
सीकर. अखिल भारत वर्षीय जाट महासभा व सर्व समाज के संयुक्त तत्वावधान में सोमवार को जाट बोर्डिंग में महाराजा सूरजमल बलिदान दिवस मनाया गया। जाट महासभा के जिलाध्यक्ष रतन सिंह पिलानियां ने बताया कि पूर्व विधायक रणमल कि अध्यक्षता में महाराजा सूरजमल बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि सभा हुई।
इसमें रणमल सिंह ने कहा कि महाराजा सूरजमल के समय में साम्प्रदायिक सौहार्द का शानदार उदाहरण मिलता है। जिसमें एक तरफ मंदिर में प्रार्थना तो दूसरी तरफ सामने मस्जिद में नमाज अदा की जाती थी। जाट महासभा के प्रवक्ता बीएल मील ने उनकी सोच एवं भवन कला निर्माण के बारे में बताते हुए कहा कि उनके द्वारा निर्मित लोहागढ़ जिसको अंग्रेजों द्वारा तेरह बार हमले करने के बावजूद भी जीत नहीं पाए थे।
मुख्य वक्ता प्रोफेसर जवाहर सिंह जाखड़ ने महाराजा सूजरमल के दबंग, आत्मविश्वास व युद्ध कौशल का माहिर थे, जिन्होंने अपने जीवन में 27 युद्ध लड़े और विजय रहे। गोष्ठी को महावीर पुरोहित, रफीक गौड़, अनंतराम पिलानिया, नवल राम गुर्जर, महेश सांूख, पूर्णमल सुंडा, हरदयाल सिंह, रवि बिजारणियां, गोरधन गोदारा, नाथूराम बिजारणियां, रिछपाल सिंह तेतरवाल, बनवारी लाल पिलानियां, महावीर कड़वासरा, बनवारी बड़वासी, मदन गढ़वाल ने भी संबोधित किया।
अंत में पूर्व राज्यपाल बीएल जोशी के निधन पर मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई। इससे पहले सूरजमल फाउंडेशन द्वारा कस्तुरबा सेवा संस्थान में फल वितरण व मनसुख स्मृति संस्थान की अध्यक्ष दुर्गा रणवां के नेतृत्व में स्मृति वन में वृक्षारोपण किया गया।
वहीं अखिल भारत वर्षीय जाट महासभा की ओर से भी महाराजा सूरजमल की जयंती मनाई गई। कार्यक्रम को जिलाध्यक्ष रामनिवास जाखड़, कैलाश ढाका, बलबीर थोरी, मनफूल नेहरा, सुधीर हरितवाल, राजेन्द्र कुमार, सचिन जाखड़, उम्मेद पिपराली व देवीलाल महला सहित अन्य ने संबोधित किया।
जानिए लोहागढ़ किले की खासियत
लोहागढ़ का ऐतिहासिक किला राजस्थान के भरतपुर में स्थित है। यह मिट्टी से बना हुआ है। खास बात यह है कि इसे अजेय दुर्ग भी कहा जाता है, क्योंकि अंग्रेज 13 बार के आक्रामण के बाद भी इसे जीत नहीं पाए थे। किले के चारों ओर मिट्टी के गारे की मोटी दीवार बनी हुई है। आक्रामण करने वाले जब कोई तोपों से गोले दागते थे तो वे मिट्टी की दीवार में फंस जाते थे। किले की दीवारों के पास पानी भी भरा हुआ है। दीवारे सपाट हैं। इससे किले में दुश्मनों का प्रवेश कर पाना बेहद मुश्किल है।
Updated on:
26 Dec 2017 11:30 am
Published on:
26 Dec 2017 11:18 am
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