

नगर परिषद व प्रशासनिक अमले की ओर से अवैध निर्माण को तोड़ा गया। इस दौरान परिवार की ओर से विरोध भी किया गया। लेकिन कार्रवाई को अमल में लाया गया।

और छलक गई आंखे...

छोटे बच्चों की दादी अम्मा जमीला व हसीना ने आपबीती बताई। इस दौरान दोनों की आंखे छलक गई। उन्होंने बताया कि हमारे पास मकान के सभी दस्तावेज हंै।

परिवार पिछले 45 सालों से वहां रह रहा था। लेकिन अचानक हमारा आशियाना टूट गया। इनमें आबिद, मकसूद व अब्बानी का परिवार शामिल है।

मासूमों को छोडऩी पड़ी पढ़ाई

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तंग हालात के साथ संघर्ष कर रहे परिवार के चार मासूमों को मजबूरन पढ़ाई छोडऩी पड़ी। 14 वर्षीय सोनू, 12 वर्षीय सोहिल, 7 वर्षीय आजाद व सात वर्षीय कुटकुट कभी एक साथ निजी स्कूल में पढऩे जाते थे। लेकिन अब पढ़ाई उनके लिए महज सपना बनकर रह गई है।

-जिला कलक्टर के आदेशानुसार मौके पर गया था। लेकिन रात को मकान तोडऩे से मैंने मना कर दिया और वापस लौट आया। अगले दिन नगरपरिषद की ओर से मकान के अवैध निर्माण तोड़ दिया गया। इस संबंध में सभापति बता सकते हैं।
रामानंद शर्मा, एसडीएम, सीकर


इस परिवार के पुर्नवास के लिए नगरपरिषद गंभीर है। परिषद ने परिवारों को 50-50 वर्गगज के तीन भूखंड आवंटित कराने के लिए राज्य सरकार को पत्र लिख दिया है। इस संबंध में विधायक को भी अवगत कराया गया है। सरकार से स्वीकृति आते ही परिषद परिवारों का पुर्नवास कर देगी।
जीवण खां, सभापति, नगर परिषद

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