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सूने फ्लेट की रैकी कर चोरी करते, वाहन बदल छह से सात घंटे में तीन राज्य की सीमा पार कर जाते थे चोर

- चोर गिरोह का मुख्य सरगना अभी पुलिस पकड़ से दूर, 19 तक रिमांड पर हैं पांच आरोपी

सीकर. सीकर जिले में लगातार अंतरराज्यीय चोर गिरोह व वाहन चोर गिरोह सक्रिय हो रहे हैं। हाल ही में उद्योग नगर थाना पुलिस व डीएसटी टीम ने उत्तरप्रदेश व दिल्ली से अंजरराज्यीय चोर गिरोह के पांच आरोपियों को पकड़ा था। आरोपी आपस में एक दूसरे के रिश्तेदार थे। पुलिस पूछताछ में आरोपियों ने कई राज्याें में चोरी की वारदातें करना कबूला है। चोरों को 19 जून को न्यायालय में पेश किया जाएगा। अभी एक मुख्य आरोपी फरार है। मुख्य आराेपी के पकड़ में आने के बाद ही अंतरराज्यीय चोर गिरोह के सीकर से कनेक्शन व चोरी की वारदातों के बारे में अन्य लोगों की संलिप्तता के बारे में पता चल सकेगा।


आरोपी खुद के वाहन से आते और होटल में ठहरते-

पुलस सूत्रों के अनुसार सीकर की रेजिडेंसियों व फ्लेटों में तीन चोरी की वारदातों को अंजाम देने वाले आरोपियों ने यह कबूला है कि वे अन्य राज्यों में भी चोरी की वारदातें कर चुके हैं। आरोपियों ने पुलिस को को बताया है कि वे यूपी व बुलंदशहर से दिल्ली होते हुए कार व बाइकों से आते थे। सीकर में होटल में ठहरते और रेजिडेंसी में काम करने के बहाने से रैकी करते थे। रैकी करने के कुछ ही दिनों में आरोपी चाेरी की वारदात को अंजाम दे देते थे। पुलिस ने गत दिनों अंतरराज्यीय चोर गिरोह के पांच आरोपियों गैंग के नईम 48 पुत्र नसीम निवासी सरावा मेरठ यूपी, शाहरुख 25 वर्ष पुत्र नफीस निवासी भीमनगर बुलंदशहर, रहीस 48 वर्ष पुत्र आसमोहम्मदनिवासीदोताई हापुड़, फकरू 52 वर्ष पुत्र जमालुदीन निवासी निवाड़ी गाजियाबाद और रियाजुदीन 23 वर्ष पुत्र गाजियाबाद उत्तरप्रदेश को गिरफ्तार किया था।

गार्ड व चौकीदार से पहचान बना सूनेफ्लेट में करते थे चोरी-

चोरों ने कबूला है कि वे रेजिडेंसी के चौकीदार व गार्ड से संपर्क बनाकर उन्हें विश्वास में लेते थे। ऐसे में वे कई बार रेजिडेंसी में आते-जाते थे। फ्लेटों में यह देखते थे कि कौनसा परिवार हर दिन नौकरी के लिए बाहर जाता है फ्लेट कितने घंटे के लिए सूना रहता है। गार्ड के विश्वास होने पर वे सूनेफ्लेट में चोरी की वारदात को अंजाम देकर अलग-अलग राष्ट्रीय व लोकल रूटों से अपने वाहनों से निकल जाते थे। मोटरसाइकिल सवार को पुलिस जल्दी से रोककर पूछताछ नहीं करती थी। वे बीच-बीच में अपने जानकारों से मोटरसाइकिल व कार को बदल लेते थे ताकि किसी को जल्दी से शक नहीं हो और पकड़ में भी नहीं आ सकें। ऐसे में वे दिन में ही करीब छह से सात घंटे मोटरसाइकिल चलाकर दो से तीन राज्यों की सीमा पार कर अपने क्षेत्र में पहुंच जाते थे।