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घनश्याम तिवाड़ी की ये 10 बातें बयां कर रही इनकी ताकत, 38 साल पहले कांग्रेस के भी यूं ला दिए थे पसीने

Ghanshyam Tiwari Biography : राजस्थान में भाजपा से इस्तीफा देने वाले घनश्याम तिवाड़ी का सफर आरएसएस से शुरू होकर भारत वाहिनी पार्टी तक पहुंच गया है।

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Ghanshyam Tiwari Biography or Political Career

सीकर.

19 दिसम्बर 1947 को सीकर में जन्मे और यही से दो बार विधायक रहे चुके घनश्याम तिवाड़ी के राजस्थान भाजपा छोडऩे के साथ ही राजनीतिक हलकों में हलहल तेज हो गई है। सियासी गलियारों में चर्चा है कि सीकर की दो विधानसभा सीटें सीधे तौर पर घनश्याम तिवाड़ी के प्रभाव में है।

भाया के नाम से चर्चित

1. अपनों में 'भाया' के नाम से चर्चित तिवाड़ी का तोड़ ढूंढऩे की जुगाड़ में भाजपा व कांग्रेस लग गए हैं। राजनीतिक के जानकारों की मानें तो ब्राह्मण बाहुल्य वाली सीकर व फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र में सीधे तौर पर तिवाड़ी व उनके संपर्क में रहे लोग ही भाजपा से चुनाव लड़ते आए हैं।

2. ऐसे में भाजपा से किनारा करने के बाद यहां लोगों में भी चर्चा दिनभर रही कि तिवाड़ी का अगला कदम क्या होगा। भाजपा व कांग्रेस दोनों दलों से खफा कई लोग यहां सीधे तौर पर तिवाड़ी के सम्पर्क में है।

3. इधर, तिवाड़ी के इस्तीफे और नई पार्टी के ऐलान के बाद कई पदाधिकारी व कार्यकर्ता सीधे सम्पर्क में आ गए है। उन्होंने जल्द जिलाध्यक्ष को इस्तीफा देने का दावा भी किया है।

छात्र जीवन का संघर्ष विधायक तक पहुंचा

4. घनश्याम तिवाड़ी की राजनीतिक पारी की शुरुआत सीकर के कल्याण कॉलेज के छात्र संगठन के चुनावों में 1968 में रही। पहली बार कॉलेज में महामंत्री का चुनाव जीतने के बाद युवा तिवाड़ी के संघर्षों की कहानी शुरू हो गई।

5. भाजपा ने युवा नेतृत्व को मौका देते हुए पहली बार 1980 में तिवाड़ी को सीकर से प्रत्याशी बनाया। तिवाड़ी ने पहला विधानसभा चुनाव कांग्रेस के दिग्गज तथा नगरपरिषद में सभापति रहे सोमनाथ त्रिहन को हराया।

6. इस लिहाज से तिवाड़ी ने करीब 38 साल पहले ही अपने इरादे बयां कर दिए थे। 38 साल पहले कांग्रेस और अब 2018 में तिवाड़ी ने भाजपा के पसीने ला दिए हैं। इसके अलावा वर्ष 1985 में तिवाड़ी सीकर से फिर से विधायक चुने गए। इसके बाद तिवाड़ी सीकर से जयपुर पलायन कर गए।

जयपुर के बाद सीकर मुख्य मिशन

7. जयपुर में भारत वाहिनी पार्टी बनाने के साथ तिवाड़ी का अगला लक्ष्य सीकर ही है। लगातार कर्मस्थली रहे सीकर में तिवाड़ी अपने सम्र्पकों के माध्यम राजनीतिक अहमियत बनाना शुरू करेंगे।

8. तिवाड़ी से जुड़े लोगों की मानें तो सीधे तौर पर संगठन से जुड़ाव बड़े नेताओं का नहीं हो, लेकिन तिवाड़ी के काम में यहां के लोगों का हर प्रकार से सहयोग रहेगा। पिछले तीन वर्षों में तिवाड़ी के ज्यादातर कार्यक्रम भी शाकम्भरी व सीकर जिले में हुए हैं।

सीकर से जुड़ाव नहीं हुआ कम

9. सीकर से जयपुर जिले में राजनीतिक सफर शुरू करने के बाद भी तिवाड़ी का लगाव कम नहीं हुआ। सीकर भाजपा में तिवाड़ी की दखलंदाजी लगातार रही। तिवाड़ी के पसंदीदा ही भाजपा जिलाध्यक्ष तक पहुंच पाए। हालांकि इस दौरान तिवाड़ी ने सीकर भाजपा में सक्रिय अपने सम्पर्कों के माध्यम से बेटे अभिषेक को एक बार जिला कार्यकारिणी में जिला मंत्री व दूसरी बार उपाध्यक्ष भी बनवाया।

10. सरकार व तिवाड़ी के बीच टकराव की स्थिति के बाद भी सीकर के भाजपा जिलाध्यक्ष ने उनके बेटे को जिला कार्यकारिणी में पद दिया। जिसका खामियाजा बाद में जिलाध्यक्ष को भी उठाना पड़ा।