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सिर्फ सोच पर टिकी है दुनिया…जैसा भाव रखेंगे वैसी दिखेगी

जीवन में भावनाओं या सोच का प्रभाव कार्य के परिणाम पर असर डालता है। क्रियानीति से महत्वपूर्ण हमेशा लक्ष्य होता है। व्यक्ति जैसी भावनाएं, सोच-विचार व चिंतनधारा होगी, वैसे ही उसके परिणाम होंगे।

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सीकर

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Gaurav kanthal

Aug 04, 2019

sikar

सिर्फ सोच पर टिकी है दुनिया...जैसा भाव रखेंगे वैसी दिखेगी

सीकर. स्थानीय पाŸवनाथ भवन में अपने मंगल प्रवचनों में आर्यिका विभाश्री माताजी ने कहा कि जीवन में भावनाओं या सोच का प्रभाव कार्य के परिणाम पर असर डालता है। क्रियानीति से महत्वपूर्ण हमेशा लक्ष्य होता है। व्यक्ति जैसी भावनाएं, सोच-विचार व चिंतनधारा होगी, वैसे ही उसके परिणाम होंगे। उन्होंन कहा कि एक पत्थर तोडऩे के लिए तीन कारीगर लगे थे। जब तीनो से उनकी भावनाओं को जाना गया तो पहले की सोच में पत्थर तोडऩे का असर हो रहा था, दूसरे का ध्यान आजीविका कमाने पर था, लेकिन तीसरे की सोच में पत्थर से परमात्मा की प्रतिमा गढऩे का असर हो रहा था।
भावनाओ के अनुसार ही कर्मबंध की भिन्नता हुई और उसी अनुसार कर्मफल में भी भिन्नता आई। जहां पर कषायों की मंदता होती है, वहां सोच विचार विशुद्ध व पवित्र हुआ करते है। जैसी सोच वाला व्यक्ति जहां बैठा होता है, वैसा ही वातावरण चारों ओर निर्मित होता है।
व्यक्ति का व्यवहार निरंतर विनम्र होगा तो सामने वाला भी आपसे विनम्र व्यवहार करेगा। अजीत जयपुरिया ने बताया कि शनिवार को मांगलिक क्रियाए करने का सौभाग्य गुवाहाटी प्रवासी एवं सीकर निवासी इन्द्रचन्द, नेमीचंद, विकास कुमार अजमेरा परिवार को प्राप्त हुआ।
71 सौ पार्थिव शिवलिंग अनुष्ठान सम्पन्न
नीमकाथाना. गांव मानपुरा में शिव भक्त युवा मंडल समिति व समस्त ग्राम वासियों द्वारा आयोजित तीन दिवसीय 7100 पार्थिव शिवलिंग का पूजन अनुष्ठान का शनिवार को समापन हुआ। इस मौके पर साध्वी अखिलेश्वरी दीदी मां ने अभिषेक के महत्व को बताते हुए कहा कि शिव पुराण में भगवान शिव ने स्वयं कहा है कि सभी प्रकार की आसक्तियों से रहित होकर जो उनका जल से अभिषेक भी करता है वह सभी कामनाओं को प्राप्त करता है। पूजन के अंतिम दिन दीदी मां ने शिव के 108 नाम बताकर शिव नाम की महिमा व अभिषेक के महत्व को बताया।
श्रीमाधोपुर. कस्बे में श्रीमद भावगत कथा का समापन शनिवार को पूर्णाहुति महायज्ञ के साथ हुआ। पवन गोकुलका ने बताया कि इस दौरान आठ जोड़ों ने महायज्ञ में आहुतियां देकर पुण्य लाभ कमाया। सात दिवसीय भागवत कथा के दौरान चढावें की राशि को गोहितार्थ श्रीकृष्ण गोशाला में समर्पित किया।