
प्रतीकात्मक तस्वीर: पत्रिका
सीकर। राजस्थान सरकार की राजस्थान हेल्थ स्कीम (RGHS) में मिलने वाली मुफ्त इलाज सुविधा ठप होने से प्रदेश के हजारों मरीज परेशानी में हैं। निजी अस्पतालों के कार्य बहिष्कार के कारण 25 अगस्त से मरीजों को नगद राशि देकर योजना में उपचार लेना पड़ रहा है।
नीमकाथाना के रामकिशन (56) हार्ट की जांच के लिए निजी अस्पताल पहुंचे, लेकिन वहां आरजीएचएस कार्ड मान्य नहीं किया गया। मजबूरी में कल्याण अस्पताल की ओपीडी में दिखाना पड़ा।
श्रीमाधोपुर की गीता देवी (42) की गिरने के कारण कूल्हे और गले की हड्डी टूट गई। योजना में निजी अस्पतालों के उपचार करने से मना करने पर परिजन जयपुर लेकर गए। रामकिशन और गीता जैसे सैकड़ों मरीज है जो परेशान हो रहे हैं।
आरजीएचएस योजना में कैशलेस उपचार नहीं होने की जानकारी देने के लिए कई अस्पतालों में नोटिस बोर्ड पर पर्ची तक चिपकाई गई। इससे कई गंभीर मरीज तो उपचार के लिए जयपुर या अन्य मेट्रो सिटी पहुंचे।
अकेले कल्याण अस्पताल की ओपीडी में मरीजों की भीड़ 20 फीसदी तक बढ़ गई है। जहां सरकारी अस्पतालों में संसाधन सीमित और भीड़ अधिक होने के कारण सामान्य मरीजों को परेशानी हुई।
दो माह पहले भी निजी अस्पतालों में योजना का कार्य बहिष्कार किया गया था। उसके बाद राजस्थान अलायन्स ऑफ़ हॉस्पिटल एसोसिएशनस और चिकित्सा विभाग के बीच वार्ता के गतिरोध खत्म हुआ तो सरकार ने बकाया भुगतान करने का आश्वासन दिया लेकिन समय सीमा निकलने के बाद भी योजना के तहत भुगतान नहीं होने से अस्पताल संचालक दोबारा विरोध में उतर गए और बकाया भुगतान नहीं होने तक कार्य बहिष्कार जारी रखने का निर्णय किया गया है।
निजी अस्पताल संचालकों की माने तो कर्मचारियों के वेतन से नियमित तरीके से प्रीमियम काटा जाता है लेकिन उपचार करवाने पर भुगतान में देरी की जाती है। कई बार अस्पतालों की ओर से भेजे गए योजना के क्लेम को बिना किसी उचित कारण के घटा दिया जाता है या ख़ारिज कर दिया जाता है, जिससे स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं पर भारी वित्तीय दबाव पड़ता है। कई बार योजना के नियम भी मनमाने ढंग से बदल दिए जाते हैं।
भुगतान के बिलों को अक्सर दस्तावेज अधूरे बताया जाता है लेकिन जरूरी दस्तावेजों के लिए सेवा प्रदाताओं को पहले से इसकी जानकारी भी नहीं दी जाती। नतीजा यह कि अस्पतालों को अनावश्यक नुकसान उठाना पड़ता है।
क्लेम निपटाने के लिए कोई निश्चित समय-सीमा तय नहीं है, जिससे अनिश्चितता और अतिरिक्त काम का बोझ बढ़ता है। अस्पतालों के पैनल में शामिल होने या हटाए जाने की प्रक्रिया स्पष्ट और पारदर्शी नहीं है।
निजी अस्पताल संचालकों के अनुसार योजना के तहत भुगतान अस्पतालों की ओर से भेजे गए बिलों के आधार पर हो। योजना में भुगतान की अनिवार्य समय सीमा की हो। जून 2025 तक की सभी बकाया राशि समय पर मिले। आरजीएचएस को सभी पैनल अस्पतालों में सीजीएचएस दरें समान रूप से लागू करनी चाहिए।
जिन जिलों में पांच से कम आरजीएचएस-एपैनल्ड अस्पताल हैं, या जिन तहसीलों/नगर पालिकाओं में एक भी नहीं है वहां क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट से पंजीकृत स्नातकोत्तर डॉक्टरों को ओपीडी सेवाएं देने की अनुमति दी जाए।
आरजीएचएस की मासिक समीक्षा बैठक अनिवार्य रूप से की जाए। किसी भी क्लेम को मंज़ूर करने या काटने के लिए स्पष्ट, उचित और न्यायसंगत नियम लागू हों, और तय समय सीमा में क्लेम निपटाए जाए।
राजस्थान सरकार की स्वास्थ्य बीमा योजना में सरकारी और निजी अस्पतालों में सरकारी कर्मचारियों, पेंशनर्स और आश्रितों को कैशलेस उपचार किया जाता है। जिसकी एवज सेवाकाल के दौरान तय राशि की कटौती की जाती है।
पूर्व में वार्ता के दौरान सरकार ने योजना में 31 मार्च 2025 तक के बकाया भुगतान 31 जुलाई तक जारी करने को आश्वासन दिया था, लेकिन अभी तक भुगतान नहीं किया गया है। अतः यह निर्णय लिया गया है कि जब तक बकाया भुगतान जारी नहीं होता, तब तक योजना से संबंधित कार्यों का बहिष्कार जारी रहेगा।
विशेष व्यास, सदस्य, अलायन्स ऑफ हॉस्पिटल एसोसिएशन राज.
Published on:
26 Aug 2025 03:10 pm
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