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अलार्म बजा तो मच गई अफरा तफरी, कल्याण अस्पताल में 30 मिनट मॉकड्रिल कर मुस्तैदी को परखा

सीकर. अस्पताल में आगजनी और दुर्घटना से निपटने से बचाव के लिए मंगलवार को सीकर मेडिकल कॉलेज से सबद्ध कल्याण अस्पताल में मॉक ड्रिल हुई। मॉक ड्रिल सुबह दस बजे शुरू होने के बाद करीब 30 मिनट तक चली। इस दौरान आग लगने की स्थिति में मरीजों, स्टाफ और उपकरणों की सुरक्षित निकासी का अभ्यास किया गया।

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सीकर. अस्पताल में आगजनी और दुर्घटना से निपटने से बचाव के लिए मंगलवार को सीकर मेडिकल कॉलेज से सबद्ध कल्याण अस्पताल में मॉक ड्रिल हुई। मॉक ड्रिल सुबह दस बजे शुरू होने के बाद करीब 30 मिनट तक चली। इस दौरान आग लगने की स्थिति में मरीजों, स्टाफ और उपकरणों की सुरक्षित निकासी का अभ्यास किया गया। ड्रिल में राजस्थान चिकित्सा शिक्षा सोसाइटी (राजमेस) की टीम, फायर बिग्रेड के अधिकारी, अस्पताल स्टॉफ और चिकित्सक शामिल हुए। ड्रिल शुरू होने के साथ ही फायर अलार्म बजाया गया और निर्धारित प्रक्रिया के तहत कर्मचारियों को आग व आपदा के हालात से निपटने के बारे में बताया। प्रायोगिक तौर पर कर्मचारियों का रेस्पोंस टाइम जांचा गया। मॉक ड्रिल में राजमेस की अतिरिक्त निदेशक एकेडमिक डॉ. ममता, जयपुर से आई टीम, कल्याण अस्पताल अधीक्षक डॉ. केके अग्रवाल, डॉ. रामरतन यादव, डॉ. देवेन्द्र दाधीच सहित स्टॉफ शामिल रहा। इसके बाद टीम ने अस्पताल में ओपीडी, साफ-सफाई और नए अस्पताल के निर्माण की प्रगति जानी। टीम ने जनाना अस्पताल में प्रभारी डॉ. राजेश मीणा की अगुवाई में व्यवस्थाएं देखी। टीम बुधवार को सांवली मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण करेगी।

इनका दिया प्रशिक्षण

झालावाड़ के आईसीयू में आग लगने के बाद प्रदेश स्तर से जिला अस्पतालों में आगजनी से निपटने के लिए मॉक ड्रिल की जा रही है। जिसमें आग लगने पर शुरुआती 5 मिनट में की जाने वाली कार्रवाई, शॉर्ट-सर्किट, ऑक्सीजन पाइपलाइन और गैस सिलेंडर से लगने वाली आग पर नियंत्रण की तकनीक, पुल, ऐम, स्कवीज, स्वीप तकनीक से अग्निशमन सिलेंडर का उपयोग, खुद की घबराहट रोकर मरीजों को प्राथमिकता से बाहर निकालने, धूंआ होने पर रैंगकर बाहर निकलने के बारे में जरूरी प्रशिक्षण दिया जा रहा है। विभाग का मानना है कि देश में हर साल अस्पतालों में आग लगने की लगभग करीब दो दर्जन घटनाएं हो जाती है। जिनमें रेस्पोंस टाइम में देरी के कारण जलने और धुएं से मौत का आंकड़ा बढ़ जाता है। इसलिए इस प्रकार का प्रशिक्षण देने से मौत के मामलों में करीब 60 प्रतिशत तक कमी आ सकती है।

ये मिली खामियां......

कल्याण अस्पताल में लगाए गए फायर फाइटिंग सिस्टम से परिसर में ओपीडी से लेकर प्रत्येक वार्ड तक लाइन बिछाई गई है। सिस्टम के तहत अस्पताल मे आग बुझाने के लिए पानी का टैंक है तो लेकिन अस्पताल में नया भवन बनाए जाने के कारण अभी फायर फाइटिंग सिस्टम शुरू नहीं है। इसलिए अस्पताल परिसर में जगह- जगह आग बुझाने वाले सिलेंडर लगाए हुए हैं।

इनका कहना है

अस्पताल में नए भवन के निर्माण के कारण फिलहाल फायर फाइटिंग सिस्टम सक्रिय नहीं है। फायर फाइटिंग सिस्टम की खामियों को नगर परिषद के जरिए पूरा करवाया जाएगा। इसके लिए पत्र लिखा गया है।

डॉ. केके अग्रवाल, अधीक्षक कल्याण अस्पताल, सीकर