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कायमखानी : मुसलमानों की इस कौम का राजपूतों से है खास कनेक्शन, जानें

कायमखानी समाज के प्रथम पुरुष और महान योद्धा नवाब कायम खां 14 जून 1419 ई. को शहीद हुए थे, उनकी याद में ही कायमखानी कौम 14 जून को हर वर्ष नवाब कायम खां डे मनाती है।

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Sikar News : सीकर. राजस्थान रण की भूमि रही है और इस भूमि में कई वीर जातियों और समाजों का इतिहास इस तरह का है कि उस पर हर राजस्थानी को गर्व है। राजस्थान में कई वीर जातियां और समाज रहे है उन्हीं में से एक है ज्कायमखानीज्। कायमखानी कौम का इतिहास करीब 668 साल पुराना है लेकिन इतिहास में हुए कई युद्धों में कौम के इतिहास का जल जाना, वंशावली का सही से अंकित नहीं होना जैसे कई कारण है जिनके चलते आज मार्शल कौम ज्कायमखानीज् के बारे में लोगों की जानकारी बहुत कम है। इसी कौम से ताल्लुक रखने वाले स्वामी विवेकानंद पर पीएचडी और देश- विदेश में शोध कार्य करने वाले भीमसर गांव के डॉ. जुल्फिकार कायमखानियों के 668 सालों के इतिहास एवं संस्कृति पर काम कर रहें हैं। डा. जुल्फिकार ने बताया कि कायमखानियों के 668 साल पुराने इतिहास एवं संस्कृति पर 14 विषयों पर दो चरणों में पूरा होगा।

कायमखानी कौन हैं?
कायमखानी वंश का उद्भव करीब 668 वर्ष पूर्व हुआ था। चूरू जिले में 'ददरेवा' नामक स्थान है जहां मोटेराव चौहान नामक राजा शासन करता था, उनके पुत्र राणा कर्मचंद फिरोजशाह तुगलक के समय 1356 ई. में इस्लाम धर्म कबूल कर कायम खां बने। बाद में कायम खां के दो भाई जैनुदीन खां व जुबैरुदीन खां ने इस्लाम धर्म अपनाया, इन्हीं की संतान आगे चलकर कायमखानी कहलाई। कायमखानी समाज दो रीति-रिवाजों का मेल है। इसमें छठी की रस्म, भात, आरता जैसे कई संस्कार और रीति-रिवाज राजपूतों से है। इसका कारण यह बताया जाता है कि कर्मचंद कायम खां तो बन गए लेकिन राजपूताना गौरव से नाता जोड़े रखा। 13वीं सदीं से लेकर अब तक राजपूतों के साथ कायमखानियों का अटूट रिश्ता बना हुआ है।

14 जून को मनाते हैं कायम खां डे
कायमखानी समाज के प्रथम पुरुष और महान योद्धा नवाब कायम खां 14 जून 1419 ई. को शहीद हुए थे, उनकी याद में ही कायमखानी कौम 14 जून को हर वर्ष नवाब कायम खां डे मनाती है।

जिले के पहले कायमखानी रत्न डॉ. जुल्फिकार
भीमसर गांव के युवा लेखक व चिन्तक डॉ. जुल्फिकार राजस्थान कायमखानी शोध संस्थान जोधपुर के सातवें कायमखानी प्रतिभा समान समारोह में कायमखानी समाज के सर्वोच्च समान 'कायम रत्न' से समानित हो चुके है। डा. जुल्फिकार को यह समान 2015 में पूर्व मंत्री युनूस खां व पूर्व आईजी व मंत्री लियाकत खां ने कायमखानी समाज को गौरवान्वित करने पर दिया। झुंझुनूं जिले में यह समान प्राप्त करने वाले डॉ. जुल्फिकार पहले कायमखानी हैं।

एक्सपर्ट व्यू : मार्शल कौम है कायमखानी
कायमखानी मार्शल कौम है। इस कौम का इतिहास करीब 668 साल पुराना है। अब यह ऐतिहासिक काम 14 विषयों पर दो चरणों में पूरा होगा। इससे समाज के कई अनछुए पहले सामने लाने के प्रयास किए जा रहे हैं।- डॉ. जुल्फिकार, शोधकर्ता