एनएचएम के अनुसार कुपोषण से टीबी रोग होने का जोखिम बढ़ जाता है। जबकि टीबी से कुपोषण की स्थिति और बिगड़ जाती है। टीबी रोगियों में कुपोषण को दूर करने से उपचार के प्रति प्रतिक्रिया में सुधार होता है। मृत्यु दर में कमी आती है। इस कारण एनएचएम की ओर से वर्ष 2018 में शुरू निक्षय पोषण योजना (एनपीवाई) के तहत राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम (एनईपी) के तहत टीबी रोगियों को दी जाने वाली 500 रुपए प्रति माह की राशि को बढ़ाकर 1000 रुपए किया है। यह राशि टीबी रोगियों को 1 नवम्बर से देना शुरू किया गया है।
इस तरह दी जाएगी राशि
टीबी रोगियों को यह राशि 3,000 रुपए की दो किस्तों में दी जाएगी। जिसमे 3,000 रुपए का पहला लाभ उपचार के समय अग्रिम दिया जाएगा। वहीं दूसरी किस्त उपचार के 84 दिन पूरे होने के बाद दी जाएगी। जिन मरीजों का उपचार 6 महीने से अधिक चलेगा। उनको 1000 रुपए प्रति माह अलग से दिए जाएंगे।
प्रदेश में इतने टीबी रोगी
प्रदेश में अभी 104141 टीबी के रोगी सरकारी व 42275 निजी अस्पतालों में चिह्नित है। प्रदेश के अजमेर जिले में 7249 रोगी, अलवर में 10943, बासंवाड़ा में 4091, बारां में 2249, बाड़मेर में 1048, भरतपुर में 4397, भीलवाड़ा में 5568, बीकानेर में 5016, बूंदी में 2486, चित्तौड़गढ़ 2539, चूरू में 2350, दौसा में 2581, धौलपुर में 3239, डूंगरपुर में 3770, गंगानगर में 4630, हनुमानगढ़ में 3972, जयपुर प्रथम में 13727, जयपुर द्वितीय में 7587, जैसलमेर में 434, जालोर में 3008, झालावाड़ में 3006, झुंझुनू में 2259, जोधपुर में 7684, करौली में 4252, कोटा में 6568, नागौर में 3790, पाली में 2761, प्रतापगढ़ में 1465, राजसमंद में 2266, सवाई माधोपुर में 3264, सीकर में 4548, सिरोही में 1956, टोंक में 3082, उदयपुर में 8631 टीबी के मरीज है।