सीकर . अपनी जान की बाजी लगाकर सरहद की चौकसी करने वाले गौरव सेनानियों को जिले में हथियार लाइसेंस के लिए चक्कर काटने पर मजबूर है। दूसरी तरफ रसूखदारों को फटाफट हथियार लाइसेंस मिल रहे हैं। लालफीताशाही का आलम यह है कि जिले के 150 से अधिक सेना के सेवानिवृत्त अधिकारी, थल सेना, जल व वायु सेना, आइटीबीपी, बीएसएफ अर्द्धसैनिक बलों के जवान ऐसे हथियार लाइसेंस के लिए पांच साल से नियम-कायदों के फेर में उलझे हुए है। जबकि सेवानिवृत्ति के बाद इन्हें अपनी आजीविका के लिए लाइसेंस का गृह जिले में रजिस्ट्रेशन किए जाने का प्रावधान भी है।
इधर सेना व अर्द्धसैनिक बलों के सेवानिवृत्त जवानों को बैंक, एटीएम आदि में नौकरी करने वाले स्थानों पर उनके पहले से बने हथियारों के आर्म्स लाइसेंस का रजिस्ट्रेशन नहीं हो पा रहा है। ऐसे में जम्मू-कश्मीर, नागालैंड, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड, गुजरात आदि राज्यों में बनवाए गए आर्म्स लाइसेंस का नवीनीकरण करवाने के लिए पूर्व सैनिकों को उन राज्यों के चक्कर काटने को मजबूर होना पड़ रहा है।
सिंहासन निवासी इंडो तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) से पुलिस इंस्पेक्टर के पद से सेवानिवृत्त भंवरसिंह शेखावत आर्म्स लाइसेंस के रजिस्ट्रेशन के लिए कलक्टर, एडीएम, न्याय शाखा के चार साल से चक्कर लगा रहे है, लेकिन लाइसेंस का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ है। 2023 में आवेदनकर्ता भंवरसिंह को सूचना दिए बिना ही आर्म्स लाइसेंस की पत्रावली को निरस्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी। मजबूरी में यह श्रीनगर जाकर अपने हथियार का आर्म्स लाइसेंस का नवीनीकरण करवाना पड़ रहा हैं। गौरतलब है कि भंवरसिंह पूर्व केंद्रीय मंत्री, तत्कालीन उप राष्ट्रपति की सुरक्षा में रह चुके हैं।
नीमकाथाना इलाके के सिरोही गांव निवासी भूतपूर्व सैनिक घनश्याम यादव का सेना में नौकरी के दौरान जम्मू-कश्मीर से से आर्म्स लाइसेंस बना था। उन्होंने 2019-20 में आर्म्स लाइसेंस रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया था। उनके लाइसेंस का रजिस्ट्रेशन अभी तक अटका हुआ है। वे जिला कलक्टर कार्यालय के चक्कर लगाकर थक चुके हैं। उन्हें हर बार कोई न कोई कमी निकालकर या आश्वासन देकर टरकार दिया जाता है। ऐसे में पूर्व सैनिक पांच साल से परेशान हो रहे हैं।
जिले में हथियारों के लाइसेंस जारी करने में रसूख का खेल चल रहा है। शहर के नागरिकों व बदमाशों से धमकी मिलने वाले व्यवसाइयों को एक के बाद एक लाइसेंस जारी कर रहे हैं। इसका नमूना है कि एक से डेढ़ साल में हिस्ट्रीशीटर व गैंगस्टर रोहित गोदारा की ओर से धमकी देने के बाद आवेदन करते ही पर होटल व्यवसायी संजयसिंहखुड़ी निवासी खुड़ी लक्ष्मणगढ़, रानोली के कारोबारी कैलाश यादव व रैवासा ग्राम पंचायत के सरपंच राजकुमार सैनी को हथियार लाइसेंस जारी कर दिया गया है। यही नहीं अन्य बहुत से सिविलियन को उनके पावर व राजनीतिक रसूखात के चलते सांठगांठ कर धड़ल्ले से कुछ महीनों में ही नए आर्म्स लाइसेंस जारी किए जा रहे हैं।
शस्त्र अनुज्ञापत्र नियम के अनुसार रजिस्ट्रेशन के आवेदन के छह माह के अंदर फाइल का निस्तारण करना चाहिए। न्याय शाखा में कार्यरत कार्मिकों ने सेवानिवृत्त जवानों व अर्द्धसेनिक बलों की आर्म्स लाइसेंस की फाइलों को दबा रखा है।
जम्मू कश्मीर व नॉर्थ इस्ट के राज्यों के आर्म्स लाइसेंस की गहन जांच होती है, वहां के कलक्टर व प्रशासन से वैरिफाई किया जाता है, इसके बाद ही उनके आर्म्स लाइसेंस का यहां रजिस्ट्रेशन किया जाता है। पूर्व सैनिकों के आर्म्स लाइसेंस की संख्या अधिक होने के चलते रजिस्ट्रेशन की गति थोड़ी धीमी हो सकती है लेकिन काम कर रहे हैं। उन्हीं सिविलियन के लाइसेंस बनाए जा रहे हैं जिन्हें धमकियां मिल रही है या उनकी जान को खतरा है।
Published on:
18 Jun 2025 01:44 pm