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नहीं दिलानी किसी को नौकरी…इन्हें तो अपने बैंक बैलेंस को है बढ़ाना

विधानसभा में गूंजा मामला : कई कंपनियों ने कागजों में दिया रोजगार, शिकायत हुई तो सामने आई सच्चाई।

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सीकर

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Gaurav kanthal

Aug 05, 2019

sikar

नहीं दिलानी किसी को नौकरी...इन्हें तो अपने बैंक बैलेंस को है बढ़ाना

सीकर. स्किल डवलपमेंट के जरिए युवाओं के निजी क्षेत्र में नौकरी देने के सरकारी सपने कागजों में ही दफन हो रहे हंै। कई कौशल विकास केन्द्रों में कागजों में ही बेरोजगार युवाओं को नौकरी देने का झूठ भी सामने आया है। जबकि इनकी हकीकत कुछ और है।
राजस्थान विधानसभा में कौशल विकास केन्द्रों की शिकायत से संबंधित मामले में जवाब आया तो इनका सच उजागार हुआ। कई मामलों में खुद विभाग ने पर्दा डाल रखा है। सरकार का दावा है कि अब तक 3,70,570 युवाओं को प्रदेशभर में प्रशिक्षण दिया गया है।
इनमें से 1,38,844 को रोजगार का दावा किया जा रहा है। रोचक बात यह है कि रोजगार हासिल करने वाले ज्यादातर युवा कम वेतनमान सहित अन्य वजहों से अब भी बेरोजगार बैठै हुए है।
न्यूनतम मजदूरी हो तय
चयनित युवाओं का कहना है कि प्रदेश के ज्यादातर सेंटर संचालक व कंपनी दिल्ली, उत्तरप्रदेश व जम्मू-कश्मीर सहित अन्य इलाकों में नौकरी दिलाते है।
वेतनमान तय नहीं होने के कारण आठ हजार रुपए में गुजारा भी नहीं होता। ऐसे में चयनित बेरोजगार लंबे अर्से से न्यूननम मजदूरी तय करने की मांग भी उठा रहे हैं। स्किल डवलपमेंट योजना पहले भी सवालों के घेरे में आ चुकी है। ज्यादातर बेरोजगारों को इस योजना में प्रशिक्षण के बाद भी स्थायी रोजगार नहीं मिल पा रहा है। कई बार तो निजी कंपनी खुद अनुभव की कमी सहित अन्य कारणों से हटा देती है। कई मामलों में वेतन कम होने की वजह से युवक खुद नौकरी छोडकऱ आ जाते है।
एसीबी में मामला तो 13.20 लाख पैनल्टी
सवाईमाधोपुर जिले में इस तरह की गड़बड़ी हुई कि मामला एसीबी तक पहुंच गया। विभाग ने पहले तो शिकायतों को नजर अंदाज कर दिया। इसके बाद एसीबी की रिपोर्ट के आधार पर ग्रांट थोर्नटन इंडिया प्राईवेट लिमिटेड कंपनी पर लगभग 13.20 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया।
11 में से महज दो को मिला रोजगार
पिछले साल जयपुर जिले के एक सेंटर की शिकायत हुई। शिकायत में बताया कि कंपनी ने 11 युवाओं को रोजगार दिलाने की रिपोर्ट भेजकर भुगतान उठा लिया है। इस पर जिला कौशल समन्वयक के जरिए जांच कराई गई। जांच में सामने आया कि मौके पर दो युवा ही निजी कंपनी में काम करते मिले। इस पर कंपनी के भुगतान को रोक दिया गया।
सत्यापन में सामने आया झूठ
सभी जिलों में पिछले साल रेण्डम के आधार पर प्रशिक्षण लेने वाले युवाओं को फोन किए गए। इस दौरान बड़ा चौकाने वाला झूठ सामने आया। प्रशिक्षण लेने वाले 25 युवाओं में से महज दस युवाओं से सम्पर्क हो सका। वहीं दस में से महज आठ युवाओं ने कहा कि उनको रोजगार मिला है। इस मामले में अभी तक विभाग ने कार्रवाई नहीं की है। विभाग का दावा है कि वसूली की कार्रवाई प्रक्रियाधीन है।
मनमर्जी से वसूली फीस
छात्र सुनील मीणा ने शिकायत दी कि कंपनी ने पढ़ाई नहीं करने के बाद भी फीस वसूली है। इस मामले में विभाग के दखल के बाद छात्र को फीस वापस मिल सकी। इसके अलावा कई कंपनियों व संस्थाओं के खिलाफ तय समय में रोजगार नहीं दिलाने की भी शिकायत है।