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मिलिए चौथी पास देसी वैज्ञानिक से, घर बैठे-बैठे कर डाला बड़ा आविष्कार

Desi Jugad Machine Sikar : लक्ष्मणगढ़ तहसील के बड़ा गांव नेशनवा निवासी शिवराम सिंह शेखावत हैं। जो महज चौथी तक पढ़े-लिखे और पेशे से मजदूर हैं।

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Sikar Man Made automatic circuit for water tank

Sikar Man Made automatic circuit for water tank

जोगेन्द्र सिंह गौड़
सीकर. सफलताएं हासिल करने के लिए किताबी ज्ञान से हासिल योग्यता का होना ही जरूरी नहीं है। इंसान चाहे तो अपने अनुभव के आधार पर भी बड़े काम को अंजाम दे सकता है। इसकी जीती जागती मिसाल लक्ष्मणगढ़ तहसील के बड़ा गांव नेशनवा निवासी शिवराम सिंह शेखावत हैं। जो महज चौथी तक पढ़े-लिखे और पेशे से मजदूर हैं। लेकिन, इनका जुगाडू हुनर इतना बेजोड़ है कि इस अनूठे नवाचार से बिजली बचाने के साथ-साथ पानी की एक-एक बूंद को भी सहेजा जा सकेगा।

जी हां, खेती और मजदूरी करने वाले शिवराम ने बिजली का एक ऐसा सर्किट बनाया है। जिसको पानी की टंकी में फिट करने के बाद यह ऑटोमेटिक काम करेगा। इसके बाद न तो पानी भरने के लिए आपको जल्दी उठना पड़ेगा और ना ही मोटर से पानी चढ़ाते समय आपको टंकी भरने की चेकिंग बार बार करनी होगी। यहां तक यदि आप नींद में या घर के बाहर हैं, तो भी आपकी मोटर टंकी में पानी चढ़ाकर अपने आप बंद भी हो जाएगी।

बतौर शिवराम सर्किट सिस्टम में एक सिरा तार के जरिए मोटर से तो दूसरा पानी की टंकी से जोड़ा गया है। पानी की उपलब्धता के आधार पर टंकी पर लाल और हरे रंग के सिग्रल तैयार किए हैं, जो मोटर को चलने और बंद होने में मदद करते हैं। यह मॉडल काम भी बिल्कुल सटीक ढंग से करता है। इसके लिए बस आपको अपनी पानी की मोटर का बटन हमेशा ऑन रखना होगा। जैसे ही टंकी में पानी की मात्रा क्षमता से आधी होगी, तो टंकी में लाल सिग्रल के साथ मोटर अपने आप शुरू हो जाएगी।

फिर जैसे ही पानी का लेवल ऊपर जाएगा तो एक सीमा पर आने के बाद टंकी का ग्रीन सिग्नल ऑन हो जाएगा और पानी की मोटर भी अपने आप बंद हो जाएगी। इस तरह जहां पानी कम होने पर पानी की मोटर अपने आप चलेगी, तो पानी भरने पर यह अपने आप बंद भी हो जाएगी। जिससे बिजली के साथ ओवर फ्लो होकर बहने वाले पानी को भी बचाया जा सकेगा।

बर्बादी से आया विचार

शिवराम ङ्क्षसह का कहना है कि उनके खुद के गांव में पानी की किल्लत है और मोटर से पानी भरने के दौरान लोग हर दिन पानी व्यर्थ बहा रहे हैं। इनको देखकर विचार आया कि बिजली की मोटर से जुड़ा यदि कोई ऐसा सिस्टम तैयार कर दिया जाए कि जिससे पानी और अनावश्यक जलने वाली बिजली दोनों की बचत हो सके। हालांकि इस सिस्टम के मॉडल को तैयार करने में उनके छह महीने खप गए। लेकिन, अब इसको चलता देख गांव के ही नहीं बड़े-बड़े नवाचारियों की भी शिवराम के घर भीड़ जुटी रहती है।


सरकारी मदद की दरकार


शिवराम सिंह के अनुसार संसाधनों की कमी के कारण उसे सरकारी मदद की दरकार है। क्योंकि उसके पास न तो डिप्लोमा है और न ही डिग्री। जबकि ऋण के लिए इन दोनों की जरूरत मांगी जा रही है। ऐसे में यदि उसके लिए ऋण या पैसों का जुगाड़ प्रशासन के बलबूते कर दिया जाए तो वे इस मॉडल की तकनीक को बड़े आविष्कार के रूप में बदल सकते हैं। जबकि उनके पास अभी पैसों के साथ-साथ मशीनरी का भी अभाव है।

पहले भी किए हैं कमाल

कबाड़ के जरिए तैयार किया गया सिस्टम शिवराम का पहला कमाल नहीं है। इससे पहले भी शिवराम ऐसी कई जुगाड़ मशीन बना चुके हैं। जिनमें बजरी छानने की ऑटोमेटिक मशीन जिसमें बजरी और कंकरीट अपने आप अलग हो जाते हैं। इसके अलावा बिना बिजली के चलने वाली स्प्रे मशीन, जो पैरों से चलती है। बेटरी से चलने वाला शूज स्वीपर भी शिवराम के जुगाड़ू दिमाग की उपज को दर्शाता है।