
प्रतीकात्मक तस्वीर
सीकर। वरिष्ठ शिक्षक से व्याख्याता पद पर पदोन्नति के लिए शिक्षा विभाग की तैयारी ने राजस्थान की 5657 स्कूलों की चिंता बढ़ा दी है। ये वे स्कूल हैं जो पिछले पांच साल में सीनियर सैकंडरी में क्रमोन्नत हुए थे। पर अब तक उनमें व्याख्याता पदों की वित्तीय स्वीकृति नहीं मिली है। जिसके चलते वरिष्ठ शिक्षकों की पदोन्नति के बाद भी उन्हें व्याख्याता नहीं मिल पाएंगे। ऐसे में शिक्षक संगठनों ने पदोन्नति के साथ उन स्कूलों के पदों की वित्तीय स्वीकृति की मांग की है।
पदोन्नति के लिए शिक्षा विभाग ने आरपीएससी को 2021-22 व 2022-23 की दो सत्र की बकाया पदोन्नति की ही सिफारिश भेजी है। इसके बाद भी 2023-24 की बकाया व 2024-25 की नियमित डीपीसी फिर भी बाकी रहेगी। जिसकी वजह शिक्षकों के दो से अधिक संतानों का मामला कोर्ट में विचाराधीन होना है। शिक्षक संगठनों ने मांग की है कि मामले से जुड़े शिक्षकों को छोड़कर बाकी शिक्षकों की बाकी दो सत्रों की भी डीपीसी शिक्षा विभाग को साथ करनी चाहिए।
पिछले पांच साल में 3832 माध्यमिक व 1825 उच्च प्राथमिक स्कूलें उच्च माध्यमिक में क्रमोन्नत हुई है। इनमें 18 हजार से ज्यादा व्याख्याताओं की नियुक्ति होनी है। पर पदों की वित्तीय स्वीकृति जारी नहीं होने से इन स्कूलों को इन पदों का अब तक इंतजार है।
वरिष्ठ शिक्षकों की व्याख्याता पद पर पदोन्नति से ग्रेड थर्ड शिक्षकों की पदोन्नति की राह भी खुलेगी। ये डीपीसी भी चार साल से बाकी है। अभी प्रदेश में वरिष्ठ शिक्षकों के 33 हजार पद खाली है, जो डीपीसी के बाद और ब़ढ़ जाएंगे।
शिक्षा विभाग द्वारा डीपीसी की पात्रता सूची जारी नहीं करने पर भी सवाल खड़े हो गए हैं। ऐसे में पात्र शिक्षक डीपीसी से बाहर होने पर भी उस पर आपत्ति नहीं कर सकेंगे। लिहाजा शिक्षकों ने डीपीसी से पहले पात्रता सूची जारी करने की मांग भी की है।
क्रमोन्नत स्कूलों में पदों की वित्तीय स्वीकृति के साथ शिक्षा विभाग को चारों सत्र की डीपीसी साथ करनी चाहिए। इससे शिक्षकों के साथ शिक्षण व्यवस्था को भी फायदा होगा।
बसंत कुमार ज्याणी, प्रदेश प्रवक्ता राजस्थान वरिष्ठ शिक्षक संघ, रेस्टा।
Updated on:
09 Oct 2024 01:58 pm
Published on:
09 Oct 2024 01:26 pm
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