
Test drive car used in firing on History sheeter Manoj ola in sikar
सीकर. हिस्ट्रीशीटर मनोज ओला को गोली मारने की वारदात को बेहद योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया था। इस वारदात को अंजाम देने के लिए निजी साइट का इस्तेमाल किया गया। यहां बिक्री के लिए डाली गई एक कार के मालिक से संपर्क किया गया और ट्रायल के बहाने उससे कार लेकर गए। बाद में उसी कार में आकर मनोज को गोली मार दी।
वारदात में काम में ली गई कार ही पुलिस की जांच में सबसे अहम कड़ी साबित हो रही है। पुलिस को जानकारी मिली है कि पहले यह कार अशोक के नाम से थी लेकिन उसने एक कंपनी में जमा करवा दी थी। उसके बाद रामनिवास ने खरीदी थी और उसने आगे बेचने के लिए एक निजी साइट पर डाली थी।
वहां से सुरेंद्र नाम का कोई युवक आया और ट्रायल के लिए कार लेकर गया। इसी कार में सवार होकर बदमाश आए और मनोज को गोली मार दी। कुछ लोगों को पुलिस ने हिरासत में लिया है और मामले में पूछताछ की जा रही है। सूत्रों की माने तो पुलिस को वारदात में अहम कड़ी हाथ लगी है और इसका जल्द खुलासा हो सकता है।
हत्या का बदला लेने की भी आशंका
पुलिस इस मामले में मुख्य साजिशकर्ता की पहचान करने में कामयाब हो गई है। बताया जा रहा है कि गैंगस्टर बलबीर बानूड़ा की हत्या का बदला लेने और एक जमीन विवाद के मामले में मोटी रकम आने के चक्कर में ही मनोज ओला को गोलियां मारी गई हैं।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक इस मामले में पुलिस के हाथ अहम सुराग लगे हैं। मामले के पीछे दो ही वजह हैं जो पुलिस के सामने आई हैं। हाल ही में हुआ एक जमीन और मकान का विवाद व बलबीर बानूड़ा की हत्या। दोनों ही मामलों में आनंदपाल गिरोह के सुभाष बराल व उसकी गैंग की मनोज ओला से दुश्मनी थी। गैंग का सरगना लॉरेंस विश्नोई भी इसके गुर्गों को शह दे रहा है। बानूड़ा के बेहद करीबी रिश्तेदार से इस वारदात को अंजाम दिलाने की बात सामने आ रही है।
लूट के पैसों से रची जा सकती है साजिश
सूत्रों की माने तो इस वारदात की साजिश नेछवा में पिछले दिनों हुई लूट के पैसों से रची जा सकती है। इस लूट का सूत्रधार सुभाष बराल का साथी कुलदीप झाझड़ था जो फिलहाल फरार चल रहा है। सूत्रों की माने तो इस लूट का पैसा सुभाष व उसके साथ ही गोठड़ा इलाके के कुछ बदमाशों तक पहुंचा था।
बानूड़ा का बेटा करा सकता है हमला: ओला
अस्पताल में भर्ती मनोज ओला ने बताया कि उसे पूरा संदेह कि बलबीर बानूड़ा का बेटा उस पर हमला करवा सकता है। मनोज ने कहा कि मैने 2014 के बाद से कोई अपराध नहीं किया है और मैं सीकर में रह रहा था। बलबीर बानूड़ा की हत्या के मामले में मैं गिरफ्तार हुआ था इस वजह से उसकी गैंग की मेरे से रंजिश है। बानूड़ा के बेटे अलावा उसे फिलहाल किसी पर संदेह नहीं है। मनोज ने बताया कि दुकान में लगे काउंटर की वजह से बच गया। आते ही मेरे ऊपर फायरिंग की तो एक गोली सीने के पास लग गई थी। उन्होंने काउंटर में से गोलियां चलाई जो मेरे पैरों पर लगी। ओला का कहना है कि ईश्वर के घर देर है अंधेर नहीं ।
वारदात में कुछ अहम सुराग हाथ लगे हैं। उनको लेकर जांच आगे बढ़ा रहे हैं। जल्द ही इसके खुलासे के प्रयास किए जा रहे हैं। वारदात में काम में ली गई गाड़ी निजी साइट पर बिक्री के लिए डाली गई थी। गाड़ी के संबंध में भी अहम सुराग हाथ लगे हैं।
डॉ तेजपाल सिंह, अपर पुलिस अधीक्षक सीकर
Published on:
11 Aug 2018 10:57 am
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