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जन्माष्टमी विशेष: जगन्नाथपुरी की तर्ज पर बन रहा 148 साल पुराने जगदीश मंदिर का गुंबद

सचिन माथुरसीकर. सिटी डिस्पेंसरी नम्बर दो के पास स्थित जगदीश शिरोमणी का मंदिर 148 साल पुराना है। जिसकी भगवान श्रीकृष्ण, बलराम व सुभद्रा की चंदन की मूर्तियां उड़ीसा की जगन्नाथ पुरी से लाई गई है।

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सीकर

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Sachin Mathur

Sep 07, 2023

जन्माष्टमी विशेष: जगन्नाथपुरी की तर्ज पर बन रहा 148 साल पुराने जगदीश मंदिर का गुंबद

जन्माष्टमी विशेष: जगन्नाथपुरी की तर्ज पर बन रहा 148 साल पुराने जगदीश मंदिर का गुंबद

सीकर. सिटी डिस्पेंसरी नम्बर दो के पास स्थित जगदीश शिरोमणी का मंदिर 148 साल पुराना है। जिसकी भगवान श्रीकृष्ण, बलराम व सुभद्रा की चंदन की मूर्तियां उड़ीसा की जगन्नाथ पुरी से लाई गई है। इतने लंबे अरसे बाद मंदिर पर अब एक गुंबद का निर्माण किया जा रहा है। जो भी हूबहू पुरी के जगन्नाथ मंदिर की तर्ज पर किया जा रहा है। जिस पर जगन्नाथपुरी मंदिर जैसा ही एक सुदर्शन चक्र भी स्थापित होगा। गुंबद का काम करीब 70 फीसदी पूरा हो गया है। नक्काशी व चक्र के साथ जल्द ही इसे जगन्नाथपुरी के गुंबद का रूप मिल जाएगा।

जगन्नाथपुरी से आई थी चंदन की मूर्तियां, 1885 में राजा माधोसिंह ने बनवाया मंदिर

जगदीश भगवान के मंदिर की मूर्तियां पूजारी परिवार के रामप्रताप शर्मा जगन्नाथपुरी से लाये थे। मंदिर की जगह नहीं होने पर उन्होंने सामने ही एक पेड़ के पास खुले में उनकी पूजा- पाठ शुरू की थी। एक दिन देवीपुरा कोठी की तरफ जाते हुए राजा माधोसिंह की नजर मूर्तियों पर पड़ी तो उन्होंने पुजारी रामप्रताप शर्मा से खुले में पूजा का कारण पूछा। इस पर पुजारी ने मंदिर की जगह नहीं होना वजह बताया तो राजा ने तुरंत सामने की ही जगह मंदिर के नाम कर मंदिर का निर्माण करवा दिया। उन्हीं पुजारी रामप्रताप शर्मा की पांचवी पीढ़ी के रमाकांत शर्मा अब मंदिर के महंत है।

दो परिवारों ने उठाया बीड़ा
गुंबद निर्माण में मंदिर के सामने के ही निवासी गोपाल कृष्ण माथुर व पुजारी रमाकांत शर्मा अहम भूमिका निभा रहे हैं। गुंबद व अन्य निर्माण कार्य में यहां करीब सात लाख रुपए खर्च होगा। इनमें 50 फीसदी से ज्यादा राशि पिता नवलकिशोर माथुर की समृति में गोपाल कृष्ण माथुर व उनका परिवार वहन कर रहा है। जबकि डेढ लाख रुपए पुजारी रमाकांत शर्मा ने देना तय किया है। बाकी जन सहयोग भी प्राप्त किया जा रहा है। बकौल गोपालकृष्ण माथुर बीकानेर से सेवानिवृति के बाद उन्हें भगवान ने ही सेवा का अवसर देने के लिए सीकर बुलाया है।

भाई- बहनों का एकमात्र मंदिर

जगदीशजी का मंदिर भाई- बहन के मंदिर के रूप में भी पहचाना जाता है। यह शहर का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां भगवान श्रीकृष्ण अपने भाई बलराम व बहन सुभद्रा के साथ विराजे हैं। यहां रक्षाबंधन पर बहन सुभद्रा द्वारा भाई कृष्ण- बलराम को रक्षासूत्र बांधने की परंपरा भी निभाई जाती है।