21 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

यदि आप इस रोड पर हैं तो नहीं ले पाएंगे मंजिल

वाहन के साथ इस सडक़ से गुजरना संभव नहीं। वर्षभर में 10 लाख की लागत से बनी सीसी रोड बीच में से ढह गई। वाहन चालकों को बीच में ही वाहनों को छोडऩा पड़ता है।

2 min read
Google source verification

सीकर

image

Gaurav kanthal

Aug 04, 2019

sikar

यदि आप इस रोड पर हैं तो नहीं ले पाएंगे मंजिल

शिश्यंू. जिले में 8 दिन पहले हुई अतिवृष्टि से कोछोर से इन्द्रपुरा मालियों की ढाणी जाने वाला सडक़ मार्ग पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया। गौरतलब है कि यह सीसी रोड एक वर्ष पूर्व ही लगभग 10 लाख रुपए की लागत से बनाया गया था। पूर्व सरपंच गोविंद राम,बीरबल, महादेव कुमावत, दौलत सिंह, बनवारी लाल, रामचन्द्र का कहना है कि इस मामलेमें तहसीलदार को अवगत करवाया है। मामले को लेकर शुक्रवार को जिला कलक्लर सीआर मीणा को ज्ञापन सौंपा गया और मुख्समंत्री अशोक गहलोत के नाम पत्र भेजा गया। इधर सरपंच सांवरमल महंत का कहना है कि नदी के बहाव क्षेत्र में अतिक्रमण है जब तक अतिक्रमण नही हटेगा तब तक ऐसी घटना घटती रहेगी।
तीन माह पहले बनी सडक़ क्षतिग्रस्त,घटिया निर्माण का आरोप
चला. थोई से ग्राम छापर की ओर जाने वाले दो किमी सडक़ मार्ग इन दिनों हुई बरसात के कारण जगह-जगह से उखड़ गया है। जिससे लोगों को आवागमन में खासा परेशानी उठानी पड़ रही है। स्थानीय रोहिताश गुर्जर ने बताया कि ग्राम छापर में अनेक सालों के इंतजार के बाद तो यह सडक़ बनी लेकिन धटिया निर्माण सामग्री उपयोग के चलते यह मार्ग फि र बदहाल हो गया है। ग्रामीणों में सडक़ निर्माण को लेकर खासा आक्रोश व्याप्त है। उन्होंने कहा कि यदि सात दिवस में निर्माण को दुरूस्त नहीं किया गया तो आंदोलन किया जाएगा। इसी तरह ग्राम ठीकरिया की ओर जाने वाली तीन किमी सडक़ के दोनों ओर मोरम डालने में हुई घोर अनियमिता के कारण बरसात के कटाव के कारण सडक़ क्षतिग्रस्त हो गया है।

रेलवे क्वार्टर हुए जर्जर, कर्मचारी भयभीत
शिश्यंू. रानोली रेलवे कवार्टर आज भी मरम्मत को तरस रहे हैं। 8 वर्ष पहले बनाए गए रेलवे द्वारा तीन क्वार्टर की छत जगह-जगह से क्षतिग्रस्त हैं वहीं दीवारों के हाल बुरे हैं। रेलवे के कर्मचारी बजरंग लाल जमादार का कहना है कि वह 30 वर्ष से ड्यूटी कर रहे है लेकिन क्वार्टर बनने के बाद एक बार भी मरम्मत नही हो पाई। रेलवे के अधिकारियों को मैंने कई बार अवगत करवाया है। रात को क्वार्टर में सोते हैं तो मन में छत पडऩे का भय बना रहता है।