ऐसे समझें गणित
जमीन की ऊपरी सतह तीन-चार इंच में ही कीट पतंगे रहते हैं। गर्मी के सीजन में जुताई होने पर नीचे की सतह की मिट्टी ऊपर आ जाती है। इससे कीट पतंगे नष्ट हो जाते हैं। एक किसान बुवाई के दौरान एक बीघा में औसतन छह से सात हजार रुपए का यूरिया व उवर्रक इस्तेमाल करता है। किसानों की माने तो इस बार गर्मी की अवधि ज्यादा होने से कीटनाशक और उर्वरक की करीब 30 फीसदी बचत हो गई है। जिले में खरीफ सीजन में 17 से 21 हजार मीट्रिक टन यूरिया सहित अन्य उर्वरक इस्तेमाल होते हैं।
देशी बाजरे पर जोर
प्री-मानसून व मानसून बरसात के बीच लगभग एक माह का अन्तर रहता है। ऐसे में पशु चारे के लिए बाजरे के संकर बीज के स्थान देशी बीज ही बेहतर रहता है। हालांकि देशी बाजरे की उपज सकंर बाजरे की अपेक्षा कम लेकिन पशु चारा दोगुने से अधिक मिलता है। देशी बाजरा लगभग साढ़े तीन माह में व संकर बाजरा दो से ढाई माह में उपज देता है।
बारिश पर निगाहें
जून माह का पहला सप्ताह चल रहा और धरती को तपती देखकर किसानों ने खेतों में मिट्टी के ढेलों को समतल करना शुरू कर दिया है। इसका कारण है कि खेतों में पाटा लगाने से बरसात का पानी आसानी से भूमि में चला जाएगा।
जिले में खरीफ सीजन में औसतन 17 से 21 हजार मीट्रिक टन उर्वरक की खपत हो जाती है। इस बार गर्मी की अवधि लम्बी होने के कारण किसानों को करीब 25 से 30 फीसदी तक बचत होने का अनुमान है। – हरदेव सिंह बाजिया, कृषि अनुसंधान अधिकारी शस्य
गर्मी के सीजन में जुताई होने से किसानों की प्रति बीघा खर्च में कमी आएगी। साथ ही समय पर बरसात होने से किसान की आय भी बढ़ जाएगी। – शिशुपाल सिंह खरबास, प्रगतिशील किसान
45 दिन तक तपी है धरती
पिछले 45 दिनों में भीषण गर्मी और बरसात नहीं होने से हानिकारक वैक्टीरिया, जीवाणु और फंगस समाप्त हो गए। गर्मी की अधिक रहने के कारण सफेट लट और दीमक का प्रकोप खत्म हो गया है। इस समय मूंगफली की बुवाई सिंचित क्षेत्रों में शुरू हो गई है। किसानों की मानें तो जून के पहले पखवाड़े में मानसून पूर्व की इकसार बरसात हो जाती है तो देसी बाजरे की बुवाई भी शुरू हो जाएगी।