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कमाल के राजस्थान के इस सरकारी स्कूल के बच्चे, फटाफट बता देते हैं दुनिया की ऐसी-ऐसी जानकारी

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govt school news sikar

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सीकर. यह दास्तां शिक्षकों की शिद्दत और ग्रामीणों के आत्मीय सरोकार की है। जिसमें बंद होने के कगार पर पहुंची एक स्कूल को शिक्षकों और ग्रामीणों ने हौंसलों की उड़ान से सफलता की आसमां तक पहुंचा दिया है। जी, हां धोद ब्लॉक का पलथाना गांव और यहां राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक स्कूल फर्श से अर्श छूने की ऐसी ही नजीर पेश कर रहा है।

जहां आज से चार साल पहले महज 35 नामांकन पर सिमटकर स्कूल बंद होने के कगार पर पहुंच गया था। लेकिन, बंद होती अपने गांव की स्कूल के प्रति ग्रामीणों ने ऐसा जज्बा और जुनून दिखाया कि शिक्षकों का जोश उसमें शामिल होते ही स्कूल अब पूरे शिक्षा विभाग में चर्चा का सबब बन गया है।

बतादें कि स्कूल में तीन साल में ही नामांकन 9 गुना बढकऱ 300 पार पहुंच गया है। वहीं, पहली कक्षा से ही बच्चों के लिए कंप्यूटर और प्रोजेक्टर की आधुनिक पढ़ाई से लेकर खेल के लिए झूले और नए बनते मैदानों ने भी स्कूल को शिक्षा जगत में एक नई पहचान दे दी है।

पहली कक्षा से कंप्यूटर का ज्ञान, टिप्स पर याद है 64 देशों की राजधानी

ग्रामीणों और भामाशाहों के सहयोग से पलथाना स्कूल में बच्चे अब निजी स्कूल की तर्ज पर आकर्षक यूनिफॉर्म पहनते हैं। पहली कक्षा से ही यहां बच्चों को कंप्यूटर की शिक्षा के साथ स्पोकन इंग्निश का कोर्स कराया जा रहा है। वहीं, सामान्य ज्ञान की तैयारी तो ऐसी करवाई जा रही है कि छोटे छोटे बच्चे भी 64 देशों की राजधानियां अंगुलियों पर गिनकर बता देते हैं। पढ़ाने के तरीकों को लेकर भी शिक्षक यहां नवाचार करते रहते हैं।


बच्चों के स्कूल आने जाने की असुविधा को देखते हुए ग्रामीणों ने यहां तीन साल पहले ही बस स्टॉप बनवा दिया था। और इस साल भामाशाह गिरवर सिंह शेखावत ने बच्चों के लिए एक बस भेंट कर दी। अब यहां बच्चे बस से स्कूल आ-जा रहे हैं। बस में पेट्रोल का खर्च भी ग्रामीणों के सहयोग से उठाया जा रहा है।

खेलकूद पर ध्यान
स्कूल में बच्चों के खेलकूद पर भी पूरा ध्यान दिया जा रहा है। बच्चों के लिए झूले लगाने के साथ यहां ग्रामीण यहां 11 लाख 26 हजार रुपए की लागत से दौड़ के लिए ट्रेक, हैंडबॉल, खो-खो तथा बैडमिंटन का मैदान तैयार करवा रहे हैं। वहीं वरिष्ठ शिक्षक उपेन्द्र शर्मा ने कक्षा कक्ष के निर्माण के लिए अपने वेतन से डेढ़ लाख रुपए का अंशदान देने की घोषणा की है। साथ ही बच्चों की पढ़ाई के लिए प्रोजेक्टर भी भेंट किया है। वहीं भामाशाह सुखदेव प्रसाद ने भी भरपूर सहयोग दिया है। भामाशाह के सहयोग से स्कूल में अब तक 35 लाख रुपए के काम हो चुके हैं।

इनका कहना है...

ग्रामवासियों व शिक्षकों का अच्छा सहयोग मिल रहा है। पिछले दो वर्षो से बोर्ड परीक्षा परीणाम 10वीं व 12वीं का सौ प्रतिशत रहा है। विद्यालय में 400 वृक्ष लगे हुए है। तथा 35 बीघा जमीन के बाउंड्रीवाल है।

निर्मला चतुर्वेदी, प्रधानाचार्य, राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक स्कूल पलथाना

ग्रामवासियों ने जो सहयोग व विश्वास स्कूल के प्रति जताया है, उसमें स्टाप को और अधिक ऊर्जा मिली है। स्कूल स्टाफ का हर सदस्य इस विद्यालय में और अधिक सुधार कैसे हो इस पर कार्य करता है। हम यह चाहते है कि विद्यालय एक मॉडल स्कूल के रूप में उभरे जिसमें अन्य लोगों को प्रेरणा मिले। यह सब पत्रिका के नीव अभियान की प्रेरणा से संभव हुआ।

विद्यालय में कक्षा कक्षों की कमी है, जो भविष्य में ग्राम वासियों के सहयोग में पूर्ण की जाएगी। खेल के क्षेत्र में भी एक अलग स्थाना बनाया जाए। शानदार लॉन व बगिचा, छात्र संख्या देखते हुए स्कूल बस की अतिरिक्त व्यवस्था निशुल्क बोर्ड एवं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयार के लिए अतिरिक्त कक्षाएं आदि। पिछले तीन वर्षो से निशुल्क ड्रेस, स्कूल बैग एवं स्टेशनरी भामाशाह के सहयोग से वितरीत की जाती हैं।
-उपेंद्र शर्मा, वरिष्ठ अध्यापक, राजकीय आदर्श उच्च माध्यमिक स्कूल पलथाना