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दो कोल भंडारों में एक सप्ताह से सुलग रही थी आग, हजारों टन कोयला स्वाहा, कोल प्रबंधन में खलबली

एनसीएल खडिय़ा क्षेत्र की घटना

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northern coalfields limited khadia project big braking

northern coalfields limited khadia project big braking

सिंगरौली/शक्तिनगर। नॉर्दर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड के खड़िया क्षेत्र स्थित दो कोयला भंडारों में लगी आग से कई हजार टन कोयला राख में तब्दील हो गया। आग पर काबू पाने का प्रयास नाकाम होने से कोल प्रबंधन में खलबली मच गई है। एनसीएल खडिय़ा क्षेत्र के खदान स्थित कोल व वेस्ट सेक्शन में कोयला भंडार बनाया गया है। इन भंडारों में कई लाख टन कोयले का स्टाक है।

मामले को दबाने की कोशिश

बताते हैं कि आग करीब सप्ताह भर पूर्व वेस्ट सेक्शन के भंडार में लगी। इसे बुझाने का प्रयास शुरू हुआ, इसी बीच वेस्ट से करीब तीन किलोमीटर दूर स्थित कोल सेक्शन के भंडार में भी आग लग गई। शुरू में मामले को दबाने की कोशिशें हुईं, लेकिन आग का दायरा बढ़ा तो सब कुछ बेपरदा हो गया।

आग लगने की खबर पर गंभीरता नहीं

परियोजना के कर्मचारियों की माने तो छोटे से हिस्से में आग लगने की खबर पर गंभीरता नहीं दिखाई गई। इसी वजह से इसका दायरा बढ़ता गया और भंडारों में एकत्रित कई हजार टन कोयला सुलगते हुए राख में तब्दील होता रहा। आग बुझाने के इंतजाम फेल होने के चलते यह क्रम जारी है।

कोयले को हटाना भी मुश्किल

कर्मचारियों की माने तो जलते हुए स्टाक से कोयले को हटाना भी मुश्किल साबित हो रहा है। यह अलग बात है कि भंडारों के कुछ हिस्से में पानी डाल कर आग बुझाने के बाद कोयला स्टॉक कम करने की कोशिश की जा रही है। आग से एनसीएल खडिय़ा को कितनी क्षति हुई इसकी अधिकारिक जानकारी नहीं मिली है। मगर, यह माना जा रहा है कि नुकसान करोड़ों में हुआ होगा।

नियमों की अनदेखी बनी वजह
कोयला क्षेत्र में कार्य करने वाले जानकारों की माने तो कोल भंडारण में नियमों की अनदेखी से इस तरह की घटनाएं होती है। कायदे से बड़ा कोल स्टाक बनाते हुए परत दर परत कोयले को बड़ी मशीनों से दबाया जाता है ताकि भंडार में जमा कोयले को आक्सीजन नहीं मिल सके, लेकिन ऐसा नहीं किए जाने पर तेज धूप व गर्मी के साथ आक्सीजन का समावेश भंडार में होता है आग पकड़ लेती है।

कोल स्टॉक में आग लग गई थी। आग बुझाने के लिए सभी स्तरों पर उपलब्ध संसाधनों के जरिए जोर शोर से काम किया जा रहा है। एक से दो दिन के अंदर आग पर पूरी तरह काबू पा लिया जाएगा।
एसके सिंह, पीआरओ एनसीएल