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Rajasthan Textbook Syllabus Change: राजस्थान में 12 वीं के इतिहास में मिलेगा जौहर का उल्लेख, अब थमेगा विवाद

locationसीकरPublished: May 19, 2019 11:09:07 am

Submitted by:

Vinod Chauhan

Rajasthan Text Book Syllabus Change : जौहर को लेकर देशभर में मचा बवाल अब थमने वाला है। जिन पुस्तकों को लेकर पिछले एक सप्ताह से लगातार दोनों दलों के नेताओं द्वारा आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे है उनकी सच्चाई अब जल्द पूरा प्रदेश पढ़ेगा।

जौहर को लेकर देशभर में मचा बवाल अब थमने वाला है। जिन पुस्तकों को लेकर पिछले एक सप्ताह से लगातार दोनों दलों के नेताओं द्वारा आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे है उनकी सच्चाई अब जल्द पूरा प्रदेश पढ़ेगा।

Rajasthan Textbook Syllabus Change: राजस्थान में 12 वीं के इतिहास में मिलेगा जौहर का उल्लेख, अब थमेगा विवाद

विनोद सिंह चौहान, सीकर.

जौहर ( Jauhar ) को लेकर देशभर में मचा बवाल अब थमने वाला है। जिन पुस्तकों ( Rajasthan text book syllabus change ) को लेकर पिछले एक सप्ताह से लगातार दोनों दलों के नेताओं द्वारा आरोप-प्रत्यारोप लगाए जा रहे है उनकी सच्चाई अब जल्द पूरा प्रदेश पढ़ेगा। स्कूल व पाठ्य पुस्तक मंडल में पहुंचने से पहले ही पत्रिका टीम इन विवादित पुस्तकों तक सबसे पहले पहुंची। कक्षा सातवीं, दसवीं और बारहवीं की पुस्तकों में पद्मनी की कहानी और महाराणा प्रताप ( Story of Padmani and Maharana Pratap ) के साहस की पूरी गाथा पढऩे को मिलेगी।
पुस्तक में जौहर का भी जिक्र किया गया है। महाराणा प्रताप के इतिहास के बारे में सभी पुस्तकों में एक जैसा ही बताया गया है। कक्षा 12 वीं की पुस्तक के पाठ चार में बताया कि कि पद्मिनी के नेत्तृव में चित्तौड़ का पहला जौहर हुआ। इसी पुस्तक में पद्मनी की पूरी कहानी भी दी गई है। पत्रिका टीम ने मामले की तह तक जाते हुए कई दिनों की छानबीन के बाद पाठ्यपुस्तक मंडल, पुस्तकों के लेखक व शिक्षा विभाग की दोनों कमेटियों से बातचीत की। जिन पुस्तकों को लेकर विवाद हो रहा है पत्रिका टीम ने उन पुस्तकों को भी पढ़ा, जिनमें पद्मनी और जौहर का जिक्र है।


इन बातों को लेकर विवाद
सरकारी स्कूलों में इस साल पढ़ाई जाने वाली पुस्तकों को लेकर पिछले एक सप्ताह से बवाल मचा हुआ है। श्रेय के सियासी तीरों में आरोप लगाए जा रहे हैं कि पद्मनी के जौहर को पुस्तकों से हटा दिया गया है। कई संगठनों की ओर से कुछ शब्दों के हटाने का दावा किया जा रहा है। लेकिन बेहद रोचक बात यह है कि पुस्तकों में पद्मनी और जौहर को लेकर लिखे पाठों में इस साल ऐसा कुछ बदलाव नहीं हुआ है।


सभी किताबों में महाराणा प्रताप के बारे में एक जैसा विवरण
महाराणा प्रताप के इतिहास को बदलने को लेकर भी जमकर आरोप-प्रत्यारोप हो रहे है। लेकिन पत्रिका टीम ने जब बोर्ड की पुस्तकों को देखा तो सामने आया कि सभी पुस्तकों में महाराणा प्रताप के बारे में एक जैसा ही वर्णन लिखा हुआ है और कही भी हारा हुआ नहीं बताया है।


कक्षा सातवीं में यह लिखा
कक्षा सातवीं के पाठ 17 ‘राजस्थान एवं दिल्ली सल्तनत ’में रावल रतनसिंह की जीवनी दी गई है। इसमें लिखा है कि गौरा एवं बादल के प्रयासों से रावल रतन सिंह अलाउद्दीन की कैद से मुक्त हो गए। वे दुबारा किले में आ गए। राजपूत सरदारों ने केसरिया वस्त्र धारण किए और किले के द्वार खोल दिए। रावल रतनसिंह और उनके सेनापति गौरा व बादल वीरतापूर्वक लडते हुए वीरगति को प्राप्त हुए। इधर, रानी पद्मनी के नेत्तृव में विशाल संख्या में स्त्रियों ने किले के अंदर जौहर किया। यह चित्तौड़ का पहला जौहर था। सुल्तान के दिल्ली लौटने के बाद राजपूत वीरों ने चित्तौड़ जीतने के प्रयास जारी रखे।

कक्षा दसवीं में यह लिखा
कक्षा दसवीं की सामाजिक विज्ञान की पुस्तक के अध्याय दो संघर्षकालीन ‘भारत-1206 ई. से 1757 ई. तक’ के अनुसार तुर्क सेना के द्वारा एक लंबी घेराबंदी के कारण दुर्ग के भीतर खाद्य सामग्री का भयंकर अभाव हो गया था। ऐसी स्थिति में हम्मीर में दुर्ग में बंद रहने को उचित नहीं समझकर आक्रमण करने का निश्चय किया। आक्रमण करने से पूर्व राजपूत स्त्रियों ने हम्मीर की रानी रंगदेवी व उसकी पुत्री पद्मला के नेत्तृव में जल जौहर किया। इसके बाद राजपूत सैनिकों ने केसरिया वस्त्र धारण कर दुर्ग के फाटक खोल दिए। दोनों पक्षों में जमकर युद्ध हुआ, जिसमें हम्मीर वीरतापूर्वक लड़ता हुआ मारा गया।


कक्षा बारहवीं में यह लिखा
कक्षा बारहवीं की भारतीय इतिहास पुस्तक को लेकर पिछले दस दिनों से सियासत जारी है। इस पुस्तक के विभिन्न पाठों के अंशों को लेकर तरह-तरह की टिप्पणी की है। पुस्तक के अध्याय चार ‘मुस्लिम आक्रमण: उद्देश्य और प्रभाव में’ पद्मनी की पूरी कहानी दी गई है। इसमें लिखा कि आठ वर्ष तक डेरा डालने के बाद भी जब सुल्तान चित्तौड़ को नहीं जीत पाया तो उसने संधि प्रस्ताव के बहाने धोखे से रतन सिंह को कैद कर लिया और रिहाई के बदलने पद्मनी की मांग की। सारा वृत्तांत ज्ञात होने पर पद्मनी ने राणा को छुड़ाने की योजना बनाई और अलाउ्दीन के पास अपनी 1600 सहेलियों के साथ आने का प्रस्ताव भेजा। प्रस्ताव स्वीकार होने पर पद्मनी सहेलियों के स्थान पर पालकी में राजपूत योद्धाओं को बैठाकर रवाना हो गई। दिल्ली के पास पहुंचकर शाही हरम में शामिल होने से पहले उसने अंतिम बार अपने पति से मिलने की इ‘छा प्रकट की। जिसे सुल्तान द्वारा स्वीकृति दे दी गई, जब दोनों पति-पत्नी मिल रहे थे उसी समय राजपूत योद्धा सुल्तान की सेना पर टूट पड़े और उन्हे सुरक्षित चित्तौड़ निकाल दिया। अलाउद्दीन को छल का पता लगा तो उसने ससैन्य राजपूतों का पीछा किया और चित्तौड़ पर आक्रमण कर दिया। रतन सिंह अपने सेनानायकों गोरा व बादल के साथ लड़ता हुआ मारा गया और पद्मनी ने जौहर किया।


इनका कहना है
इतिहास की पुस्तकों से जौहर संबंधी विवरण हटाए जाने के दावे गलत हैं। नई किताबों को देखने के बाद दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। कक्षा 12 की इतिहास की पुस्तक में पद्मिनी की कहानी और जौहर का विस्तार से विवरण लिखा गया है। -अरविंद भास्कर, कक्षा 12 की पुस्तकों के लेखक

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