
खेत में लगा आम का बगीचा। फोटो: पत्रिका
सिरोही। रेत के टीलों पर रेत ही नहीं थमती, पेड़ की जड़ें थमना तो दूर की बात है। लेकिन सिरोही जिले के रेवदर उपखण्ड के रायपुर गांव में किसानों की ओर से रेतीले धोरों में बागवानी खेती की जा रही है। यहां के किसानों ने परंपरागत खेती को छोड़कर आधुनिक तकनीक अपना रेतीले धोरों में करीब 10 हजार फलदार आम के पौधे लगाए हैं, जो करीब दो साल में बडे होकर पेड़ बन आम के बगीचों का हब बन जाएगा।
कुछ किसानों ने करीब एक साल केसर आम के पौधे लगाए थे, जिन पर अब फल आना भी शुरू हो गया है। उनको देखकर अन्य किसानों ने भी कृषि अधिकारियों की सलाह से बागवानी शुरू कर दी।
ग्राम पंचायत के जालमपुरा के समीप धूलीया गांव में उदयदान चारण ने छह हैक्टेयर में पांच हजार केसर आम के पौधे लगाए हैं। इसी तरह वडवज के खंगार सिंह देवडा ने तीन हैक्टेयर, रायपुर के प्रतापराम कोली ने दो हैक्टेयर, केसुआ के हरिसिंह देवडा, भवानी सिंह देवडा, सुजानसिंह देवडा ने दो-दो हैक्टेयर तथा हडमतियां के दरगाराम रावल ने एक हैक्टेयर में केसर आम के पौधे लगाकर बागवानी शुरू की हैं।
इन किसानों ने करीब दस हजार आम के पौधे लगाए हैं। आगामी बारिश के मौसम में भी किसान फिर से करीब दस हजार आम के पौधे और लगाने की योजना बना रहे हैं, जिसकी अभी से तैयारियां शुरू कर दी है।
रायपुर में धोरों (रेतीले इलाकों) में पूर्व में खेती नहीं होती थी। अब ड्रिप सिस्टम अपनाकर किसान आम की खेती कर रहे हैं। उद्यान विभाग के सहायक निदेशक हेमराज मीना का कहना है कि रेत के धोरों में सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम कारगर साबित हो रहा है। इसके कई फायदे भी है। ड्रिप सिस्टम पानी को सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचाता है, जिससे पानी की बचत होती है, खरपतवार कम और आम के पौधों की वृद्धि भी अच्छी होती है।
पहले इस क्षेत्र के एक दो किसानों ने ड्रिप सिस्टम से आम की खेती शुरू की, जो सफल रही। आज कई किसान बागवानी से अच्छा मुनाफा कमा रहे है। उनसे प्रेरित होकर अब रायपुर में किसान करीब 17 हैक्टेयर में आम की खेती कर रहे हैं।
जिले की रायपुर ग्राम पंचायत के हडमतिया, वडवज, जालमपुरा, कोलापुरा, निमतलाई व अमरापुरा सहित गांवों में रेतीले धोरे होने के कारण यहां का दृश्य जैसलमेर के सम धोरों से कम नहीं हैं। बागवानी की खेती कर रहें किसानों ने बताया की आम की खेती से आमदनी तो हो रही हैं, साथ ही पशु- पक्षियों सहित पर्यावरण को संरक्षण भी मिल रहा है। यहां के आम की गुजरात व महाराष्ट्र में डिमांड है। खरीदने के लिए अभी से गुजरात व महाराष्ट्र के व्यापारी आने लगे हैं। किसान बताते है कि आम की खेती अच्छी होने से इस क्षेत्र में लोग जमीन खरीदने के लिए सक्रिय हैं।
यहां की जलवायु व मिट्टी-पानी आम की खेती के लिए उपयुक्त है। आगवानी को बढ़ावा देने के लिए सरकार अनुदान भी उपलब्ध करवाती है।जिससे किसानों का रुझान बागवानी की तरफ बढ़ा है। यहां धोरों में ड्रिप सिस्टम कारगर साबित हो रहा है।
-हेमराज मीणा, सहायक निदेशक, उधान विभाग, सिरोही
Published on:
08 Jun 2025 02:39 pm
बड़ी खबरें
View Allसिरोही
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
