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पूरे गांव में हर वक्त मंडरा रहा खतरा, दहशत में आए लोग लगा रहे गुहार

शहर से तीन किलोमीटर दूर नानी गांव ( Nani Village ) । यहां के लोग हर समय दहशत में रहते हैं। दहशत की वजह है सीकर शहर का गंदा पानी ( Drainage Water )।

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सीकर

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Naveen Parmuwal

Jan 13, 2020

पूरे गांव में हर वक्त मंडरा रहा इस बात का खतरा, दहशत में लोग

पूरे गांव में हर वक्त मंडरा रहा इस बात का खतरा, दहशत में लोग

सीकर.

शहर से तीन किलोमीटर दूर नानी गांव ( Nani Village ) । यहां के लोग हर समय दहशत में रहते हैं। दहशत की वजह है सीकर शहर का गंदा पानी ( Drainage Water )। यहां मिट्टी की पाल का बांध बनाकर एकत्र किया जा रहा गंदा पानी कब उनके घर और खेतों में पहुंच जाए। स्थिति यह है कि एक वर्ष में नानी का बांध करीब छह बार टूट गया। रविवार को भी बांध टूटने से खेतों और घरों में गंदा पानी भर गया। पानी ने सालासर जाने वाली सडक़ को भी क्षतिग्रस्त कर दिया, इससे एक बारगी यातायात भी बाधित हुआ। हालांकि वाहन चलने लगे, पोली सडक़ हादसे का सबब बन सकती हैं।

शहर में करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी जनता को राहत नहीं मिली है। शहर की निचली कॉलोनियों से लेकर नानी गांव तक लोग इसकी पीड़ा भुगत रहे हैं। गंदे पानी के ट्रीटमेंट के लिए शहर में दो एसटीपी बनकर तैयार हो गई। पिछले दिनों मुख्यमंत्री से शिव कॉलोनी में बनी आठ एमएलडी की एसटीपी का उद्घाटन भी करवा दिया गया, लेकिन अभी तक इस एसटीपी का जनता को कोई फायदा नहीं हुआ है।

आठ एमएलडी की एसटीपी से प्रतिदिन 80 लाख लीटर पानी ट्रीट किया जा सकता है। लेकिन उद्घाटन होने के दो माह बाद भी एसटीपी का उपयोग शुरु नहीं हो पाया है। ऐसे में नगरवलगढ़ रोड से शिव कॉलोनी का पानी लगातार नानी बांध में ही छोड़ा जा रहा है। पानी के दबाव के चलते मिट्टी से बना बांध टूट जाता है। यह ही स्थिति सालासर रोड पर बने दो एमएलडी के एसटीपी की है।

कागजों में बनी योजना, जनता परेशान
शहर को गंदे पानी से निजात दिलवाने के लिए कई योजना बनी। लेकिन अधिकतर योजनाएं कागजों में ही दफन हो गई। एसटीपी में पानी को ट्रीट होकर यहां स्मृति वन में लाए जाने की योजना करीब छह वर्ष पहले बनी थी, लेकिन योजना के फलीभूत नहीं होने से स्मृति वन के पौधे पानी के लिए तरस रहे हैं और नानी गांव के लोग गंदे पानी से परेशान है। इसके अलावा ट्रीट किए गए चार एमएलडी पानी को यूसीआईएल खंडेला को उपलब्ध करवाने के लिए 99 करोड़ रुपए की योजना बनाई गई थी। योजना के तहत सीकर से खंडेला तक वाटर सप्लाई लाइन डाली जानी थी, लेकिन अभी तक यह योजना भी कागजों में ही अटकी है।

ग्रामीण राजेश बाजिया बताते हैं कि वर्ष में करीब छह बार बांध में भरा गंदा पानी लोगों के खेतों और घरों तक पहुंच जाता है। इससे 15 हजार की आबादी के लोग दहशत में हैं। खेतों में फसल खराब हो गई। कई खेतों की तो जमीन ही इस गंदे पानी से खराब हो गई।


शहर के निचले इलाके भोग रहे हैं दंश
गंदे पानी के भराव का दंश पिछले कई वर्षों से शहर के निचले इलाकों के लोग भोग रहे हैं। शहर के राधाकिशनपुरा, शिव कॉलोनी, मोचीवाड़ा क्षेत्र के साथ जगमालपुरा रोड पर हर समय गंदा पानी भरा रहता है। शहर के बकरामंडी क्षेत्र में भी कमोबेश ऐसी ही ििस्थत है।