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जिला प्रमुख अपर्णा रोलन व सीईओ रामनिवास जाट की यह बात जानने के बाद आपको राजनेताओं से होने लगेगी नफरत

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zila pramukh aparna rolan with CEO ramniwas Jat

Sikar Zila parishad News

सीकर. जिला परिषद सीकर के सदन में अफसरों को घेरने वाले हमारे माननीयों की लापरवाही का खामियाजा गांवों की जनता भुगत रही है। विभिन्न योजनाओं में मिले बजट का माननीय समय पर खर्च नहीं कर पा रहे है। इस कारण राशि वापस सरकार को जा सकती है। इस राशि से गांव-ढाणियों में कई तरह के विकास कार्य हो सकते है। लेकिन जिम्मेदारों को शायद बजट की जानकारी ही नहीं है।

जिला परिषद व पंचायत समिति लगभग 17 करोड़ के बजट का निश्चित समय पर उपयोग नहीं किया है। तिजोरी भरकर रखने वाली पंचायत समितियों में सबसे आगे पिपराली पंचायत समिति में है। यहां लगभग सवा करोड़ का बजट जमा है। लेकिन प्रधान व पंचायत समिति सदस्य वित्तिय कार्यो को स्वीकृति नहीं दिलवा पा रहे है। खामियाजा जनता को भुगतना पड़ रहा है।

इसलिए मिलता है यह बजट
ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल, आंतरिक सड़क, नाली, रोशनी, स्वच्छता, स्वास्थ्य व शिक्षा के साथ सरकारी सम्पतियों के रख-रखाव के लिए जिला परिषद को जिले की कुल राशि तीन से पांच फीसदी व पंचायत समितियों को बारह से बीस प्रतिशत हिस्सा मिलता है। शेष 80 से 85 फीसदी बजट सीधा ग्राम पंचायतों को दिया जाता है। इसका मकसद पंचायतीराज को सशक्त बनाना है।

इसलिए अटक गए काम
कई गांवों में आपसी राजनीति को कही निर्माण एजेन्सी सहित अन्य विवादों के कारण कार्य नहीं हो सके। जबकि गांवों की सरकार के जिम्मेदार खुद सरकार पर बजट नहीं देने का आरोप लगाते है। लेकिन हकीकत यह है कि वह आवंटित बजट का ही सही उपयोग नहीं कर पा रहे है।

इन मुद्दों पर नहीं होगा हंगामा
जिला परिषद व पंचायत समितियों की बैठक में विभिन्न मुद्दों को लेकर अफसरों को घेरा जाता है। लेकिन बजट होने के बाद भी स्वीकृति नहीं मिलने का मुद्दा बहुत कम गूंजता है।
सूत्रों की माने तो मार्च 2019 तक इस बजट का उपयोग नहीं होने पर गांव-ढाणियों के लोग विकास में काफी पिछड़ जाएंगे। इधर, जिम्मेदारों का कहना है कि स्वीकृति जारी करने का अधिकार तो सरकारी अधिकारियों का ही है।

09 में 03 करोड़ ही किए खर्च
जिला परिषद पंचायत समिति व ग्राम पंचायतों को तो नोटिस जारी कर रही है। लेकिन खुद की स्थिति भी ठीक नहीं है। जिला परिषद ने अब तक नौ करोड़ के बजट में से महज तीन करोड़ का ही उपयोग किया है। इससे जिला परिषद की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे है।

33 करोड़ में से 22 करोड़ खर्च
पंचायत समिति भी जनता के हितों में पैसा खर्च करने में फिसड्डी है। पंचायत समितियों ने 33 करोड़ में से महज 22 करोड़ रुपए खर्च किए है। जिला परिषद व पंचायत समितियों के पास लगभग 17 करोड़ का बजट है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों की कई समस्याओं का समाधान हो सकता है। जिले की कई ग्राम पंचायतों में पानी निकासी की समस्या है। इस बजट से आसानी से समाधान हो सकता है।

हो सकते हैं विकास कार्य
हां, यह सही है कि जिला परिषद व पंचायत समितियों के पास वित्त आयोग का लगभग 15 करोड़ का बजट है। यदि इस राशि का जल्द उपयोग नहीं किया तो इस राशि को अगले प्लान में शामिल कर लिया जाएगा। इस राशि से कई तरह के विकास कार्य कराए जा सकते हैं।
-रामनिवास जाट, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, जिला परिषद, सीकर

कई ग्राम पंचायतों ने नहीं किए खर्च
हां, कई ग्राम पंचायतों ने पैसा खर्च नहीं किया। ऐसे में अब उनसे बजट वापस मंगवाया जा रहा है। इसके बाद अब नए सिरे से उपयोग किया जाएगा। स्वीकृति के बाद भी समय पर कार्य नहीं कराने वालों को नोटिस भी जारी किए गए। ग्राम पंचायतों को विकास के कार्य प्राथमिकता से करने होंगे।
-अपर्णा रोलण, जिला प्रमुख, सीकर