
Rajasthan Politics: सीकर जिले के पिपराली में महर्षि दयानंद सरस्वती के द्वितीय जन्म शताब्दी समारोह के अवसर पर राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने शिक्षा, संस्कृति और इतिहास पर विचार साझा किए। राज्यपाल ने कहा कि सभी लोगों को शिक्षा प्राप्त करनी चाहिए, लेकिन यह शिक्षा ऐसी होनी चाहिए, जो हमारी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े रहने में मदद करे।
उन्होंने भारतीय संस्कृति पर विदेशी आक्रमणों का जिक्र करते हुए कहा कि हमारी संस्कृति को मिटाने के लिए कई आक्रमणकारियों ने 1200 वर्षों तक प्रयास किया। मोहम्मद मीर कासिम से लेकर बहादुर शाह तक ने हमारी संस्कृति और पहचान को मिटाने की कोशिश की। उन्होंने डरा-धमकाकर धर्मांतरण कराया, लेकिन इन आक्रमणों के बावजूद लोगों की श्रद्धा और भक्ति भाव को समाप्त नहीं किया जा सका।
राज्यपाल ने नई शिक्षा नीति की सराहना करते हुए कहा कि यह भारत की सांस्कृतिक विरासत और जड़ों को बनाए रखने का प्रयास है। उन्होंने कहा कि जो शिक्षा अंग्रेजों ने बनाई थी, वह हमारी संस्कृति से पूरी तरह अलग थी। थॉमस मैकाले ने ऐसी शिक्षा पद्धति तैयार की, जिसमें हमारी परंपराओं, वेदों और पुराणों का स्थान नहीं था। लेकिन केंद्र सरकार की नई शिक्षा नीति ने इस कमी को पूरा करने का प्रयास किया है। अब हम आधुनिक ज्ञान के साथ अपनी सांस्कृतिक धरोहर को भी संरक्षित कर रहे हैं।
इस कार्यक्रम में राज्यपाल हरिभाऊ बागड़े ने महर्षि दयानंद सरस्वती और उनके जैसे अन्य संतों के योगदान को याद करते हुए कहा कि जब आक्रमणकारी धर्मांतरण करा रहे थे, तब सुमेधानंद सरस्वती जैसे संत लोगों को अपनी संस्कृति और धर्म से जोड़ने का कार्य कर रहे थे। उन्होंने समाज को प्रेरित किया और भारतीय संस्कृति को बचाने में अहम भूमिका निभाई।
बता दें, पिपराली में आयोजित इस समारोह में कई वरिष्ठ नेता और गणमान्य लोग मौजूद थे। इस दौरान शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने शिक्षा में सुधार और संस्कृति के संरक्षण पर बात कही। राज्यसभा सांसद घनश्याम तिवाड़ी और भूजल मंत्री कन्हैया लाल चौधरी ने भारतीय परंपराओं के महत्व पर अपनी राय रखी। इस कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी और धोद विधायक गोरधन वर्मा भी मौजूद थे।
Published on:
25 Dec 2024 06:45 pm
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