
किसी के साथ गलत करने वाला अपनी बारी का भी इंतजार करे
सीकर. आर्यिका विभाश्री माताजी ने कहा है कि जीवन मे संस्कारों का बड़ा प्रभाव पड़ता है। बचपन मे मां-बाप से, विद्यालय में गुरु से और बाद में संतों से मिले ज्ञान रूपी संस्कार को धारण करने वाला व्यक्ति जीवन के हर उतार चढ़ाव को पार कर लेता है। जीवन की राह पर कोई ना कोई पथ प्रदर्शक करने वाला निमित (सहयोगी) होता है। जैसे सांप-सीढी के खेल में कुछ सीढिय़ां ऊपर की ले जाती है। इसी बीच कुछ सीढिय़ां एक साथ बहुत ऊपर तक ले जाने वाली भी होती है। ठीक इसी तरह कर्मों के प्रभाव से जीवन में हर कदम पर चढ़ाव के साथ उतार भी आता है। उन्होंने कहा कि आत्मचिंतन नहीं करने वाला संस्कारी होकर भी भीड़ के बीच ही बना रहता है, पर संस्कारों के साथ आत्मचिंतन करने वाला भीड़ से अलग अपनी स्वयं की पहचान बनाता है। जीवन में सकारात्मकता के लिए आत्मचिंतन भी सही दिशा में होना चाहिए। गलत दिशा में सोच रखने से सहीं संस्कारों वाला भी अपना विनाश कर लेता है।
रावण के पिता विश्रवा और कंस के पिता उग्रसेन ने उन्हें संस्कार गलत नही दिए थे, लेकिन गलत विचारों के कारण उनका विनाश हुआ। जीवन के उतार चढ़ाव में जो अपने संस्कार ना भूले और धर्म की राह पर चलता रहे एवं जीवन में सकारात्मक सोच-विचार रखने वाला ही आदर्श जीवन जीता है। आशीष जयपुरिया ने बताया कि रविवार को मांगलिक क्रियाएं भंवरलाल, सुरेश कुमार, धर्मचंद, राकेश कुमार, नितेश कुमार पाटनी ने की।
महेश बाकलीवाल ने बताया कि दिनांक 7 अगस्त को पाŸवनाथ भवन में आर्यिका विभाश्री माताजी के सानिध्य में भगवान पाŸवनाथ निर्वाण महोत्सव बड़ी धूम धाम से मनाया जाएगा।
जिसमें सुबह पांच बजे से जिनसहस्त्र नाम पूजा मंत्र आराधना, अभिषेक, शांतिधारा, नित्यपूजन, श्री सम्मेदशिखर जी विधान किया जाएगा एवं इसके 23 किलो का मुख्य लाडू सहित कुल 24 निर्वाण लाडू समर्पण, मंगल प्रवचन साथ 1008 दीपकों से महाआरती होगी।
Published on:
05 Aug 2019 06:19 pm
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