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आजादी के 77 साल बाद भी राजस्थान के इस गांव के लोगों ने आज तक नहीं देखी रोडवेज बस

Rajasthan Roadways : रायपुर गांव के कई बुजुर्गों ने कहा की हमारी उम्र अस्सी से नब्बे वर्ष के आसपास हैं एवं जिंदगी पूरी होने की कगार पर हैं, लेकिन अभी तक हमने गांव में रोडवेज बस को नहीं देखा है।

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Rajasthan Roadways

Rajasthan Roadways : रायपुर (सिरोही)। केन्द्र एवं राज्य की सरकार भले ही शहरों सहित ग्रामीण क्षेत्रों में विकास के लिए नित नई योजनाएं निकालकर गांवों में सुविधा मुहैया कराने के प्रयास कर रहीं हो, लेकिन आज भी कई घनी आबादी एवं बड़े क्षेत्रफल वाले ऐसे गांव हैं, जो मूलभूत सुविधाओं से वंचित है।

हम जिस गांव की बात कर रहे हैं, वो है, सिरोही जिले के रेवदर विधानसभा क्षेत्र का रायपुर गांव। हालांकि रायपुर ग्राम पंचायत मुख्यालय हैं, बावजूद यहां मूलभूत सुविधाओं का टोटा हैं। देश को आजाद हुए 77 वर्ष पूर्ण हो गए, लेकिन यहां आजादी के बाद लोगों को कई सुविधाओं का लाभ नहीं मिल रहा।

रायपुर ग्राम पंचायत के अधीन सात राजस्व गांव हैं, इसके साथ ही आसपास के एक दर्जन गांवों में रोडवेज बस की सुविधा नहीं हैं। जिससे निजी वाहन चालक मनमाना किराया वसूलते हैं। साथ ही ऊपर-नीचे सवारियां भरकर हादसे को न्यौता देते हैं।

रायपुर से मात्र दस किलोमीटर दूर निबज गांव तक अहमदाबाद जाने वाली राजस्थान की रोडवेज बस आती हैं, अगर उसी रोडवेज बस को निबज से वाया रायपुर, निमतलाई, पीथापुरा होकर मंडार से अहमदाबाद तक चलाया जाए तो आमजन को राहत मिल सकती हैं।

वहीं अगर इसके अलावा रोडवेज बस को रेवदर से निबज, केसुआ, वडवज, रायपुर, हडमतिया, निमतलाई, जालमपुरा, पीथापुरा, सोनानी व मंडार होकर रेवदर- सिरोही तक रूट पर रोडवेज बस का संचालन शुरू होता है तो दर्जनों गांवों के लोगों को रोडवेज बस की सुविधा मिल सकती हैं।

इधर रायपुर गांव के कई बुजुर्गों ने कहा की हमारी उम्र अस्सी से नब्बे वर्ष के आसपास हैं एवं जिंदगी पूरी होने की कगार पर हैं, लेकिन अभी तक हमने गांव में रोडवेज बस को नहीं देखा। ऐसे में हमारा यह सपना आजादी के बाद भी अधूरा है।

डिजीटल युग में भी नहीं हैं बैंक सुविधा

केन्द्र सरकार वर्तमान में डिजीटल युग को बढ़ावा दे रहीं हैं, लेकिन यहां बैंक की सुविधा भी नहीं हैं। बैंक के कामकाज के लिए बुजुर्ग लोगों को मंडार जाना पड़ता हैं, ऐसे में ग्रामीणों ने यहां ग्रामीण बैंक शाखा खोलने की मांग की हैं। पूर्व में यहां राजस्थान मरुधरा ग्रामीण बैंक शाखा स्वीकृत हुई थी मगर राजनीतिक दबाव के चलते रायपुर के नाम स्वीकृत ग्रामीण बैंक को केसुआ गोशाला में खोला गया। जिससे यहां के लोगों को असुविधा हो रही हैं।

सात गांवों का एकमात्र सहारा उप स्वास्थ्य केन्द्र

रायपुर ग्राम पंचायत के बाशिन्दे स्वास्थ्य सेवाओं के लिए भी जूझ रहे हैं। ग्राम पंचायत के अधीन वडवज, लालपुरा, जालमपुरा, कोलापुरा, अमरापुरा, हडमतिया, भील बस्ती व रायपुर सहित सात गांव आते हैं। इन गांवों की आबादी महज एक उपस्वास्थ्य केन्द्र पर निर्भर है। ऐसे में मरीजों को इलाज के लिए मंडार या गुजरात जाना मजबूरी है। लोगों ने रायपुर में ही पीएचसी सेंटर खोलने की मांग की हैं।

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पुलिस चौकी खुले तो क्राइम पर लगे अंकुश

रायपुर क्षेत्र सिरोही जिले का अंतिम गांव हैं। ग्राम पंचायत रायपुर सिरोही के साथ-साथ जालोर व सांचौर तीन जिलो की बॉर्डर पर हैं, जिसमें हडमतियां गांव सांचौर जिले की सरहद पर होने से गुजरात में तस्करी के लिए भी यह रूट सुगम बना हुआ हैं। क्षेत्र में चोरी की वारदातें भी बढ़ रही है।