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अन्तराष्ट्रीय प्रतियोगिता में चयन, लेकिन रुपयों ने रोका रास्ता

सीकर. राजस्थान के सीकर जिले के पाटन कस्बे के एक खिलाड़ी के साथ कुदरत के बाद अब सरकार खिलवाड़ कर रही है।

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अन्तराष्ट्रीय प्रतियोगिता में चयन, लेकिन रुपयों ने रोका रास्ता


सीकर. राजस्थान के सीकर जिले के पाटन कस्बे के एक खिलाड़ी के साथ कुदरत के बाद अब सरकार खिलवाड़ कर रही है। शीशराम नाम का इस शख्स को पहले तो कुदरत ने दिव्यांग बना दिया। अब जब उसने अपनी मेहनत और लगन के बूते पैरा ओलंपिक वॉलीबॉल में चयन पा लिया है, तो उसे वहां तक पहुंचाने में सरकार का प्रशासन कोई मदद नहीं कर रहा है। बतादें कि भारतीय पैरालंपिक वॉलीबॉल फेडरेशन ने भारतीय टीम में शीशराम का चयन किया है। जिसके लिए प्रशिक्षण भी शुरू हो चुका है। शीशराम ने बताया कि भारतीय टीम में खेलना उसका शुरू से ही सपना रहा है।

चार साल से कॅरियर की दौड़
शीशराम पिछले चार साल से वॉलीबॉल खेल में अभ्यास के जरिए कॅरियर बना रहा है। वर्ष 2015 तथा 2016 में राजस्थान टीम से खेलते हुए उसने दूसरा स्थान प्राप्त किया था। जबकि 2017 में राजस्थान टीम से खेलते हुए उसने स्वर्ण पदक प्राप्त किया था। इन प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन के आधार पर शीशराम को राष्ट्रीय टीम के लिए लगे चयन शिविर में शामिल किया गया। लगातार बेहतर प्रदर्शन के कारण भारतीय पैरालंपिक वॉलीबॉल फेडरेशन ने शीशराम से प्रभावित होकर का उसका चयन मौजूदा समय में भारतीय टीम के लिए कर लिया। लेकिन, अब उसके सपने बिखरते दिख रहे हैं।

प्रतियोगिता में पहुंचने के लिए किराया तक नहीं
शीशरात के परिवार की आर्थिक हालत काफी खराब है। वह टीम के प्रशिक्षण शिविर में तो शामिल होने के लिए तो रवाना हो गया। लेकिन उसके पास अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए किराये तक की राशि नहीं है। जबकि फैडरेशन ने साफ कर दिया है कि रुपया जमा कराने पर ही अन्तरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में शामिल हो सकता है। ऐसे में रुपयों की कमी उसके सपनों की राह में सबसे बड़ा रोड़ा बन गई है। ऐसे में रुपयों की कमी उसके सपनों की राह में सबसे बड़ा रोड़ा बन गई है।