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गेहूं के निर्यात पर रोक से थोड़ी राहत, रूस-यूक्रेन युद्ध थमे तो और गिरे भाव

बंपर उत्पादन के बाद भी गेहूं व आटे के भावों में दस फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी पहले लोग गर्मियों में करते थे स्टॉक, इस बार महंगे दामों की वजह से सोशल डिस्टेंस  

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सीकर। बंपर उत्पादन के बाद भी गेहूं व आटे के भावों में दस फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी

सीकर। बंपर उत्पादन के बाद भी गेहूं व आटे के भावों में दस फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी

सीकर। सौ दिन से चल रहे रूस- उक्रेन के बीच युद्ध के कारण तेज हुए गेहूं के भाव में निर्यात पर रोक के साथ ही गिरने शुरू हो गए हैं। दो माह से एक क्विंटल स्थानीय गेहूं के बोले जा रहे भाव 2800 रुपए से गिरकर अब दो हजार रुपए तक पहुंंच गए हैं। हालांकि दूसरे राज्यों से आने वाले सोर्टेक्स गेंहू के भाव तीन हजार रुपए प्रति क्विंटल तक बोले जा रहे हैं। राहत की बात है कि निर्यात पर रोक लगने से आगामी दिनो में गेंहू व आटे के भाव में कुछ गिरावट आ सकती है। इधर व्यापारियों का कयास है कि इस बार गेहूं के भाव पिछले साल की तुलना में सालभर ही ज्यादा रहने के आसार बने हुए हैं। कृषि मंत्रालय के अनुसार देश में गेहूं का बम्पर उत्पादन होने के बाद भी पिछले तीन माह में गेहूं ओर आटे के भाव में रेकार्ड बढ़ोतरी हुई है। जिसका असर है हर साल गर्मी के सीजन में सालभर के गेहूं का स्टॉक करने वाले लोग अब भावों में आई तेजी के कारण कतरा रहे हैं। रही सही कसर आटे के भाव में पांच सौ से सात रुपए प्रति क्विंटल की तेजी आने से हो गई। ऐसे में लोग केवल एक माह के गेहूं का स्टॉक कर रहे हैं।

युद्ध थमे तो गिरे भाव

थोक व्यापारी उमेश कुमार धूड ने बताया कि रुस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के असर से भावों पर पड़ रहा है।युक्रेन युद्ध के कारण बुवाई सीधे तौर पर प्रभावित हो गई है। जिसके कारण पहली बार बाजार में गेहूं के भाव 2800 से तीन हजार रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच है। इस समय विदेशो में गेहूं की बुवाई का सीजन चल रहा है जो अगस्त में तैयार हो जाती है। जो सितम्बर व अक्टूबर में भारत में आयात होता है। जिस कारण गेहूं के भाव साल भर िस्थर रहते हैं लेकिन इस बार वहां गेहूं की बुवाई शुरू तक नहीं हो पाई है। ऐसे में अब युद्ध थम जाए तो गेहूं के भाव में कुछ गिरावट आ सकती है।

चार हजार हेक्टेयर में कम बुवाई

सीकर जिले में पिछले साल की तुलना में चार हजार हेक्टेयर कम क्षेत्र में गेंहू की बुवाई हुई। मार्च माह में तेज गर्मी के कारण गेहूं के दाने सिकुड गए। जिस कारण शुरूआती भाव कम रहे। इसके बाद जैसे-जैसे बाजार में गेहूं की आवक कम होने लगी भाव पांच सौ रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गए। सीकर में पिछले साल 85 हजार हेक्टेयर में और इस साल 81 हजार हेक्टेयर में गेहूं की फसल का उत्पादन हुआ है। सीकर जिले में पिछले साल इस समय गेंहू के भाव 1600 रुपए प्रति क्विंटल रहे थे।

तीन गुना से ज्यादा एक्सपोर्ट

केन्द्र सरकार के अनुसार पिछले साल 21.5 लाख टन का गेहूं एक्सपोर्ट हुआ था लेकिन पिछले दिनो निर्यात पर रोक नहीं होने के कारण मार्च माह में 70 लाख टन तक पहुंच गया। 2019-20 में महज 2 लाख 17 हजार 354 टन गेहूं का एक्सपोर्ट हुआ था। थोक व्यापारियों के अनुसार सरकार के पास भी अब गेंहू का स्टॉक खाद्य सुरक्षा योजना के तहत वितरण करने योग्य जितना बचा है यही कारण इस बार गेहूं की बिक्री करने वाले सरकारी संस्था एफसीआई ने व्यापारियों को गेंहू बेचने के टेंडर तक नहीं किए। इसके अलावा मिल क्वालिटी के आटे के भाव भी 2400 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़कर 2700 रुपए प्रति क्विंटल और ब्रांडेड कम्पनियों का आटा तीन हजार रुपए से ज्यादा प्रति क्विंटल तक पहुंच गया।

इनका कहना है

देश में कम बुवाई और उत्पादन के कारण गेहूं के भाव पिछले तीन माह में रेकार्ड तेजी से बढ़े हैं। सीक में स्थानीय गेहूं दो हजार से 2200 रुपए और दूसरे राज्यों से आने वाले सोर्टेक्स गेहूं तीन हजार रुपए प्रति क्विंटल से ज्यादा हो गए हैं। इसके अलावा रूस-यूक्रेन युद्ध के असर से गेंहू के भाव में तेजी आई है। इस बार उत्पादन कम होने के कारण सालभर गेहूं के भाव तेज रहने के आसार है।

रामस्वरूप खेमका, गेहूं के थोक व्यापारी