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इस घास से मवेशी ही नहीं, इंसानों को भी खतरा, हो सकती है मौत

locationसिरोहीPublished: Jul 26, 2022 02:05:16 pm

Submitted by:

santosh

आबू. पर्यटन स्थल माउण्ट आबू में इन दिनों फैल रही पार्थेनियम खरपतवार घास ने नया संकट पैदा कर दिया। मनुष्यों और मवेशियों के लिए घातक ये खरपतवार गजर घास यहां चटक चांदनी, गंधी बूटी, सफेद टोपी जैसे कई नामों से पहचानी जाती है। इस घास के सेवन से मवेशियों की जान तक जाने की बात पशु चिकित्सक भी स्वीकार करते हैं।

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सिरोही/माउंट आबू. पर्यटन स्थल माउण्ट आबू में इन दिनों फैल रही पार्थेनियम खरपतवार घास ने नया संकट पैदा कर दिया है। मनुष्यों और मवेशियों के लिए घातक ये खरपतवार गजर घास यहां चटक चांदनी, गंधी बूटी, सफेद टोपी जैसे कई नामों से पहचानी जाती है। इस घास के सेवन से मवेशियों की जान तक जाने की बात पशु चिकित्सक भी स्वीकार करते हैं। दावा किया जा रहा है कि हाल ही में गोरा छपरा क्षेत्र में इस जहरीली घास को खाने से दो गोवंश की मौत हो चुकी है। इतना ही नहीं, इसके छूने मात्र से मनुष्य भी कई रोगों से ग्रसित हो जाते हैं।

इनका कहना है:
कुछ साल पहले पार्थेनियम घास के संपर्क में आने से खुजली का शिकार हो गया था। पूरे बदन पर लाल चकते हो गए। चिकित्सकों को दिखाने पर उन्होंने इसे पार्थेनियम घास से होने वाली एलर्जी बताया। समय पर इलाज से चकते मिट गए।
विजय सिंह, ओरिया, माउंट आबू

मवेशियों के लिए जानलेवा:
कई पशु अनजाने में उसे खा जाते हैं। इस घास के खाने से पूर्व में भी एक बछड़े की मौत हो गई थी। जिसकी सूचना मिलते ही तत्काल मौके पर पहुंचे, पर उससे पहले वह दम तोड़ चुका था।
अमित चौधरी, पशु चिकित्सक, माउंट आबू

कई रोगों की वाहक खरपतवार:
पार्थेनियम में कैफिक, पीकमोरिक, पीहाई-ड्रोक्सी वा वैनालिन जैसे विषाक्त ऐसिड होते हैं। पर्वतीय वनस्पतियों की दुश्मन पार्थेनियम बहुत तेजी से फैलकर अपने आस-पास के पेड़-पौधों व फसलों को अपने आगोश में लेकर बर्बाद कर देती है। इसके छूने मात्र से त्वचा रोग, दमा व अलर्जी जैसी बीमारियां हो जाती हैं।

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