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डीजल संकट में फंसी जीवनदायिनी सेवा समय पर नहीं पहुंच पा रहे गंभीर मरीज

प्रदेश में जीवनदायिनी मानी जाने वाली 108 एबुलेंस सेवा दो माह से डीजल संकट से जूझ रही है। हालात यह हैं कि एबुलेंस संचालक कपनी की ओर से दिन में रोजाना महज 500 से सात सौ रुपए का डीजल भरवाया जा रहा है जबकि रात के समय तो एबुलेंस आपात स्थिति के लिए जरूरी डीजल के बिना खड़ी रहती है।

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सीकर. प्रदेश में जीवनदायिनी मानी जाने वाली 108 एबुलेंस सेवा दो माह से डीजल संकट से जूझ रही है। हालात यह हैं कि एबुलेंस संचालक कपनी की ओर से दिन में रोजाना महज 500 से सात सौ रुपए का डीजल भरवाया जा रहा है जबकि रात के समय तो एबुलेंस आपात स्थिति के लिए जरूरी डीजल के बिना खड़ी रहती है।

डीजल बचाने और एवरेज निकालने के लिए एबुलेंस चालक मजबूरन गाड़ियों को धीमी रतार से चला रहे हैं। नतीजा यह कि गंभीर मरीजों को समय पर हायर सेंटर तक पहुंचाना मुश्किल हो रहा है। कई बार देरी के कारण मरीज की हालत और बिगड़ जाती है। इसको लेकर राजस्थान एबुलेंस कर्मचारी यूनियन ने चेतावनी दी है कि समय रहते एबुलेंस में डीजल की आपूर्ति की समस्या का जल्द समाधान नहीं हुआ तो वे सेवाएं ठप कर देंगे। प्रदेश में एंबुलेंस 108 का संचालन जीवीके ईएमआरआई ग्रीन हेल्थ सर्विसेज की ओर से किया जा रहा है। सीकर जिले में 42 एबुलेंस 108 अलग-अलग लोकेशन पर लगी हुई है।

यों समझे मरीजों की परेशानी

सीकर जिला अस्पताल से हार्ट अटैक मरीज को हायर सेंटर पहुंचाने में औसतन करीब 25 मिनट की देरी हो रही है। वहीं एबुलेंस के रैफर मरीज को ले जाने के बाद बीच रास्ते में कई बार एबुलेंस का डीजल खत्म हो जाता है। जिससे एबुलेंस अपनी बेस लोकेशन पर नहीं पहुंच पाती है। जिससे क्षेत्र के लोगों को निशुल्क एबुलेंस योजना का फायदा नहीं मिल पाता है।

आरोप है कि कंपनी के कर्मचारियों की ओर से डीजल नहीं होने पर खुद के पैसे से डीजल भरवाने का दवाब बनाया जाता है। इस कारण प्रदेश में काफी कर्मचारी अपने पास से डीजल डलवा कर एंबुलेंस चला रहे है लेकिन उनको पैसे वापस नहीं दिए जाते है जिसके कारण प्रदेश के सभी एंबुलेंस कर्मचारियों में बहुत रोष है

मरीजों पर पड़ेगा भार

प्रदेश स्तर पर लबित मांगों को पूरा नहीं करने पर एबुलेंस यूनियन ने सामूहिक कार्य बहिष्कार की घोषणा की है। अस्पताल के कर्मचारियों ने बताया कि एबुलेंस 108 सेवाएं बंद होने पर सबसे ज्यादा हार्ट अटैक, स्ट्रोक और दुर्घटना में घायल गंभीर मरीज समय पर हायर सेंटर तक नहीं पहुंच पाएंगे। सरकारी अस्पतालों में गंभीर मरीजों गोल्डन आवर निकल जाएगा। गर्भवती महिलाएं हायर सेंटर तक नहीं पहुंच पाएंगी। जिससे जच्चा और बच्चा दोनो की सेहत सीधे तौर पर प्रभावित होगी। निशुल्क उपचार के लिए भर्ती मरीज को हायर सेंटर तक पहुंचाने के लिए दो से पांच हजार रुपए तक एबुलेंस सेवा के देने होंगे।

फैक्ट फाइल

1082: प्रदेश में 108 एबुलेंस

7000: हर दिन औसतन कॉल्स

30-35 लीटर प्रतिदिन प्रति एबुलेंस: डीजल खपत

20 मिनट : शहर में मरीज को अस्पताल पहुंचाने का लक्ष्य

30 मिनट: गांवों में मरीज को अस्पताल पहुंचाने का लक्ष्य

करीब 150 : डीजल आपूर्ति बाधित होने से प्रभावित एबुलेंस

समाधान नहीं होने पर सामूहिक अवकाश

मरीजों के लिए जीवनदायिनी एबुलेंस 108 के कर्मचारी संचालन करने वाली कंपनी की नीतियों के कारण आक्रोशित है। कर्मचारियों ने कंपनी को लबित मांगों का 24 अगस्त तक समाधान करने का अल्टीमेटम दिया है। ऐसा नहीं करने पर 25 अगस्त से सभी कर्मचारी सामूहिक अवकाश पर चले जाएंगे। जिससे सरकार की आपातकालीन सेवाओं पर सीधा असर पड़ेगा।

वीरेन्द्र सिंह शेखावत, प्रदेशाध्यक्ष राजस्थान एबुलेंस कर्मचारी यूनियन