
प्रमोद सुंडा/ रोलसाहबसर (सीकर ). जिस गांव का पानी पीने के लायक नहीं है, वहां अंगूर, चीकू, अनार व थाई एप्पल के करीब सात सौ पेड़ तैयार हुए हैं। यहां के जमीनी पानी में इतना फ्लोराइड है कि ग्रामीण भी बरसात का पानी ही पी रहे हैं।
यह कमाल कर दिखाया है राजस्थान के सीकर जिले के फतेहपुर इलाके के बागास गांव के चार भाइयों ने। इन्होंने गांव के रेतीले धोरों (रेगिस्तान) में बगीचा बना दिया। इसके लिए उन्होंने जैविक खाद व भूजल के साथ साथ बरसात का जल भी काम में लिया। जिन पौधों को फ्लोराइड से ज्यादा नुकसान की संभावना रहती है, उनमें बरसात का जल ही देते हैं।
जानकारी के मुताबिक इलाके के बागास गांव में चार भाइयों ने गांव के पास में स्थित टीले के खेत को बगीचे में बदल दिया। गांव के टीकूराम, सीताराम, रामनिवास व शिवकुमार ने अपने खेत में थाई एप्पल, चीकू, अनार, ऑवला, बील, नींबू, खजूर, जामून, कैरुंदा के करीब एक हजार पौधे तैयार कर दिए हैं।
गांव में बंजर पड़ी 18 बीघा जमीन पर ये पौधे तैयार किए हैं। इनमें से थाई एप्पल की सिंचाई नलकूप से करते हैं और अन्य सभी पौधों की सिचाईं वर्षा जल से की जाती हैं। बरसात के पानी का संग्रहण करने के लिए खेत में सात कुंड बनवा रखे हैं। सभी पौधों की सिचाईं बूंंद-बूंद ड्रिप के माध्यम से की जाती हैं।
छोटे पौधों को मल्च से सुरक्षा
पौधें को अनावश्यक खरपतवार से बचाने व पानी के अनावश्यक शोषण को रोकने कि लिए कुछ पौधों को मल्च द्वारा सुरक्षा देकर तैयार किया जा रहा हैं। जिससे पौधों का पानी जमीन में दूसरी जगहों पर नहीं जाए।
चन्दन व अंगूर पर रिसर्च
रेतीले धोरों में उन्होंने इस साल कुछ पौधे चंदन व अंगूर के भी लगाए हैं। उन पौधों पर अब रिसर्च चल रहा है कि वे यहां कारगर होते हैं या नहीं। अगर ये पौधे तैयार कर दिए तो बाद में इनको भी काफी तादाद में लगाया जाएगा।
घर पर ही बनाते हैं जैविक खाद
इन पौधों को रासायनिक खाद न देकर खेत में ही घरेलू तरीके से खाद तैयार की जाती हैं। जिसमें बड़े ड्रम में पानी डालकर गुड़, बेसन, सरसों की खल, पीपल के नीचे की मिट्टी, गौ मूत्र डालते हैं। ड्रम को कपड़े से पन्द्रह से बीस दिन तक बंद करके रखा जाता हैं। इस खाद को पौधों में डाल दिया जाता है। पौधे तैयार करने वाले चारों भाईयों में से दो भाई टीकूराम व सीताराम रिटायर्ड हो चुके है रामनिवास व शिवकुमार अभी सरकारी सेवा में हैं। समय मिलते ही सभी भाई खेत में काम करने जाते है।
Published on:
30 Oct 2017 10:43 am
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