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रसोई गैस की जगह इंडक्शन को अपनाया, आधी कीमत में बनाने लगे पूरे परिवार का खाना

गैस के दाम बढ़ने से कई लोगों ने रसोई गैस की जगह इंडक्शन चूल्हे को अपनाना शुरू कर दिया है, इससे आधी कीमत में बन रहा है पूरे परिवार का खाना...।

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सिंगरौली। घरेलू गैस सिलेंडर (domestic gas cylinder) के लगातार बढ़ते दाम को देखते हुए अब लोगों ने इंडक्शन को अपनाना शुरू कर दिया है। लोगों को यह सस्ता भी लग रहा है। यह गैस सिलेंडर से आधे से भी कम में पड़ रहा है। इंडक्शन (Induction stove) पर पांच लोगों के परिवार का खाना महज 16 रुपए में बन जाता है। जबकि गैस सिलेंडर में यह खर्च 35 रुपए से अधिक पहुंचता है।

घरेलू सिलेंडर से अब लोगों का मोह भंग होने लगा है। यही कारण है कि बाजार में इंडक्शन चूल्हे की बिक्री भी बढ़ गई है। सिलेंडर की कीमतों को देखते हुए लोग अब विकल्प के रूप में इंडक्शन को अपना रहे हैं। एक माह में करीब 1058 रुपए एक सिलेंडर पर खर्च हो रहे हैं, वहीं इंडक्शन पर महिने भर में पांच सौ से भी कम खर्च आ रहा है। जबकि पांच सदस्यों वाले परिवार में एक सिलेंडर एक महीने के भीतर ही खत्म हो जाता है।

जानकार बताते हैं कि एक हजार वॉट पर चलाने पर एक महीने में इंडक्शन लगभग 60 यूनिट बिजली खपत करेगा। यानि 60 यूनिट खर्च होने पर महीनेभर का बिजली बिल केवल 500 रुपए आएगा। यदि 1800 वॉट पर भी इंडक्शन चला रहे हैं तो भी सिलेंडर के दाम से बिजली बिल कम ही आएंगे। इसलिए ज्यादातर घरों में महिलाएं इंडक्शन का प्रयोग कर रही हैं।

क्या और बढ़ेंगे दाम

देश में सिलेंडर के दाम अभी और बढ़ सकते हैं। पिछली बार जब बढ़कर 1029 रुपए सिलेंडर का दाम हुआ था, तो अनुमान लगाया जा रहा था कि अब दाम में बढ़ोतरी नहीं होगी, लेकिन सरकार ने फिर सिलेंडर का दाम 50 रुपए बढ़ा दिया है। इससे अब 1058 रुपए में सिलेंडर मिल रहा है। संभावना बन रही है कि अभी सिलेंडर के दाम और बढ़ सकते हैं।

इंडक्शन की कीमतें भी बढ़ी

बाजार में इंडक्शन की मांग 5 गुना तक बढ़ गई है। बाजार में जितनी भी दुकानें हैं, वहां से औसतन एक-दो इंडक्शन प्रतिदिन बिक्री हो रही है। पहले महिने भर में चार-पांच इंडक्शन बिकते थे। बाजार में एक इंडक्शन की कीमत एक हजार रुपए से ही शुरू हो जाती है।

16 रुपए में बन जाएगा खाना

यदि आप बिजली से चलने वाले इंडक्शन चूल्हे से खाना बना रहे हैं तो यह गैस के मुकाबले काफी सस्ता पड़ता है। इसमें पांच लोगों के परिवार में दो वक्त का खाना एक दिन में तीन से चार यूनिट के खर्च में तैयार हो जाता है। प्रति यूनिट बिजली का खर्च भी औसतन चार रुपए के आसपास आता है। यदि दोनों वक्त का खाना चार यूनिट में बनता है, तो 16 रुपए में दोनों वक्त का पूरा खाना तैयार हो जाता है। जो कैस के मुकाबले आधा पड़ता है।

गांवों की स्थिति

आदिवासी क्षेत्रों में उज्जवला योजना के तहत गैस सिलेंडर दिए गए हैं। जिसकी रिफलिंग अब धीरे-धीरे कम हो गई है। आदिवासी अंचल में गरीब परिवार को 100 रुपए यूनिट का चुकाना होता है। ऐसे में अब उन्हें इंडक्शन चूल्हा सिलेंडर से सस्ता पड़ता है। ग्रामीण क्षेत्रों में 70 फीसदी से अधिक घरों में इंडक्शन चूल्हे का इस्तेमाल हो रहा है।

जहां बिजली नहीं वहां लकड़ी जलाते हैं लोग

इधर, कुछ गांवों में उज्जवला योजना के कई हितग्राही वापस चूल्हा फूंकने को भी मजबूर हो गए हैं। कुछ ग्रामीणों ने महिनों से गैस सिलेंडर रिफील नहीं करवाया। जिनके घर बिजली रहती है तो वे इंडक्शन पर खाना बनाते हैं, जिनके घर बिजली ही नहीं रहती है तो वे चूल्हा जलाने को मजबूर हैं। यह स्थिति गैस के सिलेंडर के दाम लगातार बढ़ने के कारण बनी है।

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