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कोरोना के बाद भी नहीं थमी मौत की रफ्तार, 2020 में 788 हादसों में 358 लोगों की मौत

सीकर. लॉकडाउन के डेढ़ महीने के अंतराल में कोई हादसा नहीं हुए है। सुखद अहसास है कि इस दौरान हादसे में कोई मौत नहीं हुई। देशभर में हादसों में कमी आई। अफसोस की बात है कि कोरोना के बाद भी मौत की रफ्तार कम नहीं हो सकी है।

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road accidents - ताकि सड़क हादसों में आए कमी

road accidents - ताकि सड़क हादसों में आए कमी

सीकर. लॉकडाउन के डेढ़ महीने के अंतराल में कोई हादसा नहीं हुए है। सुखद अहसास है कि इस दौरान हादसे में कोई मौत नहीं हुई। देशभर में हादसों में कमी आई। अफसोस की बात है कि कोरोना के बाद भी मौत की रफ्तार कम नहीं हो सकी है। दो महीने तक रफ्तार के पहिए थमने के बाद भी जिले में 788 हादसे हुए है। जिले में जयपुर-सीकर हाइवे और फतेहपुर हाइवे पर करीब 27 से ज्यादा डेथ पाइंट बने हुए है। मतलब साफ हैं कि इन डेथ पाइंट पर हर दिन दो से अधिक हादसे हुए है और इन हादसों में रोजाना एक व्यक्ति की मौत हुई है। 2020 की बात करें तो 358 लोगों की हादसे में मौत हो गई और 675 लोग घायल हो गए। यह आंकडे पुलिस के ऑनलाइन रिकॉर्ड में दर्ज है। पुलिस टीम ने भी आए दिन हो रहे हादसो को लेकर इन डेथ पाइंट की पहचान की है। पुलिस मुख्यालय ने भी सीकर जिले के सर्वाधिक पांच ब्लैक स्पॉट को चिन्हित करते हुए तत्काल सूची मांगी है। ब्लैक स्पॉट को चिन्हित कर सडक़ पर कुछ बदलाव किया जाएगा। इन्हीं हादसों की रोकथाम के लिए पहली बार सप्ताह का नहीं, बल्कि महीने का यातायात सुरक्षा कार्यक्रम आयोजित किया गया है। चौंकाने वाली बात है कि रोजाना हो रहे हादसों से नेशनल हाइवे कोई सबक नहीं ले रहा है। यातायात समिति की मीटिंग में भी कोई अधिकारी नहीं पहुंच पाता है। पिछले मीटिंग में कलक्टर अविचल चतुर्वेदी ने कहा था कि बिना एनएचएआई अधिकारी के मीटिंग करने का कोई औचित्य ही नहीं है। रोड इंजीनियरिंग में कहां पर बदलाव करने है और कहां पर अवैध कट बने हुए है। ऐसे मुददों पर बातचीत करने पर बदलाव संभव हो सकता है।

1. सीकर से जयपुर हाइवे

सबसे ज्यादा वाहन जयपुर हाइवे पर तेज गति में चलते है। पिछले तीन साल में बाजौर स्टैंड के पास 11 लोगों की मौत हो गई। रानोली पुलिया व कोछोर मोड के पास 13 लोगों की मौत हो चुकी है। ठिकरिया मोड पर 13, बोपतपुरा के पास 11 व सरगोठ के पास 17 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा खाटू मार्ग, बावड़ी स्टैंड व सिमारला के पास भी तीन साल 18 लोगों की मौत हो चुकी है।

2. सीेकर से फतेहपुर हाइवे

सीकर से फतेहपुर हाइवे पर अधिकतर वाहन गलत दिशा में चलते है। पिछले तीन साल में धोद चौराहे के पास 8 लोगों की मौत, बीकानेर बाइपास व सालासर चौराहे के पास दो साल में 10 लोगों की मौत, हरसावा के पास दो साल में 11, रोहलसाहबसर के पास 9, निमावत स्कूल के पास 6, फतेहपुर में पुलिया पर 9 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा फतेहपुर से आगे भी कई कटों पर 11 लोगों की मौत हो चुकी है।

सडक़ किनारे बैठे आवारा पशु बन रहे काल

सीकर से जयपुर व फतेहपुर हाइवे पर सडक़ के दोनों ओर काफी संख्या में जगह-जगह पर आवारा पशु बैठे रहते है। आवारा पशुओं के कारण हाइवे पर बड़ी संख्या में हादसे हो रहे है। 15 दिन पहले ही हिसार से जयपुर जा रहे परिवार की गाड़ी बाजौर के पास आवारा पशु से टकरा गई। हादसे में दो लोगों की मौत हो गई थी। रानोली पुलिया पर भी अक्सर आवारा पशु के कारण हादसे होते है। दो बाइक सवार युवकों की टकरा जाने से मौत हो गई थी। नानी चौराहे पर आवारा पशु को बचाते समय कार सीधे बस से टकरा गई। हादसे में तीन लोगों की मौत हो गई थी।

वर्ष : मृतक : घायल : हादसे
2018 : 422 : 846 : 837
2019 : 462 : 944 : 992
2020 : 358 : 675 : 788

ब्लैक स्पॉट को समझ कर बदलाव करेंगे
जहां पर भी हादसे अधिक हो रहे है। उन जगहों को चिन्हित कर समझा जाएगा। वहां पर हादसे किस कारण से हो रहे है। ऐसे ब्लैक स्पॉट जहां पर थोड़ा ही बदलाव करना पड़े, वहां पर हादसों को रोकने के लिए जल्दी प्रयास करेंगे। रोड इंजीनियरिंग की समस्या हैं तो विभाग को पत्र लिखकर समस्या का समाधान कराया जाएगा।
कुंवर राष्ट्रदीप, सीकर एसपी