6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Rajasthan Assembly Election: फ्लोराइड का खौफ इतना…लोग बेटियां ब्याहने से बचते, खाड़ी देश कमाने जाते

सीकर और धोद के बाद हम फतेहपुर तहसील पहुंचे। हाईवे की सर्विस लेन पर खड़े वाहन थे, तहसील से कई वकील फाइलों के साथ आ-जा रहे थे। हम भी एक वकील साहब के पास कुर्सी खींचकर बैठ गए। वहां चार-पांच लोग पहले से जमे थे।

3 min read
Google source verification

सीकर

image

arun Kumar

Jun 25, 2023

jaipur_to_sikar.jpg

अरुण कुमार
Rajasthan Assembly Election 2023 : सीकर और धोद के बाद हम फतेहपुर तहसील पहुंचे। हाईवे की सर्विस लेन पर खड़े वाहन थे, तहसील से कई वकील फाइलों के साथ आ-जा रहे थे। हम भी एक वकील साहब के पास कुर्सी खींचकर बैठ गए। वहां चार-पांच लोग पहले से जमे थे। हमने यहां की प्रमुख समस्याओं पर बात की तो वकील साहब अपने काले-पीले दांत दिखाते हुए बोले, हमने कभी सुपारी तक नहीं खाई, मगर दांत देखकर कोई यकीन नहीं करता। सब फ्लोराइड की देन है। यहां 50 साल में लोगों की हड्डियां टेढ़ी होने लगती है। लोग अपनी बेटियां ब्याहने से डरते हैं। एक दशक पहले तक यहां कुंवारों की फौज थी। सेना में भर्ती होने पर कुछ लोगों का ब्याह हो गया मगर तमाम कुंवारे अभी भी हैं।

अमूमन एक पीपीएम से ज्यादा फ्लोराइड वाला पानी पीने लायक नहीं होता, मगर यहां के पानी में तो छह पीपीएम तक फ्लोराइड है। सरकार ने कुछ आरओ लगावाए, मगर सब बेकार पड़े हैं। लोग 20 लीटर का कैन खरीदकर पानी पीते हैं। हालांकि लोगों को कई योजनाओं का लाभ मिल रहा है, लेकिन चिरंजीवी योजना से यहां लोगों को खास फायदा नहीं हो रहा। इलाज के लिए जयपुर या सीकर जाना मजबूरी है।

वकील साहब अपनी बात खत्म करते कि स्टूडियो चलाने वाले राकेश शर्मा बोले, भाईजी बारिश में यहां हफ्तों सडक़ नहीं दिखती। बारिश के पानी की कोई निकासी नहीं है। इस बार बजट में डे्रनेज सिस्टम पास हुआ है, मगर कब तक बनेगा पता नहीं। चुनाव के बाद पता नहीं किसकी सरकार हो, कहीं डे्रनेज सिस्टम अटक न जाए।
यह भी पढ़ें : Rajasthan Assembly Election: दो मार्ग पर दो सौ इंस्टीट्यूट, दर्द भी दो...नवलगढ़ पुलिया और कोल्ड स्टोरेज


तहसील से बाहर कुछ लोगों से यहां की अर्थव्यवस्था पर बात हुई तो पता चला कि यहां के अधिकांश लोग खाड़ी देशों में कमाने चले गए। अधिकतर लड़कियां नर्सिंग करने केरल चली गईं और वहीं बस गईं। फतेहपुर का प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) देश में प्रसिद्ध है, मगर पानी की कमी से कभी उद्योग का विकास ही नहीं हो पाया। सरकार अभी भी चाहे तो उद्योग विकसित हो सकते हैं। इससे हजारों लोगों को यहीं रोजगार मिल जाएगा।

हवेलियों की करोड़ों रुपयों की गोल्डन पेंटिंग का जिक्र करते हुए करीब 75 साल के धर्मवीर ने बताया कि यहां खाली पड़ी हवेलियों में करोड़ों रुपयों की नक्काशी और पेंटिंग्स हैं, मगर कोई देखने वाला नहीं। सरकार चाहे तो यहां फतेहपुर-रामगढ़ और मंडावा को पर्यटन का स्वर्णिम त्रिभुज बना सकती है। इससे देश-विदेश से पर्यटक आएंगे और लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
यह भी पढ़ें : Rajasthan Assembly Election 2023 फिर वही पानी की कहानी...खाड़ी देशों में ले गई जिंदगानी, हारे का सहारा खाटूश्याम

फतेहपुर से हम पहुंचे लक्षमणगढ़ चौराहे पर। यहां निजी और सरकारी बसों का जामावड़ा ऐसा था कि निकलना मुश्किल हो गया। चौराहे से करीब 150 मीटर पर भामाशाह काशीप्रसाद मुरारका ने पांच करोड़ की लागत से अत्याधुनिक बस स्टैण्ड बनवाया है, लेकिन यहां रोडवेज बसें कभी-कभार ही आती हैं। एक्सप्रेस बसें तो चौराहे से ही निकल जाती हैं। खास बात है कि लक्षमणगढ़ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंदसिंह डोटारसा का विधानसभा क्षेत्र है, मगर चौराहे से बस्ती तक एक भी रोड लाइट नहीं जलती। रात में किसी को चौराहे से एक किमी दूर बस्ती तक जाना हो तो ऑटो वाले 300 रुपए मांगते हैं। बजट में सबसे ज्यादा सौगात लक्षमणगढ़ को मिली, मगर हालात दयनीय हैं। बातचीत में ही लक्षमणगढ़ के सुमेरू सिंह बोले, यहां स्थिति इतनी खराब है कि एक विभाग सडक़ बनाता है तो दूसरा तोडऩे पहुंच जाता है। सरकारी अफसर मजे कर रहे हैं। आमजन योजनाओं के लाभ के लिए भटक रहे हैं। बुजुर्ग पेंशन, फ्री बिजली आदि का लाभ भी सक्षम लोग ही ले पा रहे हैं।

चुनावों से जुड़ी अन्य खबर पढ़ने के लिए क्लिक करें...