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दांतारामगढ़ (सीकर).
सब कुछ योजनानुसार हुआ। सरकार की मंशा भी ठीक रही तो जल्द ही सीकर जिले को भी हिमालय का मीठा नसीब होगा। इसके लिए कुंभाराम लिफ्ट परियोजना पर काम चल रहा है। परियोजना के तहत सीकर जिले के लोगों के हलक मीठे पानी से तर करवाने का सर्वे पूरा हो चुका है। चूरू और झुंझुनूं में पहले से ही हिमालय का पानी पहुंच चुका है।
अब शेखावाटी में सीकर की बारी है। फिलहाल माना जा रहा है कि करीब दो साल में सीकर के विभिन्न हिस्सों में भी हिमालय का पानी पहुंच जाएगा। हाल ही दांतारामगढ़ उपखण्ड क्षेत्र में कुंभाराम लिफ्ट परियोजना का सर्वे पूरा हुआ है। रामगढ़ कस्बे में पम्प हाऊस के लिए अहीरकाबास में जमीन का सर्वे किया गया है। वहीं सभी ग्राम पंचायतों में टंकी निर्माण की दिशा में भी कदम बढ़ा दिए गए हैं।
दांतारामगढ़ में भाजपा मण्उल अध्यक्ष ओमप्रकाश स्वामी ने बताया कि कुंभाराम परियोजना की डीपीआर तैयार की जा रही है। यह रिपोर्ट सरकार के पास जाएगी। इसके बाद बजट आवंटन व अन्य प्रक्रिया होगी।
अधिशासी अभियंता आरपी गौड़ ने बताया कि कुंभाराम परियोजना का सर्वे पूरा हो चुका है। सर्वे रिपोर्ट सरकार को भेजने की तैयारी है।
पेयजल का गंभीर संकट
दांतारामगढ़ इलाका डार्क जोन में है। यहां पेयजल का गंभीर संकट है। दांतारामगढ़ में ना पीने के लिए पर्याप्त पानी है और न ही सिंचाई के लिए। पेयजल के लिए पूरे क्षेत्र में त्राहि त्राहि मची हुई है। आए दिन धरना प्रदर्शन व मटके फोड़े जा रहे हंै, लेकिन जमीन में पानी रीत गया है। अब बाहर के पानी पर ही आस टीकी है। दांतारामगढ़ के लोग पीने के लिए कुंभाराम परियोजना के पानी तथा सिंचाई के लिए यमुना नदी के हिमालय के पानी की आस लगाए बैठे हैं।
मलसीसर में टूटा था बांध
कुंभाराम आर्य लिफ्ट परियोजना के तहत झुंझुनूं जिले में पानी मलसीसर होते हुए पहुंचा है। मलसीसर में परियोजना का बांध, स्टोरेज टैंक, ट्रीटमेंट प्लांट व ऑफिस आदि बनाए हुए हैं। मलसीसर डेम अप्रेल 2018 को टूट गया था, जिससे करोड़ों लीटर पानी व्यर्थ बह गया और पूरा प्रोजेक्ट पानी में डूब गया। मसलीसर बांध के पानी से झुंझुनूं शहर को भी जलापूर्ति शुरू ही हुई थी, मगर ये हादसा हो जाने के कारण पूरा प्रोजेक्ट खटाई में पड़ गया है। फिर से बांध बनने व जलापूर्ति शुरू होने में काफी समय लगेगा।
इसी साल शुरू हुई प्रक्रिया
सीकर को भी हिमालाय का पानी पीने व सिंचाई के लिए उपलब्ध करवाने को लेकर इस साल की शुरुआत में दिल्ली में उच्च स्तरीय बैठक हुई थी। जिस पर विस्तृत चर्चा की गई। मानसून के बाद यह कार्य गति पकडऩे की उम्मीद है।
Published on:
25 Jun 2018 07:44 pm
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