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सालभर पहले मरा व्यक्ति अचानक आया सबके सामने और बोला-मैं तो जिंदा हूं…देखने-सुनने वालों के उड़े होश

Dead person SIkar : मृत व्यक्ति के जिंदा होने का ये रोचक मामला राजस्थान के सीकर जिले के दांतारामगढ़ उपखण्ड का है।

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Dantramgarh News

Sikar Man

दांतारामगढ़ (सीकर). इसे मरे हुए एक साल हो गया था। जमीन का मामला राजस्व कोर्ट में चल रहा था। जब ये कोर्ट में आया तो हर कोई हैरान रह गया। अचानक मरा हुआ व्यक्ति जिंदा कैसे हो गया। ये रोचक मामला राजस्थान के सीकर जिले के दांतारामगढ़ उपखण्ड का है।
दरअसल, करीब एक साल पहले जिस व्यक्ति को कागजों में मरा हुआ बता दिया वह व्यक्ति उपखण्ड अधिकारी के सामने पेश होकर स्वयं के जिन्दा होने के प्रमाण पेश किए। इसके बाद ग्राम पंचायत ने जीवित होने का प्रमाण पत्र लेकर राजस्व की पत्रावली में लगाकर फाइल को ठीक किया।

दांता में आयोजित न्याय आपके द्वार शिविर में दांता निवासी गुल्लाराम सैनी एसडीएम के समक्ष पेश हुआ और एक प्रार्थना पत्र देकर स्वयं को जीवित बताया। प्रार्थना पत्र में बताया गया कि उसका उपखण्ड मजिस्ट्रेट के यहां जमीन का मामला चल रहा है।


उक्त पत्रावली में 19 अप्रेल 2017 सुनवाई के दौरान गुल्लाराम को बिना किसी आधार के ही मृत बता रखा है। मजिस्ट्रेट के रीडर ने पत्रावली में गुल्लाराम के मृत होने की टिप्पणी कर रखी है। गुल्लाराम ने मामले की जांच की जीवित को मृत बताने वालों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।


9 माह बाद भी नहीं बनाई ऑडिट की पालना रिपोर्ट

फतेहपुर. कोतवाली तिराहे के पास स्थित पेट्रोल पंप की जमीन का फर्जी नामान्तरण करने के मामले में अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। ऑडिट रिपोर्ट आने के नौ माह बाद भी स्थानीय अधिकारियों के द्वारा पालना रिपोर्ट नहीं भेजी गई। पटवारी व अन्य कार्मिकों को बचाने के चक्कर में अधिकारियों ने 9 माह में ना ही तो कर्मचारियों को नोटिस जारी किए व ना ही कोई आरोप पत्र तैयार किए।

ऐसे में कर्मचारियों पर होने वाली कार्रवाई कागजों तक ही सिमट कर रह गई। हालात यह है कि अधिकारियों ने फाइल का अध्ययन तक नहीं किया। बुधवार को राजस्थान पत्रिका में खबर छपने के बाद स्थानीय प्रशासन हरकत में आया। एसडीएम रेणू मीणा ने बुधवार को नामान्तरण संबंधी दस्तावेज मंगवाए। दस्तावेजों की जांच कर दोषी कर्मचारियों को नोटिस देने की तैयारी कर ली गई है। जानकारी के अनुसार 31 अगस्त 2017 को ऑडिट रिपोर्ट हुई। रिपोर्ट में पटवारी श्रवण कुमार, भू लेख अधिकारी श्रवण व नायाब तहसीलदार सुरेन्द्र सिंह मील को उक्त कृत्य के लिए दोषी मानते हुए कार्रवाई की सिफारिश थी, लेकिन अधिकारियों ने कार्रवाई तो दूर की बात दोषी कर्मचारियों को नोटिस तक जारी नहीं किए।

बुधवार को एसडीएम रेणू मीणा, तहसीलदार सुशील सैनी ने फाइल का निरीक्षण किया व दोषी कर्मचारियों को नोटिस जारी करने के आदेश दिए। गुरूवार को दोषी कर्मचारियों को नोटिस जारी किए जाएगें। गौरतलब है कि कोतवाली तिराह के पास स्थित पेट्रोल पंप के लिए जिला कलेक्टर की ओर से भूमि लीज पर आंवटित हुई थी। इसके बाद कर्मचारियों ने वर्ष 2015 में उक्त भूमि को पेट्रोल पंप मालिक के नाम कर दिया। 2017 में हुई ऑडिट की रिपोर्ट में उक्त बात का खुलासा हुआ। ऑडिट ने नामान्तरण को गलत मानते हुए दोषियों पर कार्रवाई करने की बात कही।