
दांतारामगढ़. ख्वाब तो लोग देखते हैं, मगर उसे हकीकत में कम ही लोग बदल पाते हैं। हम आपको मिलवाते हैं राजस्थान के सीकर की एक बेटी से जिसने आठवीं कक्षा में ही चिकित्सक बनने का ख्वाब देखा और उसे पूरा भी करके दिखाया है। यह बेटी है डॉ. नेहा शर्मा। नेहा सीकर जिले के दांतारामगढ़ की बेटी व गांव दूजोद की बहू है। इसने आठवीं कक्षा में ही अपनी डायरी में लिख दिया था कि भविष्य में डॉक्टर बनना है।
- हाल ही डॉ. नेहा शर्मा को जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल (एसएमएस) में सहायक आचार्य (महिला एवं प्रसुति रोग) के पद पर नियुक्ति मिली है।
- लगातार आठ साल तक एमबीबीएस व गायनिकी में पीजी करने के बाद आरपीएससी ने नेहा के एसएमएस में असिस्टेंट प्रोफेसर की नियुक्ति दी तो दांतारामगढ़ व दूजोद में खुशी की लहर दौड़ गई।
-डॉ नेहा शर्मा वर्तमान में हिन्दूराव मेडिकल कॉलेज में जॉब कर रही हैं। डॉ. नेहा शर्मा का जन्म 6 मार्च 1986 को दांतारामगढ़ में हुआ।
-इनके पिता सावंरमल शर्मा सरकारी शिक्षक से सेवानिवृत हैं। माता संतोष देवी दांता के राजकीय बालिका सीनियर विद्यालय में प्रधानाचार्या हंै।
-पति डॉ. कपिल शर्मा गुडगांव के वेंदांता में जीआई सर्जन हैं। ससुर बाबूलाल शर्मा सेवानिवृत पीटीआई हैं। नेहा का छोटा भाई मंयक शर्मा भी एमबीबीएस डॉक्टर है।
सरकारी स्कूल में की पढ़ाई
दसवीं कक्षा 2000 में राजकीय बालिका माध्यमिक विद्यालय व बारहवीं कक्षा दांतारामगढ़ के ही उच्च माध्यमिक विद्यालय से उत्तीर्ण की। इसके बाद कोटा के एक कोंचिंग सस्थान में कोचिंग के दौरान नेहा का चयन एआईपीएमटी में हो गया। नेहा ने असम के सिल्चर मेडिकल कॉलेज से लगातार साढ़े चार साल में एमबीबीएस कर लिया। इसके बाद उसे खाटूश्यामजी में चिकित्सक के पद पर नियुक्ति मिली लेकिन वहां ज्वाइन नहीं किया और लगातार पीजी करनें का निर्णय लेकर असम से ही डिब्रुगढ़ मेडिकल कॉलेज से 2014 में पीजी पूरी कर ली।
सफलता की कहानी, डॉ. नेहा की जुबानी
डॉ. नेहा कहती हैं कि एमबीबीएस करने के बाद जब पीजी में नम्बर आया तो मेरे बच्चा दो माह का था। पीजी करना भी जरूरी समझा और बच्चा डिब्रूगढ़ साथ नहीं ले जा सकती तो उसको नाना नानी के पास छोड़ा। मंैने आठवीं कक्षा में ही डॉक्टर बनने का ठान लिया था। 8वीं कक्षा की डायरी में लिख दिया कि मेरा लक्ष्य डॉक्टर बनना है। दांतारामगढ़ के राजकीय विद्यालय में विज्ञान के व्याख्याता नहीं थे। जयपुर जाकर कोचिंग की। कोटा में कोचिंग के दौरान 22 मासिक टेस्ट में से 18 में चांदी के मेडल हासिल किए थे।
Updated on:
28 Sept 2017 12:53 pm
Published on:
28 Sept 2017 12:44 pm
बड़ी खबरें
View Allसीकर
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
